Ganesh Chaturthi 2024:गणपति जी घर में बैठाने जा रहे हैं तो जान लें पूजा विधि और स्थापना का सही नियम

09:02 PM Sep 06, 2024 | zoomnews.in

Ganesh Chaturthi 2024: 7 सितंबर से गणेश उत्सव की शुरुआत हो रही है, जो 17 सितंबर 2024 को अनंत चतुर्दशी के दिन समाप्त होगा। यह त्योहार हर साल भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होता है, जब घरों और पंडालों में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित की जाती है। दस दिनों तक पूजा के बाद गणेश जी का विसर्जन किया जाता है।

गणेश पूजा की आरंभ विधि

  • शुद्धता की शुरुआत: सबसे पहले एक बर्तन में जल लें और पूजा स्थान पर चटाई बिछाकर बैठ जाएं। हाथ में कुशा और जल लेकर निम्न मंत्र का उच्चारण करें:
  • 'ओम अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोअपी वा। य: स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाहान्तर: शुचि:।।'
  • जल को अपने ऊपर और पूजा की वस्तुओं पर छिड़कें, फिर तीन बार कुल्ला करें।
  • हाथ में जल लेकर ‘ॐ केशवाय नमः ॐ नारायणाय नमः ॐ माधवाय नमः ॐ हृषीकेशाय नमः’ का जाप करें और जल को मुंह पर डालें।

मूर्ति की स्थापना:

  • गणेश मूर्ति को उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करें, और मूर्ति का मुख उत्तर की ओर हो।
  • मूर्ति को अच्छी तरह से साफ करें और गंगाजल छिड़क कर पवित्र करें।
  • लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर अक्षत रखें। फिर मूर्ति को शुद्ध हाथों से स्थापित करें।
  • मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराएं और उसके बगल में ऋद्धि-सिद्धि या सुपारी रखें।
  • दाहिनी ओर कलश रखें और उसमें जल भरें।
  • हाथ में फूल और अक्षत लेकर गणपति बप्पा का ध्यान करें और उन्हें फल, फूल, मिठाई अर्पित करें।

पूजा और आरती:

  • पूजा में ‘ॐ गं गणपतये नमः’ मंत्र का जाप करें।
  • पूजा के अंत में गणेश जी की आरती करें।
  • गणेश स्थापना के महत्वपूर्ण नियम
  • गणपति बप्पा की मूर्ति को उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करें और उसका मुख पश्चिम की ओर होना चाहिए।
  • पूजा स्थान को पूरी तरह से साफ करें और अशुद्धता से मुक्त रखें।
  • गणेश जी की पूजा सुबह और शाम नियमित रूप से करें और उन्हें भोग अर्पित करें।
  • मूर्ति को स्थिर रखें, केवल विसर्जन के समय ही हटाएं।
  • उत्सव के दौरान नॉनवेज, शराब, लहसुन, और प्याज का सेवन न करें।
  • गणेश उत्सव के दौरान इन विधियों और नियमों का पालन करके आप अपनी पूजा को सही ढंग से और श्रद्धा के साथ अंजाम दे सकते हैं।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित है। इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।)