RBI New Governor: सरकार ने रेवेन्यू सेक्रेटरी संजय मल्होत्रा को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का नया गवर्नर नियुक्त किया है। वे आरबीआई के 26वें गवर्नर होंगे और मौजूदा गवर्नर शक्तिकांत दास की जगह लेंगे। यह नियुक्ति ऐसे समय पर हुई है जब देश की अर्थव्यवस्था कई चुनौतियों का सामना कर रही है।
शक्तिकांत दास का कार्यकाल: स्थिरता का दौर
शक्तिकांत दास, 1980 बैच के तमिलनाडु कैडर के IAS अधिकारी, दिसंबर 2018 में आरबीआई के गवर्नर बने थे।
- उन्होंने नोटबंदी जैसे विवादास्पद समय में इकोनॉमिक अफेयर्स सेक्रेटरी के रूप में भूमिका निभाई।
- अपने पांच साल के कार्यकाल में उन्होंने मौद्रिक नीतियों के जरिए वित्तीय स्थिरता बनाए रखने का प्रयास किया।
- दास ने वैश्विक मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व किया और कोविड-19 के आर्थिक प्रभावों से निपटने के लिए विशेष नीतियां पेश कीं।
उनके कार्यकाल में अर्थव्यवस्था ने 2022 में 9.5% की ग्रोथ का अनुमान लगाया, हालांकि इससे पहले 7.3% की गिरावट दर्ज की गई थी।
संजय मल्होत्रा: सुधारों के समर्थक
संजय मल्होत्रा का नाम एक सुधारवादी और व्यावहारिक दृष्टिकोण रखने वाले अधिकारी के रूप में जाना जाता है।
- राजस्थान मूल के मल्होत्रा ने केंद्र और राज्य स्तर पर वित्तीय सुधारों को लागू करने में प्रमुख भूमिका निभाई।
- उन्हें हर मुद्दे पर गहराई से रिसर्च करने के लिए जाना जाता है।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी और भरोसेमंद अफसरों में उनकी गिनती होती है।
वित्त मंत्रालय में काम करने के दौरान, उन्होंने कई महत्वपूर्ण निर्णयों और सुधारों को लागू किया, जिससे उनकी पहचान एक मजबूत प्रशासक के रूप में बनी।
नई भूमिका में चुनौतियां
संजय मल्होत्रा का आरबीआई गवर्नर बनना ऐसे समय में हुआ है जब देश की अर्थव्यवस्था उच्च मुद्रास्फीति, वैश्विक वित्तीय अनिश्चितताओं और विकास दर को बनाए रखने जैसी चुनौतियों से गुजर रही है।
- मुद्रास्फीति नियंत्रण: पिछले कुछ वर्षों में बढ़ती महंगाई से निपटना उनकी प्राथमिकता होगी।
- बैंकिंग सुधार: एनपीए की समस्या और वित्तीय संस्थानों की स्थिरता सुनिश्चित करना।
- डिजिटल अर्थव्यवस्था: यूपीआई और डिजिटल भुगतान को और आगे बढ़ाना।
- वैश्विक अस्थिरता: रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक मंदी जैसे प्रभावों को प्रबंधित करना।
शक्तिकांत दास की विरासत और आगे का मार्ग
शक्तिकांत दास ने भारतीय रिजर्व बैंक को एक स्थिर और भरोसेमंद संस्थान बनाए रखा। उनकी नीतियों ने वित्तीय बाजार में विश्वास बहाल किया। अब संजय मल्होत्रा से उम्मीद की जा रही है कि वे इस विरासत को आगे बढ़ाते हुए आर्थिक सुधारों को तेज करेंगे।
निष्कर्ष
संजय मल्होत्रा की नियुक्ति भारतीय रिजर्व बैंक में एक नए युग की शुरुआत का संकेत देती है। वित्तीय प्रबंधन और सुधारों में उनके अनुभव से देश की अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा मिलने की उम्मीद है। उनकी नियुक्ति यह भी दिखाती है कि सरकार अर्थव्यवस्था के सामने खड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए मजबूत नेतृत्व पर भरोसा कर रही है।