Lok Sabha Speaker: 18वीं लोकसभा का पहला सत्र सोमवार से शुरू हो चुका है और बुधवार को आजाद भारत में पहली बार लोकसभा अध्यक्ष के लिए होगा चुनाव होगा. स्पीकर पद को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में आम सहमति नहीं बनी. सत्ता पक्ष ने ओम बिरला को स्पीकर पद का उम्मीदवार बनाया है तो वहीं विपक्ष ने के सुरेश को इस पोस्ट के लिए अपना प्रत्याशी बनाया है. इस तरह बुधवार यानी 26 जून को 72 साल से चली आ रही परपंररा टूट जाएगी क्योंकि आजादी के बाद से सर्वसम्मति से स्पीकर का चुनाव होता रहा है, लेकिन इस बार सत्ता पक्ष और विपक्ष में सहमति नहीं बन पाई. पहले ऐसी खबरें थीं कि स्पीकर पद के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष में सहमति बन गई है. विपक्ष ने ओम बिरला के नाम पर हामी भर दी है.
विपक्ष की तरफ से कहा गया कि वह स्पीकर पद के लिए कोई उम्मीदवार नहीं उतारेगा लेकिन डिप्टी स्पीकर का पद उसे चाहिए. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कल रात जब विपक्ष के नेताओं को फोन किया था तो तमाम नेताओं ने कहा था कि स्पीकर के पद पर एनडीए के उम्मीदवार का समर्थन करेंगे पर डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को मिलना चाहिए.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और संसदीय कार्यमंत्री किरण रिजीजू ने लोकसभा स्पीकर और डिप्टी स्पीकर के नामों पर आम सहमति बनाने के लिए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, मल्लिकार्जुन खरगे, अखिलेश यादव और ममता बेनर्जी से बात की है. साथ ही एनडीए के सहयोगी दलों के प्रमुख नेताओ से भी बात की थी. वहीं, डिप्टी स्पीकर को लेकर उन्होंने कहा था कि वो फोन पर इसकी जानकारी देंगे लेकिन राजनाथ सिंह की तरफ से कोई फोन नहीं गया. इसके बाद विपक्ष ने के सुरेश को स्पीकर पद का उम्मीदवार बनाया.
संविधान के अनुच्छेद 93 के तहत लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव किया जाता है. सांसद अपने में से दो सांसदों को सभापति और उपसभापति चुनते हैं. आम तौर पर सत्तापक्ष लोकसभा अध्यक्ष का पद अपने पास रखता है जबकि उपसभापति का पद विपक्षी दल को दिया जाता है. अब तक लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव सर्वसम्मति से होता आया है और स्वतंत्र भारत के इतिहास में इस पद के लिए कोई चुनाव नहीं हुआ है.
लोकसभा में उपाध्यक्ष के पद की मांग पर अड़ा विपक्ष
लोकसभा में उपाध्यक्ष के पद की मांग पर अड़े विपक्षी इंडिया गठबंधन ने चेतावनी दी थी कि अगर सरकार किसी विपक्षी नेता को उपाध्यक्ष बनाने पर सहमत नहीं हुई तो वे लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ेंगे. सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच सहमति नहीं बनी और इस तरह सर्वसम्मति से स्पीकर को चुने जाने की परंपरा टूट गई और अब मतदान के जरिए लोकसभा नए अध्यक्ष का चुनाव होगा.
18वीं लोकसभा के स्पीकर के लिए मंगलवार को सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल कर दिया है. विपक्ष स्पीकर के लिए अपना उम्मीदवार नहीं उतारती चाहती थी लेकिन वह डिप्टी स्पीकर पद की मांग पर अड़ी थी. मगर सत्ता पक्ष ने डिप्टी स्पीकर पद को लेकर कोई जवाब नहीं दिया. इसके बाद विपक्ष ने के सुरेश को लोकसभा स्पीकर पद के लिए अपना उम्मीदवार बनाया. बुधवार को वोटिंग के जरिए ही लोकसभा के अध्यक्ष पद का चुनाव होगा.लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव साधारण बहुमत के ज़रिए किया जाता है. यानी जिस उम्मीदवार को उस दिन लोकसभा में मौजूद आधे से ज्यादा सांसद वोट देते हैं, वह लोकसभा अध्यक्ष बनता है.
