Bangladesh Violence: बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को लेकर ‘सेंटर फॉर डेमोक्रेसी, प्लूरलिज्म एंड ह्यूमन राइट्स’ (CDPHR) ने एक नई और चौंकाने वाली रिपोर्ट प्रस्तुत की है। ‘Minorities Under Siege In Bangladesh’ नामक इस रिपोर्ट को CDPHR की प्रेजिडेंट डॉ. प्रेरणा मल्होत्रा और प्रो. कपिल कुमार ने सार्वजनिक किया। इस रिपोर्ट में बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रही हिंसा और सरकार की कथित लापरवाही को उजागर किया गया है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
डॉ. प्रेरणा मल्होत्रा ने इस रिपोर्ट की गंभीरता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय हिंसा का सामना कर रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, शेख हसीना के सत्ता से हटने के चार दिनों के भीतर ही 190 घटनाएं दर्ज की गईं जिनमें हिंदू समुदाय के घरों और संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया।
इसके अतिरिक्त:
- 16 मंदिरों को नष्ट कर दिया गया।
- 20 अगस्त तक 2,000 से अधिक हिंसा के मामले दर्ज हुए।
- 69 हिंदू मंदिरों को तोड़फोड़ का सामना करना पड़ा।
- 477 मामले महिलाओं और बच्चों के खिलाफ दर्ज किए गए।
मोहम्मद यूनुस सरकार की नाकामी
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि 8 अगस्त को मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के आने के बाद उम्मीद थी कि हिंसा रुक जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में सरकार विफल रही। डॉ. मल्होत्रा ने कहा, "सरकार का मुख्य काम सभी नागरिकों की सुरक्षा करना है, लेकिन बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ नरसंहार जैसे हालात बन चुके हैं।"
दुनिया की चुप्पी पर सवाल
CDPHR ने इस बात पर भी जोर दिया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस विषय पर चुप है। दुनिया के बड़े देशों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे बांग्लादेश की सरकार पर दबाव डालें ताकि हिंदुओं पर हो रही हिंसा को रोका जा सके। प्रो. कपिल कुमार ने कहा, "अगर इन घटनाओं को रोका नहीं गया तो इसका असर केवल बांग्लादेश तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे क्षेत्र और विश्व पर पड़ेगा।"
हिंदुओं का नरसंहार: एक सुनियोजित प्रयास?
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि बांग्लादेश से हिंदुओं को पूरी तरह खत्म करने के लिए सुनियोजित नरसंहार हो रहा है। जिहादियों ने न केवल हिंदुओं की संपत्ति और मंदिरों को निशाना बनाया बल्कि महिलाओं और बच्चों को भी हिंसा का शिकार बनाया।
क्या कर सकते हैं बड़े देश?
CDPHR ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि वे बांग्लादेश सरकार को जिम्मेदारी का अहसास कराएं। संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक संस्थानों को सक्रिय भूमिका निभाते हुए बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।
निष्कर्ष
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमले केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी गंभीर खतरा हैं। इस रिपोर्ट ने न केवल हिंसा की घटनाओं को उजागर किया है, बल्कि एक चेतावनी दी है कि यदि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने समय पर कार्रवाई नहीं की, तो परिणाम और भी भयावह हो सकते हैं। हिंदुओं के अधिकारों और उनकी सुरक्षा की रक्षा के लिए अब ठोस कदम उठाने का समय आ गया है।