Taliban News: अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार की बुलाई गई एक मीटिंग में भारत ने भी हिस्सा लिया है। जानकारी के अनुसार, तालिबान के विदेश मंत्रालय ने कई देशों में प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया था। सोमवार को हुई इस बैठक में भारत के अलावा रूस, चीन, ईरान, पाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, कजाकिस्तान, तुर्की और इंडोनेशिया के राजनयिकों ने भी भाग लिया। वहीं रूस का प्रतिनिधित्व अफगानिस्तान के लिए उसके विशेष प्रतिनिधि ज़मीर काबुलोव ने किया।
भारत ने कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया
काबुल में हुई इस बैठक पर भारतीय अधिकारियों की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया। वहीं इससे पहले संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में भारतीय दूतावास द्वारा अबू धाबी में गणतंत्र दिवस समारोह के लिए कार्यवाहक अफगान दूत बदरुद्दीन हक्कानी को आमंत्रित किया गया था। बता दें कि भारत सरकार ने अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार को मान्यता नहीं दी है। लेकिन इस बैठक के बाद तालिबान विदेश मंत्रालय के उप प्रवक्ता हाफिज जिया अहमद ने कहा कि भारत हमारा समर्थन करता है।
India actively takes part in international and regional initiatives regarding Afghanistan, and supports every effort leading to the stability and the development of Afghanistan.
— Hafiz Zia Ahmad (@HafizZiaAhmad) January 29, 2024
Indian Representative pic.twitter.com/NA2J6HqgpF
'भारत अफगानिस्तान के विकास में देता है सहयोग'
बैठक में शामिल हुए भारतीय प्रतिनिधि के हवाले से तालिबान विदेश मंत्रालय के उप प्रवक्ता ने कहा, "नई दिल्ली अफगानिस्तान की स्थिरता पर केंद्रित सभी पहलों का समर्थन करती है।" अहमद ने एक्स पर एक पोस्ट में भारतीय प्रतिनिधि के हवाले से कहा, "भारत अफगानिस्तान के संबंध में अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय पहलों में सक्रिय रूप से भाग लेता है और अफगानिस्तान की स्थिरता और विकास के लिए हर प्रयास का समर्थन करता है।"
तालिबान के विदेश मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि अफगानिस्तान क्षेत्र के देशों के साथ संबंधों को महत्वपूर्ण मानते हैं और उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन देशों को अफगानिस्तान के साथ सकारात्मक बातचीत बढ़ाने और जारी रखने के लिए क्षेत्रीय बातचीत करनी चाहिए। वहीं विदेश मंत्री अमीरखान मोट्टाकी ने कहा कि मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि अफगानिस्तान में किसी भी अन्य देश की तरह ही समस्याएं हैं। देश लगभग आधी सदी से कब्जे, विदेशी हस्तक्षेप और गृहयुद्ध का निशाना रहा है।