सहयोगी दलों के साथ बीजेपी का सरकार
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने 2014 और 2019 में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई थी, लेकिन इस बार सहयोगी दलों के सरकार सरकार बनाने में कामयाब रही है. 16वीं-17वीं लोकसभा में बीजेपी के पास पूर्ण बहुमत था. बीजेपी ने अपनी नेता सुमित्रा महाजन को 16वीं लोकसभा का अध्यक्ष बनाया था और उपाध्यक्ष का पद एआईएडीएमके को दिया था. एमथम्बी दुरई इस लोकसभा के उपाध्यक्ष थे. इसके बाद 2019 में बीजेपी के ओम बिरला 17वीं लोकसभा के अध्यक्ष बने थे, लेकिन लोकसभा में उपाध्यक्ष का चुनाव नहीं हुआ और पूरे कार्यकाल तक यह पद खाली रहा.
बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला तो बीजेपी ने टीडीपी और जेडीयू की मदद से एनडीए सरकार बनाई. इसीलिए चर्चा थी कि लोकसभा अध्यक्ष का पद बीजेपी अपने पास रखेगी या सहयोगी दलों को देगी. माना जा रहा है कि उपाध्यक्ष का पद टीडीपी को दे सकती है. वहीं, इंडिया गठबंधन ने तय किया है कि उपाध्यक्ष पद विपक्ष को नहीं मिला तो वो अध्यक्ष पद के लिए अपना उम्मीदवार खड़ा करेंगे. सोमवार को सत्ता पक्ष और विपक्ष में स्पीकर पद को लेकर सहमति नहीं बन पाई. इसके बाद विपक्ष ने स्पीकर पद के लिए अपना उम्मीदवार खड़ा किया क्योंकि सत्ता पक्ष डिप्टी स्पीकर का पोस्ट उसे देने पर राजी नहीं हुई.
‘विपक्ष को उपाध्यक्ष पद देने का कोई नियम नहीं’
मोदी सरकार के लोगों का कहना है कि विपक्ष को उपाध्यक्ष पद देने का कोई नियम नहीं है. यह परंपरा है, जिसको तोड़ने की शुरुआत कांग्रेस ने की है. दूसरी लोकसभा में पंडित जवाहर लाल नेहरू सरकार के दौरान कांग्रेस के ही हुकुम सिंह को यह जिम्मेदारी दी गई थी. गठबंधन सरकार के दौरान कई बार सरकार की अगुवाई करने वाले पार्टियों ने अध्यक्ष पद सहयोगी को देते हुए उपाध्यक्ष पद अपने पास रखा है.
अब तक सर्व सम्मति से चुने गए स्पीकर
आजादी के बाद पहली लोकसभा के स्पीकर चुने गए गणेश वसुदेव मावलंकर से लेकर 17वीं लोकसभा के अध्यक्ष रहे ओम बिरला सर्व सम्मति से चुने गए है. लोकसभा में उन सांसदों को स्पीकर का पद भी दिया गया है जो पहले सत्तापक्ष से नहीं थे.12वीं लोकसभा की अध्यक्षता टीडीपी के बालयोगी ने की जबकि उस समय बीजेपी के अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे. बालयोगी 13वीं लोकसभा के अध्यक्ष के रूप में भी चुना गया था. लेकिन इसी पद पर रहते हुए उनकी हेलिकॉप्टर दुर्घटना में मौत हो गई, जिसके बाद शिवसेना सांसद मनोहर जोशी 13वीं लोकसभा के अध्यक्ष थे.
मनमोहन सिंह नेतत्व वाली पहली यूपीए सरकार को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने बाहरी समर्थन दिया था, तब सीपीआई (एम) नेता सोमनाथ चटर्जी लोकसभा के अध्यक्ष बने थे. 2009 से 2014 तक 15वीं लोकसभा की अध्यक्ष रहीं मीरा कुमार लोकसभा अध्यक्ष का पद संभालने वाली पहली महिला थीं. उनके बाद बीजेपी की सुमित्रा महाजन 16वीं लोकसभा की अध्यक्ष बनीं. देश में अभी तक स्पीकर के लिए वोटिंग की नौबत नहीं आई थी. आजाद भारत में पहली बार लोकसभा अध्यक्ष के लिए होगा चुनाव होगा.