प्रधानमंत्री ने आज की तिथि क्यों चुनी?
प्रधानमंत्री मोदी ने माघ महीने की अष्टमी तिथि को पुण्य काल में पवित्र त्रिवेणी में स्नान करने का निर्णय लिया। हिंदू पंचांग के अनुसार, 5 फरवरी गुप्त नवरात्रि की अष्टमी तिथि है, जिसे धार्मिक रूप से अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन तप, ध्यान और साधना को बेहद फलदायी माना गया है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन स्नान और तप करने से सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।
यह दिन भीष्माष्टमी के रूप में भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाभारत के दौरान भीष्म पितामह ने माघ मास की अष्टमी तिथि पर ही श्रीकृष्ण की उपस्थिति में अपने प्राण त्यागे थे, जिससे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई।
पीएमओ की जानकारी और महाकुंभ का महत्व
महाकुंभ 2025, पौष पूर्णिमा के दिन 13 जनवरी को शुरू हुआ और यह 26 फरवरी को महाशिवरात्रि तक चलेगा। पीएमओ के अनुसार, महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, जो देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री तीर्थ स्थलों के विकास और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए निरंतर कार्य कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री के दौरे का पूरा कार्यक्रम:
सुबह 10:00 बजे: पीएम मोदी प्रयागराज एयरपोर्ट पर पहुंचेंगे, जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उनका स्वागत करेंगे।
सुबह 10:45 बजे: पीएम मोदी और सीएम योगी अरेल घाट पहुंचेंगे और बोट के जरिए संगम में स्नान के लिए जाएंगे।
सुबह 11:00 बजे: प्रधानमंत्री संगम में पवित्र स्नान करेंगे और संगम घाट पर विशेष आरती करेंगे।
दोपहर 12:30 बजे: प्रधानमंत्री प्रयागराज से वायुसेना के विमान द्वारा लौट जाएंगे।
महाकुंभ के आयोजन से पहले की थी गंगा आरती
प्रधानमंत्री मोदी ने महाकुंभ 2025 के पूर्व 13 दिसंबर 2024 को संगम तट पर गंगा आरती की थी। उन्होंने इस महा आयोजन के सफल संचालन के लिए प्रार्थना की थी। इस दौरान उन्होंने 5,500 करोड़ रुपये की 167 विकास परियोजनाओं का उद्घाटन भी किया था, जिससे प्रयागराज की बुनियादी संरचनाओं में बड़ा सुधार हुआ है। वर्ष 2019 के कुंभ में भी उन्होंने संगम स्नान किया था।
निष्कर्ष:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह दौरा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर को संजोने के उनके प्रयासों को भी दर्शाता है। महाकुंभ जैसे आयोजनों को वैश्विक पहचान देने और भारत की आध्यात्मिक शक्ति को मजबूत करने के लिए उनके प्रयास महत्वपूर्ण हैं।