Sanjay Raut News:संजय राउत 100 करोड़ रु. के मानहानि केस में दोषी करार, 15 दिन जेल की सजा, जुर्माना भी

01:05 PM Sep 26, 2024 | zoomnews.in

Sanjay Raut News: शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के नेता संजय राउत को भाजपा नेता किरीट सोमैया की पत्नी मेधा सोमैया द्वारा दायर मानहानि के मुकदमे में दोषी करार दिया गया है। मजगांव कोर्ट ने आज इस मामले में फैसला सुनाया, जिसमें संजय राउत को 15 दिन की जेल की सजा और 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया।

क्या है पूरा मामला?

इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब संजय राउत ने आरोप लगाया कि किरीट और मेधा सोमैया शौचालय निर्माण के लिए धन का दुरुपयोग करके 100 करोड़ रुपये के घोटाले में शामिल हैं। राउत के इन आरोपों के बाद, मेधा सोमैया ने संजय राउत के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जिसमें उन्होंने 100 करोड़ रुपये की मानहानि का दावा किया।

मेधा सोमैया ने अदालत में कहा कि राउत द्वारा लगाए गए आरोप न केवल निराधार थे, बल्कि उनकी छवि को भी नुकसान पहुंचाने वाले थे। उन्होंने यह भी कहा कि राउत के बयान ने उन्हें और उनके पति को सार्वजनिक रूप से अपमानित किया।

कोर्ट का फैसला

मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट 25वीं अदालत, मझगांव ने आज सुनवाई के बाद संजय राउत को दोषी करार दिया। कोर्ट ने कहा कि राउत के आरोप स्पष्ट रूप से मानहानिकारक थे। इसके साथ ही, उन्हें IPC की धारा 500 के तहत सजा दी गई है।

मेधा सोमैया की दलील

मेधा सोमैया ने अदालत में अपनी शिकायत में यह भी कहा कि राउत के आरोप सुनकर वह चकित रह गईं, क्योंकि उन्होंने और उनके पति ने हमेशा पारदर्शिता से काम किया है। उनका कहना था कि राउत के बयानों ने उनके और उनके परिवार के मान-सम्मान को ठेस पहुंचाई है। मेधा ने इस मामले को न केवल व्यक्तिगत अपमान के रूप में देखा, बल्कि इसे राजनीतिक द्वेष का भी परिणाम बताया।

राजनीतिक प्रतिक्रिया

संजय राउत का यह मामला केवल व्यक्तिगत मानहानि का नहीं, बल्कि भारतीय राजनीति में बढ़ते तनाव और प्रतिशोध का एक प्रतीक है। भाजपा और शिवसेना के बीच पहले से ही तल्खी चल रही है, और यह घटना इस राजनीतिक विवाद में एक नया मोड़ प्रदान करती है। राउत के खिलाफ इस निर्णय ने उनकी छवि को और भी अधिक चुनौती दी है, जो पहले से ही विवादों में घिरे रहे हैं।

निष्कर्ष

संजय राउत के खिलाफ मानहानि का यह मामला न केवल उनकी व्यक्तिगत छवि को प्रभावित करता है, बल्कि यह राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। इस फैसले ने यह दर्शाया है कि भारतीय राजनीति में बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप का खेल कितना गंभीर हो सकता है। अब देखना यह है कि क्या यह मामला राजनीतिक लड़ाई में और तीव्रता लाएगा, या यह एक व्यक्तिगत विवाद के रूप में समाप्त होगा।