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Trump Tariff War:भारत करेगा चीन से पंगा लेकर ट्रंप को खुश, ऐसे बढ़ेगी टेस्ला की ताकत!

12:11 AM Apr 09, 2025 | zoomnews.in

Trump Tariff War: डोनाल्ड ट्रंप की वापसी की चर्चाओं के बीच वैश्विक व्यापार नीति पर फिर से बहस छिड़ गई है। एशियाई देशों में ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ को देखें तो भारत की स्थिति बाकी देशों के मुकाबले काफी बेहतर है। भारत पर औसतन 26% टैरिफ लगाया गया है, जबकि चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश और वियतनाम जैसे देशों पर यह दर कहीं अधिक है। खासकर चीन पर ट्रंप ने तो 50% तक टैरिफ लगाने की धमकी दे डाली है।

यह फर्क यूं ही नहीं है। भारत एक ऐसा उभरता हुआ बाजार है जिसकी जरूरत न सिर्फ चीन को है, बल्कि यूरोप और अमेरिका भी इसके महत्व को भलीभांति समझते हैं। यही वजह है कि अमेरिका, और विशेष रूप से ट्रंप के करीबी एलन मस्क की कंपनी टेस्ला, भारत में अपनी मजबूत मौजूदगी बनाना चाहती है।

भारत में टेस्ला की दस्तक और BYD की विदाई

टेस्ला को भारत में प्रवेश दिलाकर अमेरिका एशियाई बाजारों में अपनी पैठ मजबूत करना चाहता है। इसका दूसरा मकसद चीन पर निर्भरता को घटाना भी है। चीन की सबसे बड़ी ई-कार कंपनी BYD के भारत में निवेश प्रस्ताव को खारिज कर देना इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।

भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने स्पष्ट कहा है कि भारत को अपने रणनीतिक हितों को ध्यान में रखकर निवेश की अनुमति देनी होगी। उन्होंने यह भी बताया कि फिलहाल भारत में BYD के लिए कोई जगह नहीं है। इससे पहले Great Wall Motors जैसी बड़ी चीनी कंपनियां भी नियामकीय बाधाओं के चलते भारत से बाहर हो चुकी हैं।

प्रेस नोट 3 और चीन पर सख्ती

सरकार ने प्रेस नोट 3 के तहत बॉर्डर-शेयरिंग देशों से आने वाले निवेशों की कड़ी जांच अनिवार्य की है। इसका सीधा असर चीन पर पड़ा है, जिसकी कंपनियों की ओनरशिप स्ट्रक्चर, गवर्नमेंट लिंक और नॉन-मार्केट इकॉनॉमी मॉडल पर भारत को संदेह है।

BYD जैसी कंपनियां भारतीय बाजार में गहराई से प्रवेश नहीं कर पा रहीं, क्योंकि सरकारी एजेंसियां उन्हें अप्रत्यक्ष रूप से सब्सिडी मिलने और प्रतिस्पर्धा को विकृत करने वाली नीतियों के तहत देख रही हैं।

टेस्ला का भारत प्लान

टेस्ला ने भारत में एंट्री की तैयारी लगभग पूरी कर ली है। मुंबई और दिल्ली में शोरूम खोलने के साथ-साथ कंपनी ने सेल्स, सर्विस और डिलीवरी स्टाफ की भर्ती भी शुरू कर दी है। शुरुआत में टेस्ला कांट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग पर विचार कर रही है, लेकिन भारत में एक पूर्ण गीगाफैक्ट्री बनाना इसकी दीर्घकालिक योजना का हिस्सा है।

भारत में टेस्ला यूनिट की अनुमानित लागत 2-3 बिलियन डॉलर है, जो बर्लिन और टेक्सास स्थित गीगाफैक्ट्री की लागत से काफी कम है। भारत में सस्ती ज़मीन और 2-5 डॉलर प्रति घंटा की लेबर कॉस्ट इस निवेश को और आकर्षक बनाती है।

भारत की EV पॉलिसी और घरेलू कंपनियों का रोल

भारत ईवी निर्माण में ग्लोबल हब बनने की राह पर है, लेकिन टैरिफ स्ट्रक्चर अभी भी ऊंचा है। अमेरिका के लिए 2.5%, जर्मनी में 10%, और चीन में 25% टैरिफ के मुकाबले भारत में विदेशी कंपनियों के लिए एंट्री बैरियर अधिक हैं।

टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसे घरेलू निर्माता चाहते हैं कि सरकार विदेशी कंपनियों को टैरिफ छूट न दे, ताकि घरेलू बाजार में उनकी प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति बनी रहे। भारत की नई ईवी नीति में कुछ शुल्क छूट का प्रावधान है, लेकिन वह टेस्ला जैसी कंपनियों के लिए पर्याप्त नहीं है। इसलिए कंपनी शुरू में कांट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग के मॉडल पर आगे बढ़ सकती है।