Amit Shah News: मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की कि बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार अपने मौजूदा कार्यकाल के दौरान 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' की व्यवस्था को लागू करेगी। यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने के मौके पर एक संवाददाता सम्मेलन में दिया गया। इस अवसर पर सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव भी मौजूद थे।
'एक राष्ट्र, एक चुनाव' की आवश्यकता
अमित शाह ने कहा कि 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' की व्यवस्था लागू करने की योजना इस सरकार के कार्यकाल में ही पूरी की जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस योजना का लक्ष्य चुनावी प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना और बार-बार चुनावों के कारण देश की प्रगति में उत्पन्न होने वाली बाधाओं को समाप्त करना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से इस योजना की जोरदार वकालत की थी, जहां उन्होंने कहा था कि बार-बार चुनाव देश की प्रगति में अड़चन डाल रहे हैं।
घोषणापत्र में प्रमुख वादा
'एक राष्ट्र, एक चुनाव' बीजेपी के घोषणापत्र में एक प्रमुख वादा था। इसके तहत, लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की योजना है, जिससे चुनावी खर्च और समय की बचत होगी और प्रशासनिक कार्यों में सुधार होगा। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित एक उच्च स्तरीय समिति ने इस साल मार्च में इस प्रस्ताव पर विचार किया था और लोकसभा व राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराने की सिफारिश की थी। इसके अलावा, समिति ने स्थानीय निकाय चुनावों को 100 दिन के भीतर आयोजित करने की सिफारिश की थी।
समिति की सिफारिशें और संभावनाएँ
कोविंद समिति ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' की व्यवस्था को लागू करने के लिए कोई निश्चित समय सीमा तय नहीं की। उसने 18 संवैधानिक संशोधनों की सिफारिश की, जिनमें से अधिकांश को राज्य विधानसभाओं के अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी। हालांकि, इस व्यवस्था को लागू करने के लिए कुछ संविधान संशोधन विधेयकों की आवश्यकता होगी, जिन्हें संसद द्वारा पारित किया जाना आवश्यक होगा।
विधि आयोग द्वारा भी इसी तरह की सिफारिशें की गई हैं, जिसमें 2029 से लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ कराने का प्रस्ताव है। यह सिफारिशें त्रिशंकु सदन या अविश्वास प्रस्ताव की स्थिति में एकता सरकार का प्रावधान करने की भी संभावना जताती हैं।
निष्कर्ष
अमित शाह की इस घोषणा से स्पष्ट है कि बीजेपी और एनडीए सरकार 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के विचार को लागू करने के लिए गंभीर है। इस योजना के लागू होने से चुनावी प्रक्रियाओं में सुधार और देश की प्रगति में बाधाओं को दूर करने में मदद मिलेगी। हालांकि, इसके लिए संविधान में आवश्यक संशोधनों और विधेयकों की प्रक्रिया को पूरा करना होगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस योजना को कितनी जल्दी लागू करती है और इसके संभावित लाभ क्या होंगे।