Japan News:जानें कौन हैं शिगेरू इशिबा, जो जापान के नए प्रधानमंत्री बनने जा रहे है

02:10 PM Sep 27, 2024 | zoomnews.in

Japan News: जापान को नया प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा के रूप में मिल गया है। सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) ने शिगेरू इशिबा को अपना नेता चुन लिया है, और अब उनका प्रधानमंत्री के रूप में चुना जाना तय है, क्योंकि एलडीपी गठबंधन संसद के दोनों सदनों में बहुमत में है। इशिबा अगले सप्ताह आधिकारिक रूप से प्रधानमंत्री का कार्यभार संभालेंगे।

एलडीपी में नेतृत्व चुनाव

इशिबा को एलडीपी के सांसदों और जमीनी स्तर के सदस्यों ने पार्टी के नेता के रूप में चुना है। वर्तमान प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हुए हैं, और पार्टी ने जनता का विश्वास वापस जीतने के लिए इशिबा को नया नेता चुना। इस चुनाव में दो महिलाओं समेत कुल नौ उम्मीदवार मैदान में थे।

पार्टी के भीतर शिगेरू इशिबा, साने ताकाइची (आर्थिक सुरक्षा मंत्री), और शिंजिरो कोइज़ुमी (पूर्व पर्यावरण मंत्री) को सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा था। इशिबा को मीडिया के सर्वेक्षणों में सबसे आगे बताया गया, और अंततः उन्होंने यह नेतृत्व का चुनाव जीत लिया।

पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के करीबी ताकाइची की हार

साने ताकाइची, जो पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की करीबी मानी जाती हैं, इस चुनाव में असफल रहीं। वह कट्टर रूढ़िवादी नेताओं में गिनी जाती हैं। इसके अलावा, शिंजिरो कोइज़ुमी, पूर्व प्रधानमंत्री जुनिचिरो कोइज़ुमी के बेटे हैं। हालांकि, इन सभी नेताओं ने मजबूत प्रदर्शन किया, लेकिन अंततः इशिबा ने बाजी मारी।

जापान के नए प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा कौन हैं?

शिगेरू इशिबा जापान के पूर्व रक्षामंत्री रह चुके हैं। उन्होंने राजनीति में लंबा सफर तय किया है और उन्हें किताबें पढ़ने का बेहद शौक है, वह एक दिन में तीन किताबें पढ़ते हैं। 67 वर्षीय इशिबा ने इससे पहले चार बार पार्टी के शीर्ष पद के लिए असफल प्रयास किए थे। 1986 में पहली बार संसद पहुंचे इशिबा ने जापान की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के दौर में राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी।

किशिदा की सरकार और इशिबा की चुनौती

पिछले दो सालों में एलडीपी पर कई घोटालों के कारण जनता का विश्वास कम होता गया है। आलोचकों ने एलडीपी पर एक चर्च से संदिग्ध संबंधों के खुलासे और रिकॉर्ड न किए गए दानों को लेकर कई सवाल उठाए थे। प्रधानमंत्री किशिदा और उनके मंत्रिमंडल को इन आरोपों का सामना करना पड़ा, और अंततः उन्हें पद छोड़ने का निर्णय लेना पड़ा।

फुमियो किशिदा और उनकी सरकार मंगलवार को इस्तीफा देंगे, और इसके बाद इशिबा प्रधानमंत्री का पद संभालेंगे। इशिबा ने अपनी जीत को "अंतिम लड़ाई" के रूप में देखा है। उन्होंने अपने चुनावी अभियान की शुरुआत अपने गृह प्रांत टोटोरी के शिंटो मंदिर से की थी, जहां उनके पिता गवर्नर थे।

आगे की राह

जापान में राजनीतिक अस्थिरता का इतिहास रहा है, और इशिबा के सामने देश की स्थिरता को बनाए रखने की बड़ी चुनौती होगी। अगर वह पार्टी के गुटीय संघर्षों को नियंत्रित कर पाते हैं, तो उन्हें एक स्थिर नेतृत्व देने का अवसर मिलेगा। जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने और एलडीपी की खोई साख को वापस लाने के लिए इशिबा के पास अब एक बड़ा अवसर है।