Vijay Diwas: आज पूरा देश 1971 की ऐतिहासिक जीत की स्मृति में विजय दिवस मना रहा है। यह दिन भारतीय सेना के उस अभूतपूर्व साहस, बलिदान और रणनीतिक कौशल का प्रतीक है, जिसने न केवल पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर किया, बल्कि बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में निर्णायक भूमिका निभाई। 13 दिनों के भीतर भारतीय सेना ने 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों को आत्मसमर्पण करने पर मजबूर कर दिया। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह सबसे बड़ा सैन्य आत्मसमर्पण माना जाता है।
पीएम मोदी ने श्रद्धांजलि अर्पित की
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ऐतिहासिक दिन पर उन वीर सैनिकों को याद किया, जिनके साहस और बलिदान ने 1971 की जीत को संभव बनाया। उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा:
"आज विजय दिवस पर हम उन बहादुर सैनिकों के साहस और बलिदान का सम्मान करते हैं जिन्होंने 1971 में भारत की ऐतिहासिक जीत में योगदान दिया। उनका निस्वार्थ समर्पण और अटूट संकल्प हमें प्रेरित करता रहेगा।"
पीएम मोदी ने इसे भारतीय इतिहास का एक गौरवशाली अध्याय बताते हुए कहा कि यह दिन पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा।
रक्षा मंत्री ने सशस्त्र बलों को किया सलाम
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी इस मौके पर भारतीय सेना की वीरता को नमन किया। उन्होंने लिखा:
"आज विजय दिवस के खास मौके पर देश भारत के सशस्त्र बलों की बहादुरी और बलिदान को सलाम करता है। उनके अटूट साहस और देशभक्ति ने सुनिश्चित किया कि हमारा देश सुरक्षित रहे। भारत उनके बलिदान और सेवा को कभी नहीं भूलेगा।"
यह संदेश इस बात को दर्शाता है कि भारतीय सेना न केवल देश के लिए बल्कि अन्याय के खिलाफ खड़े होने के लिए भी प्रतिबद्ध है।
भारतीय सेना ने साझा किया गौरवशाली वीडियो
इंडियन आर्मी ने इस दिन की स्मृति में एक वीडियो साझा किया, जिसमें 1971 की जीत की ऐतिहासिक झलकियां दिखाई गईं। वीडियो के साथ एक संदेश लिखा गया:
"विजय दिवस 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारतीय सशस्त्र बलों की निर्णायक जीत का प्रतीक है, एक ऐसी जीत जिसने भारत के सैन्य इतिहास को नया आकार दिया और एक नए राष्ट्र बांग्लादेश को जन्म दिया।"
यह वीडियो भारतीय सेना की उस रणनीतिक क्षमता और बहादुरी को दर्शाता है, जिसने केवल 13 दिनों में निर्णायक जीत हासिल की।
1971 का युद्ध: न्याय और मानवता का संघर्ष
1971 की यह जंग केवल एक सैन्य अभियान नहीं थी, बल्कि यह न्याय और मानवता का संघर्ष था। पूर्वी पाकिस्तान (आज का बांग्लादेश) में हो रहे अत्याचारों और मानवाधिकार उल्लंघनों के खिलाफ भारत ने निर्णायक कदम उठाया। भारतीय सेना ने बांग्लादेश के लोगों को न केवल आज़ादी दिलाई, बल्कि यह सुनिश्चित किया कि उन्हें एक नया जीवन मिले।
एक गौरवशाली अध्याय
1971 की जीत भारत के सैन्य इतिहास का स्वर्णिम अध्याय है। यह जीत केवल भारतीय सेना की ताकत का प्रदर्शन नहीं थी, बल्कि भारत की नैतिकता, न्यायप्रियता और अंतर्राष्ट्रीय जिम्मेदारी का भी प्रमाण है। विजय दिवस हर भारतीय के लिए गर्व और प्रेरणा का स्रोत है, जो हमें यह याद दिलाता है कि देशहित के लिए हर बलिदान स्वीकार्य है।
इस विजय दिवस पर पूरा देश उन वीरों को नमन करता है, जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना भारत और बांग्लादेश की जनता के लिए न्याय और स्वतंत्रता सुनिश्चित की। यह दिन हमें एकजुट होकर अपने राष्ट्र और उसके मूल्यों की रक्षा करने का संकल्प लेने का अवसर देता है।
#VijayDiwas marks the Decisive Victory of the Indian Armed Forces over Pakistan in the 1971 War, a triumph that reshaped India's military history and gave birth to a new nation; #Bangladesh, while ending Pakistan's relentless oppression and brutality on a people.
— ADG PI - INDIAN ARMY (@adgpi) December 16, 2024
In just 13… pic.twitter.com/OAvanj8EPD
Today, on the special occasion of Vijay Diwas, the nation salutes the bravery and sacrifice of India’s armed forces. Their unwavering courage and patriotism ensured that our country remained safe. India will never forget their sacrifice and service.
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) December 16, 2024
Today, on Vijay Diwas, we honour the courage and sacrifices of the brave soldiers who contributed to India’s historic victory in 1971. Their selfless dedication and unwavering resolve safeguarded our nation and brought glory to us. This day is a tribute to their extraordinary…
— Narendra Modi (@narendramodi) December 16, 2024