Reserve Bank Of India: गुरुवार को यूरोपीय सेंट्रल बैंक ने अपनी ब्याज दरों में कटौकी की है. ईसीबी ने ब्याज दरों में कटौती करने का फैसला 5 साल बाद लिया है. अब इम्तिहान की घड़ी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की है. जिसकी आज यानी शुक्रवार को मॉनेटरी पॉलिसी की मीटिंग खत्म होगी. उसके बाद आरबीआई गवर्नर ब्याज दरों को लेकर लिए फैसले का ऐलान करेंगे. महंगाई के आंकड़ें कई महीनों के लोअर लेवल पर हैं. ईसीबी ने ब्याज दरों में कटौती का ऐलान कर दिया है.
फेड रिजर्व भी ब्याज दरों को लेकर जल्द ही ऐलान कर सकता है. ऐसे में भारत के लोगों को इस मीटिंग से काफी उम्मीदें हैं. ये मीटिंग ऐसे समय पर हुई हैं, जब देश में लोकसभा चुनाव के परिणाम तो आ चुके हैं, लेकिन प्रधानमंत्री पद के लिए शपथ किसी ने नहीं ली है. खबर है कि 9 जून यानी रविवार पीएम पद के लिए शपथ हो जाएगी.
खास बात तो ये है कि मई 2022 से फरवरी 2023 तक ब्याज दरों में इजाफा किया था. रेपो रेट में 2.50 फीसदी की बढ़ोतरी की गई. जिसके बाद पॉलेसी रेट 6.50 फीसदी पर आ गए. उसके बाद से ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं हुआ है. इसका मतलब है कि बीती 7 मीटिंग में ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं हुआ है. सबसे बड़ा सवाल यही है कि गुरुवार को होने वाली मीटिंग में ब्याज दर में कटौती होगी या नहीं?
इस बार भी बदलाव की संभावना नहीं
विशेषज्ञों का मानना है कि महंगाई की चिंताओं के बीच आरबीआई नीतिगत दर पर यथास्थिति बनाए रखेगा. हालांकि, यूरोपीय सेंट्रल बैंक और बैंक ऑफ कनाडा ने अपनी-अपनी प्रमुख नीतिगत दरों में कटौती शुरू कर दी है. आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के विचार-विमर्श के बाद दास सुबह 10 बजे निर्णय की जानकारी देंगे. एमपीसी की तीन दिवसीय बैठक बुधवार को शुरू हुई। विशेषज्ञों ने कहा कि चूंकि आर्थिक वृद्धि में तेजी आ रही है, ऐसे में एमपीसी नीतिगत दर में कटौती से बच सकती है.
लगातार दो महीने से महंगाई हुई कम, लेकिन
भले ही बीते दो महीने में महंगाई के आंकड़ें 5 फीसदी से नीचे देखने को मिले थे. जबकि अपैल के महीले महंगाई के आंकढ़ें 4.83 फीसदी पर आ गई थे. जबकि उससे पहले मार्च के महीने में महंगाई आंकड़ें 4.85 फीसदी देखने को मिला. इसका मतलब है कि महंगाई में कंट्रोल देखने को मिल रहा है. वहीं लेकिन एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति मई में 5 फीसदी रहने (आंकड़ा इस महीने के दूसरे सप्ताह जारी होगी) का अनुमान है. आरबीआई का अनुमान है कि मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की महंगाई दर 4.5 फीसदी रह सकती है.
मानसून पर रहेगा फोकस
वहीं दूसरी ओर आरबीआई एमपीसी बैठक में मानसून भी पूरे फोकस में रहने हे वाला हैं. मानसून किस तरह का रहेगा और कैसा रहेगा. उसी के आधार पर महंगाई और जीडीपी के अनुमान भी देखने को मिलेगा. साथ ही देश का एग्रीकल्चर ग्रोथ किस तरह का देखने को मिल सकता है. वहीं दूसरी ओर मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर की भूमिका किस तरह की होगी, इस बारे में भी चर्चा होने वाली है. इन तमाम बातों का जिक्र आरबीआई गवर्नर अपनी स्पीच में भी कर सकते हैं.