India-Russia Relation: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जल्द ही भारत का दौरा करेंगे। क्रेमलिन के प्रेस सचिव दिमित्री पेस्कोव ने जानकारी दी कि इस यात्रा की तारीखों को लेकर अभी काम चल रहा है। इस यात्रा को वैश्विक राजनीति और भारत-रूस के संबंधों की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है, खासकर ऐसे समय में जब यूक्रेन के खिलाफ युद्ध छिड़ा हुआ है।
भारत यात्रा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
पुतिन की यह भारत यात्रा 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पहली होगी। इससे पहले, उन्होंने 6 दिसंबर 2021 को भारत का दौरा किया था। उस समय उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 21वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लिया था। जुलाई 2023 में प्रधानमंत्री मोदी ने रूस का दौरा किया था, जो 22वें वार्षिक शिखर सम्मेलन का हिस्सा था। इन उच्च स्तरीय बैठकों ने भारत और रूस के बीच रक्षा, ऊर्जा और व्यापारिक संबंधों को मजबूती दी है।
भारत यात्रा का महत्व
राष्ट्रपति पुतिन की यह यात्रा कई कारणों से अहम है:
- यूक्रेन युद्ध और पश्चिमी प्रतिबंधों का प्रभाव: युद्ध के चलते रूस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ा है। ऐसे में भारत जैसे महत्वपूर्ण साझेदार के साथ संबंध मजबूत करना पुतिन के लिए प्राथमिकता होगी।
- वैश्विक शक्ति संतुलन: भारत और रूस का रिश्ता पारंपरिक रूप से मजबूत रहा है। पुतिन की यात्रा से यह संकेत मिलता है कि दोनों देश वैश्विक स्तर पर सामरिक साझेदारी को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
- ऊर्जा और रक्षा सहयोग: रूस, भारत का प्रमुख ऊर्जा और रक्षा आपूर्तिकर्ता है। दोनों देशों के बीच नई ऊर्जा परियोजनाओं और रक्षा सौदों पर चर्चा होने की संभावना है।
रूस की नई परमाणु नीति
रूस के राष्ट्रपति ने हाल ही में एक नई परमाणु नीति पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें कन्वेंशनल मिसाइल, ड्रोन, या एयरक्राफ्ट के जरिए रूस पर किए गए हमलों को भी परमाणु प्रतिक्रिया के लिए मान्य कारण माना जाएगा। इस नीति के अनुसार, अगर अमेरिका या NATO के किसी सदस्य देश के हथियार रूस के खिलाफ इस्तेमाल होते हैं, तो मॉस्को इसे पूरे NATO गठबंधन का हमला मानेगा। यह नीति वैश्विक सुरक्षा और रणनीतिक परिदृश्य पर बड़ा प्रभाव डाल सकती है।
भारत-रूस संबंधों का भविष्य
पुतिन की यह यात्रा भारत-रूस संबंधों को नई दिशा देने का अवसर होगी। यह यात्रा आर्थिक, सामरिक, और कूटनीतिक स्तर पर नए समझौतों और साझेदारियों का मार्ग प्रशस्त कर सकती है। साथ ही, भारत की "गैर-पक्षपाती" विदेश नीति को ध्यान में रखते हुए, इस दौरे से यह भी संकेत मिलेगा कि भारत अपनी कूटनीतिक स्वतंत्रता को कैसे संतुलित करता है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि राष्ट्रपति पुतिन और प्रधानमंत्री मोदी के बीच चर्चा किन अहम मुद्दों पर केंद्रित रहती है और यह यात्रा दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को कैसे प्रभावित करती है।
#WATCH | Delhi: When asked if Russia is playing any role in improving relations between India and China, Press secretary for Russian President, Dmitry Peskov says, "We are glad that the two leaders, the leader of India and the leader of China, had the opportunity to hold their… pic.twitter.com/rseuROkFup
— ANI (@ANI) November 19, 2024