Ratan Tata:रतन टाटा का 86 साल की उम्र में निधन

06:44 AM Oct 10, 2024 | zoomnews.in

टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन नवल टाटा का बुधवार देर रात 86 साल की उम्र में निधन हो गया। वे मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल के आईसीयू में भर्ती थे और उम्र से जुड़ी बीमारियों से जूझ रहे थे। उनके निधन की खबर आते ही पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई, और उद्योग, राजनीति और समाज के विभिन्न क्षेत्रों से श्रद्धांजलियां अर्पित की गईं।

उद्योगपति हर्ष गोयनका ने सोशल मीडिया पर लिखा, "घड़ी की टिक-टिक बंद हो गई। टाइटन नहीं रहे। रतन टाटा ईमानदारी, नैतिक नेतृत्व और परोपकार के प्रतीक थे। वे हमेशा हमारी यादों में जीवित रहेंगे और ऊंची उड़ान भरते रहेंगे।"

उनका पार्थिव शरीर रात करीब 2 बजे अस्पताल से उनके घर ले जाया गया। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने घोषणा की कि रतन टाटा का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा, जो उनकी प्रतिष्ठा और योगदान को दर्शाता है। उनके परिवार ने बताया कि गुरुवार को साउथ मुंबई के नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स में सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक उनका अंतिम दर्शन किया जा सकेगा।

रतन टाटा का योगदान न केवल व्यापारिक जगत में, बल्कि समाज के विभिन्न क्षेत्रों में भी अत्यधिक महत्वपूर्ण था। उन्हें 2000 में पद्म भूषण और 2008 में भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।

टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने कहा, "रतन टाटा के बिना हमारा समूह अधूरा है। वे मेरे लिए एक मार्गदर्शक, गुरु और मित्र थे। उनका जीवन हमें नैतिकता, उत्कृष्टता और दूरदर्शिता का सही मायने सिखाता है।"

रतन टाटा के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा, "रतन टाटा एक दूरदर्शी बिजनेस लीडर, दयालु आत्मा और असाधारण इंसान थे। उनका नेतृत्व न केवल भारत के सबसे प्रतिष्ठित व्यापारिक समूहों में से एक को ऊंचाईयों पर ले गया, बल्कि उन्होंने समाज के सुधार में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।"

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा, "रतन टाटा ने व्यवसाय और परोपकार के क्षेत्र में एक स्थायी छाप छोड़ी है। उनके जाने से देश ने एक महान व्यक्तित्व खो दिया है।"

उद्योग जगत से गौतम अडाणी ने कहा, "रतन टाटा ने आधुनिक भारत के मार्ग को पुनर्परिभाषित किया। उनका नेतृत्व करुणा और नैतिकता का प्रतीक था।"

आनंद महिंद्रा, जिन्होंने रतन टाटा से प्रेरणा ली, ने लिखा, "मैं रतन टाटा की अनुपस्थिति को स्वीकार नहीं कर पा रहा हूं। उनका जीवन हमें सिखाता है कि सच्चे महापुरुष कभी नहीं मरते।"

Google के सीईओ सुंदर पिचाई ने टाटा के बिजनेस विजन को प्रेरणादायक बताते हुए कहा, "उनकी अंतिम मुलाकात के दौरान उनका दृष्टिकोण और विचार सुनना मेरे लिए प्रेरणादायक था। उन्होंने भारतीय उद्योग में नेतृत्व का एक नया आयाम स्थापित किया।"

रतन टाटा का व्यापार जगत में योगदान अद्वितीय रहा है। 1991 में टाटा ग्रुप का नेतृत्व संभालने के बाद उन्होंने इसे एक वैश्विक पहचान दिलाई। टाटा मोटर्स द्वारा 2008 में जगुआर और लैंड रोवर का अधिग्रहण एक ऐतिहासिक कदम था, जिसने टाटा समूह को वैश्विक मंच पर अग्रणी स्थान दिलाया।

उनका नवाचारों में विश्वास उन्हें दूसरों से अलग बनाता था। 2009 में टाटा नैनो के लॉन्च के साथ, उन्होंने आम जनता के लिए सस्ती कार का सपना साकार किया। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने न केवल व्यवसाय में बल्कि समाज सेवा में भी उल्लेखनीय कार्य किए।

रतन टाटा का जाना भारत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी न केवल टाटा समूह को उच्चतम शिखर पर पहुंचाने में लगाई, बल्कि उन्होंने समाज और देश के उत्थान के लिए भी महत्वपूर्ण कदम उठाए। उनकी विनम्रता, नैतिकता और करुणा ने उन्हें एक असाधारण नेता और इंसान के रूप में स्थापित किया। उनके जाने से भारत ने न केवल एक उद्योगपति, बल्कि एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व को खो दिया है।