Israel-Palestine War: संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत ने फिलिस्तीनी क्षेत्रों में इजराइल की मौजूदगी को गैरकानूनी बताते हुए इसे खत्म करने को कहा. साथ ही 57 साल पहले कब्जा की गई जमीन पर इजराइल के शासन की आलोचना भी की. वहीं इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट के 15-जजों के पैनल के राय की निंदा की. उन्होंने कहा कि ये क्षेत्र यहूदी लोगों की ऐतिहासिक मातृभूमि का हिस्सा हैं. लेकिन कोर्ट का निर्णय अंतरराष्ट्रीय राय को प्रभावित कर सकती है और फिलिस्तीनी राज्य की एकतरफा मान्यता के लिए कदम बढ़ा सकती है.
कोर्ट ने कहा कि वेस्ट बैंक और पूर्वी येरुशलम में इजराइली बस्तियों का निर्माण और विस्तार, क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग, भूमि पर कब्ज़ा और स्थायी नियंत्रण और फिलिस्तीनियों के खिलाफ भेदभावपूर्ण नीतियां अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है.
इजराइल को संप्रभुता का अधिकार नहीं
उन्होंने कहा कि इजराइल को क्षेत्रों में संप्रभुता का कोई अधिकार नहीं है, वह बलपूर्वक क्षेत्र हासिल करके अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन कर रहा है. साथ ही फिलिस्तीनियों के आत्मनिर्णय के अधिकार में बाधा डाल रहा है. इसमें कहा गया है कि अन्य राष्ट्र क्षेत्रों में इजराइल की उपस्थिति को बनाए रखने में सहायता प्रदान नहीं करने के लिए बाध्य हैं.
इजराइल का मौजूदगी गैरकानूनी
कोर्ट ने कहा कि कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्र में इजराइल का उपस्थिति गैरकानूनी है. इसलिए जितनी जल्दी हो सके यह खत्म किया जाना चाहिए. फिलिस्तीनी अनुरोध के बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा मांगी गई कोर्ट की राय, गाजा पर इजराइल के सैन्य हमले पर आई, जो 7 अक्टूबर को दक्षिणी इजराइल में हमास के नेतृत्व वाले हमलों से शुरू हुई थी.
गाजा में इजराइल का नरसंहार
एक अलग मामले में, अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट दक्षिण अफ्रीकी दावे पर विचार कर रहा है कि गाजा में इजराइल का अभियान नरसंहार के समान है. हालांकि इजराइल ने इस दावे को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि महासभा और सुरक्षा परिषद को क्षेत्रों में इजराइल की उपस्थिति को खत्म करने के लिए विचार करना चाहिए. बता दें कि यहां कट्टर इजराइली सहयोगी अमेरिका के पास वीटो है.