Delhi Elections 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आम आदमी पार्टी (आप) और उसके प्रमुख अरविंद केजरीवाल के लिए मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। गृह मंत्रालय ने शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अरविंद केजरीवाल और पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस मामले में केजरीवाल को मास्टरमाइंड और किंगपिन करार दिया है। यह फैसला चुनावी माहौल में आप के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है।
केजरीवाल और सिसोदिया पर मुकदमा चलाने की अनुमति
पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि किसी भी सार्वजनिक पदाधिकारी के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए संबंधित अथॉरिटी से अनुमति लेना अनिवार्य होगा। अब गृह मंत्रालय ने ईडी को केजरीवाल और सिसोदिया के खिलाफ कार्रवाई करने की हरी झंडी दे दी है। ईडी पहले ही शराब घोटाले में केजरीवाल के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर चुकी है, जिसमें उन्हें घोटाले का मास्टरमाइंड बताया गया है।
चार्जशीट और कोर्ट की कार्यवाही
ईडी की चार्जशीट के बाद अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया था। उन्होंने मांग की थी कि चार्जशीट पर संज्ञान लेने पर रोक लगाई जाए। लेकिन ईडी ने 21 मार्च को दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया था और मई में उनके खिलाफ विस्तृत चार्जशीट पेश की।
चुनावी माहौल पर असर
दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर शराब घोटाला एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है। बीजेपी और कांग्रेस लगातार इस मामले को लेकर आप पर हमलावर हैं। विपक्षी पार्टियां इसे आप की भ्रष्टाचार नीति का उदाहरण बता रही हैं। गृह मंत्रालय की अनुमति के बाद केस की सुनवाई तेज हो सकती है, जिससे आप और केजरीवाल की चुनावी संभावनाओं पर असर पड़ सकता है।
क्या है दिल्ली का कथित शराब घोटाला?
कोरोना महामारी के दौरान नवंबर 2021 में दिल्ली सरकार ने एक नई आबकारी नीति लागू की थी। इस नीति के तहत दिल्ली में शराब के ठेके प्राइवेट कंपनियों को देने का प्रावधान किया गया था। हालांकि, जुलाई 2022 में इस नीति को लेकर विवाद खड़ा हो गया। इसके बाद दिल्ली के तत्कालीन उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इस मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए।
सीबीआई ने अपनी जांच में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत एफआईआर दर्ज की। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी इस मामले में जांच शुरू की। ईडी के अनुसार, यह घोटाला 100 करोड़ रुपये से अधिक का है। ईडी का दावा है कि शराब नीति बदलने के बदले आप सरकार ने दक्षिण भारत की कुछ कंपनियों से मोटी रकम ली।
आप का बचाव
आप पार्टी और उसके नेताओं ने इन आरोपों को राजनीतिक साजिश करार दिया है। पार्टी का कहना है कि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से की गई थी और सभी फैसले नियमों के तहत लिए गए थे। पार्टी का यह भी कहना है कि शराब नीति को अंतिम मंजूरी तत्कालीन उपराज्यपाल अनिल बैजल ने दी थी, इसलिए सरकार पर दोषारोपण करना गलत है।
चुनावी रणनीति पर प्रभाव
शराब घोटाला दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए एक अहम मुद्दा बनता जा रहा है। आप पार्टी को जहां अपनी सफाई देने में वक्त लग रहा है, वहीं विपक्षी दल इस मामले को लेकर लगातार हमले कर रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस घोटाले का असर दिल्ली के मतदाताओं पर पड़ सकता है। खासतौर पर शहरी मध्यम वर्ग और युवा वोटर, जो अब तक आप के समर्थन में रहे हैं, इस घोटाले के बाद प्रभावित हो सकते हैं।
निष्कर्ष
दिल्ली का कथित शराब घोटाला आगामी चुनावों में आप पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है। अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मिलने के बाद पार्टी पर दबाव और बढ़ गया है। इस मामले का न केवल राजनीतिक असर होगा, बल्कि यह दिल्ली की राजनीति के भविष्य को भी प्रभावित कर सकता है। अब देखना यह है कि आप पार्टी इस संकट से कैसे निपटती है और मतदाताओं का भरोसा दोबारा कैसे जीत पाती है।