Champions Trophy 2025: पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) अगले साल चैंपियंस ट्रॉफी की मेजबानी करने जा रहा है, लेकिन इस टूर्नामेंट के आयोजन को लेकर बीसीसीआई और पीसीबी के बीच विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। दोनों देशों के क्रिकेट बोर्ड के बीच यह विवाद अब तक जारी है, और आईसीसी ने इस विवाद को सुलझाने के लिए एक वर्चुअल मीटिंग आयोजित की है। आईसीसी की इस मीटिंग में उम्मीद की जा रही है कि वह पाकिस्तान पर दबाव बनाएगा, ताकि टूर्नामेंट को हाइब्रिड मॉडल के तहत आयोजित किया जा सके। हालांकि, इस बीच पीसीबी ने एक नई धमकी दी है, जिससे यह विवाद और भी गहरा सकता है।
पीसीबी की नई धमकी
पीसीबी ने अब साफ शब्दों में कहा है कि यदि आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी को हाइब्रिड मॉडल के तहत आयोजित करने के लिए पाकिस्तान पर दबाव डालता है, तो पाकिस्तान भी अगले बड़े टूर्नामेंट्स में भारत के खिलाफ ऐसी ही मांग रखेगा। पीसीबी के सूत्रों के हवाले से द टेलिग्राफ ने रिपोर्ट किया है कि अगर पाकिस्तान को हाइब्रिड मॉडल अपनाने के लिए मजबूर किया गया, तो वह आगामी महिला वनडे वर्ल्ड कप (2026) और पुरुषों के टी20 वर्ल्ड कप (2026) के आयोजन स्थल पर भारत से समान मांग करेगा।
पाकिस्तान का रुख
पीसीबी ने धमकी दी है कि अगर आईसीसी महिला वनडे वर्ल्ड कप के आयोजन में हाइब्रिड मॉडल लागू नहीं करता है, तो वह अपनी टीम को भारत नहीं भेजेगा। इसके अलावा, वह 2026 के टी20 वर्ल्ड कप के लिए सभी मुकाबले श्रीलंका में खेलने की मांग करेगा, न कि भारत में। यदि इन दोनों टूर्नामेंट्स के लिए पीसीबी की ये मांगें पूरी नहीं होतीं, तो वह अपनी टीम का नाम वापस ले सकता है।
हाल ही में पीसीबी के चेयरमैन मोहसिन नकवी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि यदि भारतीय टीम पाकिस्तान नहीं आती है, तो पाकिस्तानी टीम भी भारत नहीं जाएगी। यह बयान इस विवाद को और भी गंभीर बना सकता है, क्योंकि यह दोनों देशों के बीच क्रिकेट के रिश्तों को और तनावपूर्ण बना सकता है।
बीसीसीआई का बयान
बीसीसीआई के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी को हाइब्रिड मॉडल में आयोजित करने के विकल्प पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा, "हमारे लिए भारतीय खिलाड़ियों की सुरक्षा सबसे पहले है, और उसी आधार पर निर्णय लिया जाएगा। फिलहाल इस पर बातचीत चल रही है, और जब तक सभी पहलू स्पष्ट नहीं हो जाते, तब तक इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया जाएगा।"
राजीव शुक्ला का यह बयान इस विवाद को और भी पेचीदा बना सकता है, क्योंकि दोनों बोर्डों के बीच मतभेद अब और गहरे हो गए हैं। बीसीसीआई की प्राथमिकता भारतीय खिलाड़ियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए फैसला लेने की है, जबकि पीसीबी अपने खुद के फैसले पर अड़ा हुआ है, और किसी भी प्रकार की असमानता को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है।
भविष्य में क्या होगा?
आईसीसी की वर्चुअल मीटिंग के बाद इस विवाद का हल निकलने की उम्मीद है, लेकिन फिलहाल दोनों क्रिकेट बोर्डों के बीच कोई सहमति नहीं बन पाई है। पाकिस्तान ने हाइब्रिड मॉडल को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है, और अगर इसे लागू किया गया, तो वह अगले दो बड़े टूर्नामेंट्स में भी समान मांग कर सकता है। भारतीय क्रिकेट बोर्ड की स्थिति भी काफी स्पष्ट है, क्योंकि उसकी प्राथमिकता खिलाड़ियों की सुरक्षा है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि आईसीसी इस विवाद का समाधान कैसे करता है और क्या पाकिस्तान और भारत के क्रिकेट रिश्तों में कोई सुधार हो पाता है।
इस विवाद का असर न केवल आगामी टूर्नामेंट्स पर पड़ सकता है, बल्कि दोनों देशों के बीच क्रिकेट के रिश्तों पर भी गहरा प्रभाव डाल सकता है। क्रिकेट की दुनिया में यह एक बड़ा सवाल बन चुका है कि क्या दोनों देशों के बीच का यह विवाद किसी समाधान तक पहुंचेगा, या यह हमेशा के लिए एक विवादित मुद्दा बना रहेगा।