Ravindra Singh Bhati: राजस्थान की राजनीति में निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी हमेशा चर्चा में रहते हैं। बाड़मेर जिले की शिव विधानसभा सीट से विधायक भाटी एक बार फिर सुर्खियों में हैं, लेकिन इस बार वजह कुछ अलग है। हाल ही में उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसमें वह पुलिस की गाड़ी से दो युवकों को छुड़ाते नजर आ रहे हैं।
घटना का विवरण
वायरल वीडियो में दिखाया गया है कि विधायक भाटी पुलिस जीप से दो युवकों को उतार रहे हैं। घटनास्थल पर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी मौजूद थे, लेकिन वे मूकदर्शक बने रहे। पास में ही प्रदर्शन कर रहे लोगों का समूह भी नजर आया। वीडियो में भाटी ने पुलिसकर्मियों से सवाल किया कि युवकों को क्यों हिरासत में लिया गया। जवाब में पुलिसकर्मियों ने कहा कि यह गिरफ्तारी नहीं है। इसके बाद विधायक ने दोनों युवकों को पुलिस हिरासत से बाहर निकाल दिया।
पुलिस प्रशासन की प्रतिक्रिया
इस घटना पर बाड़मेर के एसपी सुधीर चौधरी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने एनडीटीवी को बताया कि इस तरह का आचरण एक जिम्मेदार विधायक से उम्मीद के विपरीत है। एसपी ने कहा कि वीडियो सही पाया गया है और विधायक के इस कृत्य पर कानूनी कार्रवाई होगी। मामले की जांच सीआईडी-सीबी को सौंपी गई है।
ओरण का संरक्षण: भाटी की लड़ाई
विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर एक वीडियो साझा करते हुए अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने लिखा:
"हम लड़ेंगे… ओरण हमारी है और उसके संरक्षण की जिम्मेदारी भी हमारी है।"
भाटी का यह संदेश न केवल उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है, बल्कि राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर ओरण के प्रति उनकी आस्था को भी उजागर करता है। ओरण पारंपरिक रूप से राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षित क्षेत्र होता है, जो स्थानीय समुदाय के लिए एक धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है।
राजनीति और ओरण संरक्षण का संबंध
भाटी का बयान यह दर्शाता है कि यह मामला केवल कानून-व्यवस्था तक सीमित नहीं है। यह ओरण के अस्तित्व और उसके संरक्षण की लड़ाई है। भाटी का यह कहना कि ओरण ने समुदाय को सूखे और कठिन परिस्थितियों में सहारा दिया है, इस मुद्दे को भावनात्मक और सांस्कृतिक गहराई प्रदान करता है।
भविष्य की दिशा
विधायक के इस कदम ने उन्हें एक ओर जनता के बीच लोकप्रियता दिलाई है, तो दूसरी ओर प्रशासन के साथ उनके संबंधों में खटास ला दी है। जहां एक पक्ष उन्हें जनता का रक्षक मानता है, वहीं प्रशासन इसे कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती बता रहा है।
निष्कर्ष
रविंद्र सिंह भाटी का यह विवाद केवल एक विधायक और प्रशासन के बीच का मामला नहीं है, बल्कि यह राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर और पारंपरिक संरचनाओं के संरक्षण का भी प्रश्न है। इस घटना ने ओरण की महत्ता को राष्ट्रीय चर्चा में ला दिया है। भाटी की लड़ाई, चाहे वह सही हो या गलत, ओरण के संरक्षण और उसकी प्रासंगिकता को उजागर करने में सफल रही है। अब देखना यह है कि यह मामला राजनीति और समाज में किस दिशा में जाता है।