Republic Day 2025: भारत हर साल 26 जनवरी को अपना गणतंत्र दिवस धूमधाम से मनाता है, और इस अवसर पर एक विशिष्ट परंपरा का पालन किया जाता है—किसी न किसी विदेशी नेता को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित करना। यह समारोह न केवल भारत के संविधान के लागू होने का प्रतीक है, बल्कि यह देश की अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और वैश्विक रिश्तों को भी प्रगाढ़ करने का एक अवसर है।
इस बार कौन होंगे मुख्य अतिथि?
इस साल, भारत में गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि के रूप में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति, प्रबोवो सुबियांतो का नाम प्रमुखता से उभरा है। हालांकि, भारत की राजधानी नई दिल्ली द्वारा एक महत्वपूर्ण आपत्ति जताए जाने के बाद यह संभावना व्यक्त की जा रही है कि सुबियांतो अपने भारत दौरे के बाद पाकिस्तान की यात्रा नहीं करेंगे। पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जकार्ता ने राष्ट्रपति सुबियांतो के भारत दौरे के बाद पाकिस्तान जाने की योजना बनाई थी, लेकिन अब इसमें बदलाव की संभावना व्यक्त की जा रही है।
वैश्विक नेताओं की भागीदारी
भारत हर साल अपने गणतंत्र दिवस समारोह में वैश्विक नेताओं को आमंत्रित करता है, जिससे भारत की कूटनीतिक भूमिका और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को और मजबूती मिलती है। पिछले साल, 2024 में, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया था। इससे पहले 2023 में मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी भारत आए थे। इन वैश्विक नेताओं की उपस्थिति भारत के सम्मानित गणतंत्र दिवस समारोह को और भी गौरवमयी बना देती है।
कोविड-19 के कारण हुए बदलाव
COVID-19 महामारी के कारण 2021 और 2022 में गणतंत्र दिवस पर कोई मुख्य अतिथि नहीं थे। हालांकि, 2020 में ब्राजील के राष्ट्रपति, जेयर बोल्सोनारो ने गणतंत्र दिवस समारोह में भाग लिया था। इससे पहले, 2019 में दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा, 2018 में सभी 10 आसियान देशों के नेता और 2017 में अबू धाबी के क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने भी गणतंत्र दिवस परेड में भाग लिया था।
भूतकाल के विशिष्ट अतिथि
भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में हर साल एक विशेष अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप होता है, जिसमें दुनिया के प्रमुख नेता और कूटनीतिज्ञ शामिल होते हैं। 2016 में, फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद और 2015 में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि बने थे। 2014 में, जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे इस सम्मान का हिस्सा बने थे।
भारत के गणतंत्र दिवस परेड में इन वैश्विक नेताओं की उपस्थिति न केवल भारत के लोकतंत्र की महिमा को प्रदर्शित करती है, बल्कि यह भारत के कूटनीतिक संबंधों की सफलता का भी प्रतीक है। यह आयोजन भारतीय संस्कृति, विविधता और एकता की शक्ति को दुनिया भर में प्रस्तुत करने का एक महत्वपूर्ण मंच बन चुका है।
निष्कर्ष
भारत का गणतंत्र दिवस सिर्फ एक राष्ट्रीय पर्व नहीं है, बल्कि यह अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की भी मजबूती का प्रतीक है। हर साल मुख्य अतिथि की उपस्थिति से भारत की वैश्विक छवि और कूटनीतिक प्रयासों को और प्रगाढ़ बनाने का काम होता है। आगामी गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो की उपस्थिति, भारत और इंडोनेशिया के रिश्तों को और मजबूत करने में अहम भूमिका निभाएगी।