China-Russia Friendship:जापान की बढ़ी चीन-रूस की दोस्ती से टेंशन, जानिए क्या है पूरा मामला

09:46 PM Sep 11, 2024 | zoomnews.in

China-Russia Friendship: चीन और रूस ने हाल ही में जापान सागर में संयुक्त सैन्य अभ्यास शुरू किया है, जिसे बीते तीन दशकों का सबसे बड़ा सैन्य ड्रिल माना जा रहा है। इस अभ्यास का नाम ‘नॉर्दर्न यूनाइटेड-2024’ है और यह जापान सागर के साथ-साथ उत्तर में ओखोटस्क सागर में भी किया जाएगा।

अभ्यास की संरचना और उद्देश्य

चीन के रक्षा मंत्रालय ने इस बड़े सैन्य अभ्यास के बारे में जानकारी दी कि यह ड्रिल दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने और सुरक्षा खतरों का संयुक्त तरीके से मुकाबला करने के लिए डिज़ाइन की गई है। इसमें 400 से अधिक वॉरशिप, सबमरीन और सपोर्ट वेसेल शामिल हैं। यह ड्रिल रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा घोषित 'ओशिन-2024' के अंतर्गत आता है और 16 सितंबर तक चलेगा।

चीन ने इस संयुक्त नौसैनिक और हवाई अभ्यास की घोषणा करते हुए बताया कि दोनों देशों की नौसेनाएं प्रशांत महासागर में एक साथ यात्रा करेंगी और रूस के 'ग्रेट ओशिन-24' अभ्यास में शामिल होंगी। इस अभ्यास के माध्यम से चीन और रूस अपनी सैन्य शक्ति और सामरिक क्षमताओं का प्रदर्शन कर रहे हैं।

जापान के लिए बढ़ती चिंता

चीन और रूस के इस संयुक्त सैन्य अभ्यास ने जापान के लिए चिंता बढ़ा दी है। जापान के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि उन्होंने हाल ही में 5 चीनी नौसना के जहाजों को सुशिमा स्ट्रेट से उत्तर-पूर्व की ओर जापान सागर की दिशा में जाते हुए देखा। सुशिमा स्ट्रेट दक्षिण कोरिया और जापान के बीच स्थित है और दक्षिण चीन सागर और जापान सागर को जोड़ता है, हालांकि यह जापान के जल क्षेत्र में नहीं आता है।

जापान के रक्षा बलों ने इन जहाजों की निगरानी की और उनकी तस्वीरें जारी की हैं। जापान का चीन और रूस के साथ क्षेत्रीय विवादों के कारण यह टेंशन और भी बढ़ गई है। जापान के पूर्वी चीन सागर में सेनकाकू द्वीपों को लेकर और रूस के साथ होक्काइडो और कामचटका के बीच कुरील द्वीपों को लेकर विवाद है। यही वजह है कि जापान के जल क्षेत्र के करीब चीन और रूस की नौसेनाओं की मौजूदगी ने जापान की चिंताओं को और अधिक बढ़ा दिया है।

रूस-यूक्रेन युद्ध और चीन-रूस संबंध

रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से चीन ने रूस के साथ अपने संबंधों को और भी मजबूत किया है। चीन ने रूस को बढ़-चढ़कर समर्थन किया है, जबकि जापान ने अमेरिका और अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर रूस के खिलाफ प्रतिबंधों में भाग लिया है। इसके परिणामस्वरूप, जापान और चीन के बीच संबंध तेजी से खराब हुए हैं।

चीन ने रूस को न केवल राजनीतिक और कूटनीतिक समर्थन दिया है बल्कि आर्थिक रूप से भी मदद की है। रूस पर लगे प्रतिबंधों से उबरने में चीन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पिछले दो वर्षों में, चीन ने रूस से रिकॉर्ड मात्रा में तेल और गैस खरीदी है। 2021 में चीन ने रूस से 80 बिलियन डॉलर का आयात किया था, जो 2022 में बढ़कर करीब 115 बिलियन डॉलर हो गया और 2023 में यह आंकड़ा 129 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया।

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने हाल ही में दावा किया कि चीन भले ही रूस को हथियार नहीं भेज रहा है, लेकिन वह तेजी से घातक हथियार बनाने के लिए जरूरी उपकरण प्रदान कर रहा है। ब्लिंकन के अनुसार, रूस अपनी 70 फीसदी मशीन टूल्स और 90 फीसदी माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स चीन से आयात कर रहा है। इस तरह की सहायता के बावजूद, अमेरिका ने चीन की कई कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया है, लेकिन इससे चीन और रूस की दोस्ती पर कोई असर नहीं पड़ा है।

निष्कर्ष

चीन और रूस का संयुक्त सैन्य अभ्यास न केवल सैन्य दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह वैश्विक भू-राजनीति में भी एक महत्वपूर्ण मोड़ को दर्शाता है। जापान की सुरक्षा चिंताओं को बढ़ाते हुए, यह अभ्यास एक संकेत हो सकता है कि कैसे वैश्विक शक्तियाँ अपनी रणनीतिक स्थिति को और मजबूत करने के लिए एक साथ मिलकर काम कर रही हैं। आने वाले समय में, यह देखना दिलचस्प होगा कि इस अभ्यास का क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा पर क्या प्रभाव पड़ता है।