UP News: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने हाल ही में बुलडोजर एक्शन पर सवाल उठाए हैं और इसे कानून के अनुरूप न मानने की बात कही है। उन्होंने कहा कि आपराधिक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की सजा उनके परिजनों को नहीं मिलनी चाहिए और जो अधिकारी न्याय सुनिश्चित नहीं कर पा रहे हैं, उनके खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए।
मायावती ने मंगलवार को ट्वीट किया, “देश में आपराधिक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई कानून के तहत होनी चाहिए। इनके अपराध की सजा उनके परिवार को नहीं मिलनी चाहिए। हमारी पार्टी ने ‘कानून द्वारा कानून का राज’ स्थापित करके यह सिद्ध किया है।” उन्होंने यह भी कहा कि बुलडोजर का उपयोग सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार होना चाहिए और उचित यह होगा कि इसका उपयोग ही न करना पड़े, क्योंकि सख्त कानूनों के तहत आपराधिक तत्वों से निपटा जा सकता है। साथ ही, उनके परिवारों पर कार्रवाई की बजाय उन अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए जो सही न्याय नहीं दिला पा रहे हैं।
इस बीच, केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने भी बुलडोजर एक्शन पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के तर्क पर चिंता जताते हुए कहा कि आरोपियों की संपत्तियों को ध्वस्त करना नियमों का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट ने 17 सितंबर को इस मामले की सुनवाई जारी रखने का निर्णय लिया है और "बुलडोजर जस्टिस" की प्रथा पर गाइडलाइन जारी करने की बात की है। इस प्रथा के तहत आपराधिक गतिविधियों में शामिल व्यक्तियों की संपत्तियों को ध्वस्त किया जाता है, जो एक महत्वपूर्ण विवाद का विषय रहा है।
अधिकारियों पर भी हो कार्रवाई
उन्होंने कहा, ‘बुलडोजर का भी इस्तेमाल अब सुप्रीम कोर्ट के आने वाले निर्णय के मुताबिक ही होना चाहिए. हालांकि उचित तो यही होगा कि इसका इस्तेमाल करने की जरूरत ही ना पड़े क्योंकि आपराधिक तत्वों से सख्त कानूनों के तहत भी निपटा जा सकता है, जबकि आपराधिक तत्वों के परिवार व नजदीकियों पर बुलडोजर का इस्तेमाल करने की बजाय संबंधित अधिकारियों पर ही कठोर कार्रवाई होनी चाहिए, जो ऐसे तत्वों से मिलकर, पीड़ितों को सही न्याय नहीं देते हैं. सभी सरकारें इस ओर जरूर ध्यान दें.’
बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट जारी करेगा गाइडलाइन
वहीं, बुलडोजर एक्शन पर एनडीए सरकार में शामिल व केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने भी सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का ये कहना कि सिर्फ आरोपी होने पर कैसे बुलडोजर चल सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने गलत क्या कहा है. दरअसल, बुलडोजर एक्शन मामले पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा है कि किसी आरोपी या संदिग्ध या यहां तक कि दोषी की संपत्ति को ध्वस्त नहीं किया जा सकता है. इस संबंध में हम गाइडलाइन जारी करेंगे. जाहिर तौर पर यह नियमों का उल्लंघन है.
सुप्रीम कोर्ट 17 सितंबर को मामले की सुनवाई जारी रखेगा. शीर्ष अदालत आपराधिक गतिविधियों में शामिल व्यक्तियों से जुड़ी कथित संपत्तियों को ध्वस्त करने के लिए बुलडोजर एक्शन की प्रथा से संबंधित कई मामलों पर विचार कर रही है. इसे अक्सर “बुलडोजर जस्टिस” कहा जाता है, यह भी महत्वपूर्ण विवाद का विषय रहा है.