US Presidential Election: अमेरिका में भारतीय-अमेरिकी समुदाय का राजनीतिक प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है। जहां कुछ दशक पहले राजनीति में भारतीय मूल के नेताओं की उपस्थिति नगण्य थी, वहीं अब कई भारतीय-अमेरिकी नेता विभिन्न पदों के लिए चुनावी मैदान में उतर रहे हैं। इस वर्ष के स्थानीय और राज्य चुनावों में भारतीय-अमेरिकी समुदाय के 36 से अधिक उम्मीदवार हिस्सा ले रहे हैं, जो भारतीय-अमेरिकियों के बढ़ते राजनीतिक कद का प्रमाण है। भारतीय-अमेरिकी कांग्रेसमैन राजा कृष्णमूर्ति के अनुसार, "अगर आप टेबल पर नहीं हैं, तो आप मेन्यू पर हैं।" उनके इस संदेश ने समुदाय को राजनीतिक भागीदारी के लिए प्रेरित किया है, जिससे अब सभी स्तरों पर भारतीय-अमेरिकी चुनावों में सक्रियता से भाग ले रहे हैं।
कैलिफोर्निया: भारतीय-अमेरिकी नेताओं का प्रमुख केंद्र
भारतीय-अमेरिकी राजनेताओं की सबसे अधिक उपस्थिति कैलिफोर्निया में देखने को मिलती है, जहां लगभग 9 लाख भारतीय-अमेरिकी निवास करते हैं। इस राज्य में भारतीय मूल के दो प्रतिनिधि, रो खन्ना और डॉ. अमी बेरा, पहले से ही कांग्रेस में कार्यरत हैं, और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की भारतीय विरासत भी यहाँ के लोगों को प्रेरित करती है। इस चुनाव में कैलिफोर्निया से चुनाव लड़ रहे प्रमुख उम्मीदवारों में आदला चिस्ती (काउंटी सुपरवाइजर), अलिया चिस्ती (सैन फ्रांसिस्को सिटी कॉलेज बोर्ड), दर्शना पटेल (स्टेट असेंबली), निकोले फर्नांडीज (सैन मेटेओ सिटी काउंसिल), नित्या रामन (लॉस एंजिल्स सिटी काउंसिल), ऋचा अवस्थी (फोस्टर सिटी काउंसिल), सुखदीप कौर (एमेरीविल सिटी काउंसिल), और तारा श्रीकृष्णन (डिस्ट्रिक्ट 26, कैलिफोर्निया असेंबली) शामिल हैं।
अन्य राज्यों में भी भारतीय-अमेरिकी उम्मीदवारों की बढ़ती सक्रियता
कैलिफोर्निया के अलावा अन्य राज्यों में भी भारतीय-अमेरिकी उम्मीदवारों की उपस्थिति तेजी से बढ़ रही है। मिशिगन में डॉ. अजय रामन (ऑकलैंड काउंटी कमीशनर), अनिल कुमार और रंजीव पुरी (मिशिगन राज्य हाउस) जैसे उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। एरिजोना से प्रिया सुंदरेशन और रवी शाह भी अपनी-अपनी सीटों के लिए मैदान में हैं। इसी तरह पेंसिलवेनिया में आनंद पाटेकर, आनना थॉमस और अरविंद वेंकट जैसे उम्मीदवार स्टेट हाउस और निकिल सावल स्टेट सीनेट के लिए चुनाव लड़ रहे हैं।
जॉर्जिया: सबसे युवा राज्य सीनेटर बनने की संभावना
जॉर्जिया में अश्विन रामस्वामी राज्य सीनेट के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। यदि वे जीतते हैं, तो वे जॉर्जिया स्टेट सीनेट के सबसे युवा सदस्य बन जाएंगे। हालांकि, चुनावी सफर में उन्हें नस्लीय और नफरत भरी टिप्पणियों का भी सामना करना पड़ा है, लेकिन इससे उनके उत्साह में कोई कमी नहीं आई है।
अन्य राज्यों में भी भारतवंशी छाए
अन्य राज्यों में भी भारतीय-अमेरिकी उम्मीदवार कई पदों के लिए चुनावी मैदान में हैं। टेक्सास में अशिका गांगुली, कार्थिक सूरा, नबील शीक, रमेश प्रेमकुमार, रवि सांडिल, सलमान भोजानी, शेखर सिन्हा, शरीन थॉमस, सुलेमान लालानी, और सुम्बल ज़ेब जैसे उम्मीदवार विभिन्न स्थानीय और राज्य पदों के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। न्यूयॉर्क में जेरमी कूनी और मनीता सांगवी स्टेट सीनेट के लिए जबकि जोहन ममदानी स्टेट असेंबली के लिए उम्मीदवार हैं। वॉशिंगटन राज्य में मनका धींगरा एटर्नी जनरल और मोना दास पब्लिक लैंड्स कमिशनर के लिए चुनावी दौड़ में हैं।
भारतीय-अमेरिकी समुदाय की राजनीतिक ताकत का प्रतीक
अमेरिका के विभिन्न राज्यों में भारतीय-अमेरिकी नेताओं की यह उपस्थिति दर्शाती है कि वे न केवल अपनी राजनीतिक पहचान बना रहे हैं बल्कि अपनी सामुदायिक शक्ति को भी स्थापित कर रहे हैं। राजा कृष्णमूर्ति जैसे नेताओं ने इस समुदाय को चुनावों में भागीदारी के महत्व के प्रति जागरूक किया है। भारतीय-अमेरिकी समुदाय की यह बढ़ती भागीदारी अमेरिका की विविधता और बहुलतावाद का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।
अमेरिका के विभिन्न राज्यों और पदों के लिए चुनाव लड़ते इन भारतीय-अमेरिकी नेताओं का यह सफर भारतीय मूल के लोगों की प्रभावशाली भूमिका को उजागर करता है। यह राजनीतिक विकास भारतीय-अमेरिकी समुदाय को सशक्त बना रहा है और उनकी आवाज़ को अमेरिकी राजनीति में निर्णायक बना रहा है।