Betting App: इंटरनेट और स्मार्टफोन की बढ़ती पहुंच ने मनोरंजन की दुनिया में कई नए बदलाव लाए हैं, जिनमें से एक प्रमुख बदलाव है ऑनलाइन गेमिंग का क्रेज। आज के समय में यह न केवल बच्चों और युवाओं के लिए बल्कि हर उम्र के लोगों के बीच एंटरटेनमेंट का एक प्रमुख साधन बन चुका है। हालांकि, इस मनोरंजन के साधन के पीछे कई खतरे और नुकसान भी छिपे हुए हैं। हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया जिसने ऑनलाइन गेमिंग की खतरनाक लत के कारण होने वाले नुकसान को उजागर किया। बिहार के एक छात्र हिमांशु मिश्रा, जो कभी अपने शैक्षणिक उपलब्धियों के लिए प्रसिद्ध था, ऑनलाइन गेमिंग की लत के कारण 96 लाख रुपये के कर्ज में डूब गया।
ऑनलाइन गेमिंग: मनोरंजन से तबाही तक
जब ऑनलाइन गेमिंग की लत के मामलों की बात होती है, तो अक्सर लोग इसे हल्के में लेते हैं। लेकिन, हिमांशु मिश्रा की कहानी इस लत के गंभीर परिणामों का उदाहरण बनकर सामने आई है। हिमांशु ने अपनी गेमिंग यात्रा की शुरुआत सिर्फ 49 रुपये से की थी, लेकिन धीरे-धीरे यह आदत एक गंभीर समस्या बन गई। पहले मनोरंजन के रूप में शुरू हुई यह आदत जल्द ही एक खतरनाक लत में बदल गई, जिससे वह अपने परिवार और दोस्तों के साथ धोखाधड़ी करने तक पहुंच गया।
IIT JEE में 98% अंक प्राप्त करने वाले हिमांशु की कहानी
हिमांशु कोई साधारण छात्र नहीं था। उसने आईआईटी जेईई में 98% अंक प्राप्त किए थे, जिससे उसके परिवार को उस पर गर्व था। लेकिन, उसकी यह सफलता उसकी ऑनलाइन गेमिंग की लत के सामने टिक नहीं सकी। हिमांशु ने एक पॉडकास्ट प्रोग्राम में खुलासा किया कि उसने अपनी मां के बैंक खाते से 28 हजार रुपये और अपने पिता के अकाउंट से 88 हजार रुपये धोखे से निकाले। यह पैसे उसने ऑनलाइन गेमिंग में लगाए, लेकिन वह लगातार हारता गया।
धोखाधड़ी और कर्ज की भंवर में फंसता छात्र
हिमांशु ने ऑनलाइन गेमिंग में अपना खुद का पैसा गंवाने के बाद दूसरों से पैसे उधार लेने और उनके खातों से पैसे चुराने की भी कोशिश की। एक दोस्त से उसने 20 हजार रुपये उधार लिए, जिन्हें वह दोगुना कर वापस करने में सफल रहा। इस जीत के बाद, उसके दोस्त ने उस पर भरोसा करके अपना मोबाइल और बैंक अकाउंट तक दे दिया। लेकिन यह निर्णय दोस्त के लिए भारी पड़ गया, क्योंकि हिमांशु ने उस दोस्त की बहन की शादी के लिए जमा किए पैसे भी ऑनलाइन गेमिंग में गंवा दिए।
यह सिलसिला तब तक चलता रहा जब तक कि हिमांशु 96 लाख रुपये के भारी कर्ज में नहीं डूब गया। धीरे-धीरे, उसकी लत ने उसे और उसकी जिंदगी को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया। इस कर्ज की वजह से उसके परिवार वालों ने भी उससे किनारा कर लिया और वह आज एक कठिन स्थिति में जीने को मजबूर है।
ऑनलाइन गेमिंग की लत: एक खतरनाक वास्तविकता
हिमांशु की यह कहानी एक चेतावनी है कि कैसे ऑनलाइन गेमिंग की लत किसी की जिंदगी को बर्बाद कर सकती है। शुरू में इसे महज मनोरंजन मानकर नजरअंदाज किया जा सकता है, लेकिन अगर समय रहते इसे नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह गंभीर वित्तीय और मानसिक संकट में बदल सकती है।
ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां अक्सर अपने खेलों को इस तरह डिजाइन करती हैं कि खिलाड़ी उनमें लंबे समय तक लगे रहें। इन-ऐप खरीदारी और अन्य आकर्षक ऑफर खिलाड़ियों को बार-बार पैसे खर्च करने के लिए प्रेरित करते हैं, जिससे वे अपनी वास्तविक आर्थिक स्थिति को भूलकर एक आभासी दुनिया में खो जाते हैं।
आगे की राह: बच्चों और युवाओं को बचाने की जरूरत
हिमांशु की कहानी सिर्फ एक उदाहरण है, लेकिन ऐसे हजारों मामले हैं जो सामने नहीं आ पाते। यह जरूरी है कि ऑनलाइन गेमिंग की लत से बचने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। बच्चों और युवाओं के लिए खेलों पर निगरानी रखने की जरूरत है। माता-पिता, स्कूल, और सरकार को मिलकर ऐसे नियम बनाने चाहिए जो ऑनलाइन गेमिंग में अधिक समय बिताने से रोकें और इसके संभावित खतरों के प्रति जागरूक करें।
हिमांशु की जिंदगी का यह कठिन दौर सभी के लिए एक सबक है कि मनोरंजन का साधन, अगर लत बन जाए, तो वह कितनी गंभीर वित्तीय और मानसिक समस्याओं को जन्म दे सकता है।