J&K Election 2024: जम्मू-कश्मीर में लंबे अंतराल के बाद लोकतंत्र का नया अध्याय खुलने वाला है। आज से थोड़ी देर बाद ही जम्मू-कश्मीर के चुनाव परिणामों की गिनती शुरू होगी, जो यह तय करेगी कि राज्य का राजनीतिक भविष्य क्या होगा। लगभग 10 साल बाद हुए इन चुनावों ने सूबे की सियासत में फिर से हलचल पैदा की है। चुनावी नतीजे आते ही इस राज्य में लोकतांत्रिक प्रक्रिया का एक अहम पड़ाव पूरा हो जाएगा।
वोटों की गिनती का प्रारंभ
गिनती की प्रक्रिया में पहले पोस्टल बैलेट की गिनती की जाएगी, उसके बाद ईवीएम से डाले गए वोटों की गिनती होगी। शुरुआती कुछ घंटों में ही रुझान आना शुरू हो जाएंगे, और दोपहर तक यह स्पष्ट हो जाएगा कि कौन सी पार्टी सत्ता में आने के करीब है। यह चुनाव तीन चरणों में हुआ था—पहला चरण 18 सितंबर को, दूसरा 25 सितंबर को और तीसरा और अंतिम चरण 1 अक्टूबर को संपन्न हुआ था।
उमर अब्दुल्ला की शुभकामनाएं
वोटों की गिनती से पहले, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने अपने सभी साथियों और सहयोगियों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, "मैं अपने सभी साथियों और सहयोगियों को आज के दिन के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं देता हूं। हमने अच्छी लड़ाई लड़ी और अब इंशाअल्लाह, नतीजे भी उसी के अनुरूप होंगे।" उमर अब्दुल्ला की यह भावनाएं उनके आत्मविश्वास और पार्टी के प्रदर्शन को लेकर सकारात्मक संकेत दे रही हैं।
उमर अब्दुल्ला का चुनावी दांव
इस चुनाव में उमर अब्दुल्ला ने दो विधानसभा क्षेत्रों—गांदरबल और बडगाम—से चुनाव लड़ा है। उनकी रणनीति यह रही है कि बडगाम में पार्टी की पकड़ को मजबूत बनाए रखा जाए, जहां शिया आबादी का वर्चस्व है। हालांकि, इस सीट पर उनकी राह आसान नहीं है। बडगाम में विकास के मुद्दे पर स्थानीय जनता में नाराजगी की खबरें भी आ रही हैं, जो उमर अब्दुल्ला के लिए चिंता का विषय हो सकता है।
इस सीट पर मुंतजिर, जो बडगाम के शिया इलाकों में अच्छी पकड़ रखते हैं, उमर अब्दुल्ला को चुनौती दे सकते हैं। बडगाम में मुकाबला दिलचस्प और कड़ा माना जा रहा है। अगर उमर अब्दुल्ला यहां जीत दर्ज करते हैं, तो यह उनके राजनीतिक करियर और नेशनल कॉन्फ्रेंस के लिए एक महत्वपूर्ण सफलता होगी।
लोकतंत्र की बहाली का प्रतीक
जम्मू-कश्मीर में इतने लंबे समय बाद हो रहे चुनाव को लोकतंत्र की बहाली की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। यह चुनाव न केवल राजनीतिक दलों के लिए, बल्कि जनता के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये परिणाम राज्य की दिशा और दशा तय करेंगे। जम्मू-कश्मीर में स्थिरता और विकास को लेकर जनता की अपेक्षाएं काफी ऊंची हैं, और ऐसे में चुनावी नतीजे पूरे देश की नजरों में हैं।
निष्कर्ष
जम्मू-कश्मीर के चुनावी नतीजों का इंतजार सिर्फ राज्य में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में किया जा रहा है। यह चुनाव कई मायनों में ऐतिहासिक है, क्योंकि यह राज्य की सियासत में एक नया मोड़ ला सकता है। उमर अब्दुल्ला और अन्य राजनीतिक दलों के नेता इस मौके पर अपना भविष्य तय करने के लिए तैयार हैं। अब यह देखना होगा कि इन चुनावों के नतीजे जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक परिदृश्य में कितनी बड़ी भूमिका निभाते हैं।