Lebanon News: लेबनान की संसद ने गुरुवार को देश के सैन्य कमांडर जोसेफ औन को राष्ट्रपति के रूप में चुन लिया है। इस फैसले के साथ ही राष्ट्रपति का पद, जो पिछले दो साल से खाली था, अब भर गया है। जोसेफ औन की नियुक्ति देश की विधायिका द्वारा 13वीं कोशिश में सफल हुई। गौरतलब है कि पूर्व राष्ट्रपति मिशेल औन का कार्यकाल अक्टूबर 2022 में समाप्त हो गया था और तब से यह पद खाली पड़ा था।
अमेरिका और सऊदी अरब के समर्थन से बने राष्ट्रपति
जोसेफ औन को अमेरिका और सऊदी अरब का पसंदीदा उम्मीदवार माना जा रहा था। लेबनान के लिए इस समर्थन का बहुत महत्व है, क्योंकि देश को आर्थिक संकट से उबरने और पुनर्निर्माण के लिए अंतरराष्ट्रीय मदद की सख्त जरूरत है। इसके साथ ही, यह सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि इजराइल के साथ हुए समझौते के तहत दक्षिणी लेबनान से इजराइली सेना पूरी तरह से हट जाए।
इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच संघर्ष
जोसेफ औन की नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब लेबनान में कई चुनौतियां मौजूद हैं। हाल ही में इजराइल और लेबनान के उग्रवादी समूह हिजबुल्लाह के बीच जारी 14 महीने के संघर्ष को रोकने के लिए एक अस्थिर युद्धविराम समझौता हुआ है। यह वोटिंग इस युद्धविराम के कुछ हफ्तों बाद हुई है। इस बीच, लेबनान के नेता अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आर्थिक मदद की मांग कर रहे हैं ताकि देश के पुनर्निर्माण कार्यों को आगे बढ़ाया जा सके।
लेबनान: एक ऐतिहासिक देश
लेबनान पश्चिमी एशिया में स्थित एक छोटा लेकिन ऐतिहासिक देश है। इसकी राजधानी बेरूत है, जिसे मिडिल ईस्ट के सबसे पुराने और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध शहरों में से एक माना जाता है। लेबनान की सीमाएं दक्षिण में इजराइल और उत्तर व पूर्व में सीरिया से लगती हैं। 1943 में लेबनान को स्वतंत्रता मिली थी। इससे पहले यह क्षेत्र विभिन्न सभ्यताओं के शासन के अधीन रहा, जिनमें रोमन, बाइजेंटाइन, अरब और ऑटोमन साम्राज्य प्रमुख हैं।
फ्रांसीसी शासन से स्वतंत्रता तक का सफर
20वीं सदी की शुरुआत में लेबनान फ्रांस के अधीन था। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, 1944 में लेबनान ने औपचारिक रूप से स्वतंत्रता प्राप्त की। देश की अर्थव्यवस्था में बैंकिंग और पर्यटन का बड़ा योगदान है। हालांकि, 21वीं सदी में लेबनान को कई गंभीर आर्थिक और राजनीतिक संकटों का सामना करना पड़ा है। इनमें मंदी, सरकार की अस्थिरता और 2020 में बेरूत में हुए विनाशकारी विस्फोट शामिल हैं।
हिजबुल्लाह की राजनीतिक भूमिका
लेबनान की राजनीति में धार्मिक गुटों का खासा प्रभाव है। देश का दक्षिणी भाग हिजबुल्लाह संगठन के प्रभाव में है। हिजबुल्लाह, जो एक शिया मुस्लिम उग्रवादी और राजनीतिक संगठन है, लेबनान की राजनीति में एक अहम भूमिका निभाता है। 1975 से 1990 तक चले लेबनानी गृहयुद्ध ने देश की राजनीति और सामाजिक ढांचे को गहराई से प्रभावित किया। गृहयुद्ध के बाद से लेबनान की राजनीतिक स्थिति लगातार अस्थिर बनी हुई है।
आर्थिक संकट और पुनर्निर्माण की चुनौती
21वीं सदी में लेबनान को कई आर्थिक संकटों का सामना करना पड़ा है। हाल के वर्षों में, देश ने मंदी, भ्रष्टाचार, और सरकारी अस्थिरता जैसी समस्याओं का सामना किया है। 2020 में बेरूत पोर्ट में हुए विस्फोट ने देश की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका दिया। इसके बाद से लेबनान अंतरराष्ट्रीय मदद की ओर देख रहा है। जोसेफ औन की नियुक्ति से यह उम्मीद की जा रही है कि देश में राजनीतिक स्थिरता आएगी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लेबनान की स्थिति मजबूत होगी।
लेबनानी संस्कृति और खानपान
लेबनान अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए भी जाना जाता है। यहां का पारंपरिक भोजन हम्मस, तब्बूले, फतूश, कबाब और बकलावा दुनियाभर में मशहूर है। इसके अलावा, लेबनान की संगीत और साहित्यिक परंपरा भी काफी समृद्ध है।
नई चुनौतियों के साथ नई शुरुआत
जोसेफ औन के राष्ट्रपति बनने के बाद लेबनान के सामने कई चुनौतियां हैं। देश को न केवल अपनी आंतरिक समस्याओं का समाधान करना है, बल्कि पड़ोसी देशों के साथ अपने संबंधों को भी संतुलित रखना है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की मदद से लेबनान अपने पुनर्निर्माण कार्यों को आगे बढ़ा सकता है और आर्थिक संकट से बाहर निकलने का रास्ता खोज सकता है। नई सरकार के सामने मुख्य चुनौती राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने और देश को आर्थिक रूप से पुनर्जीवित करने की होगी।