BRICS Summit 2024: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रभावशाली कूटनीति के चलते भारत ग्लोबल साउथ का अग्रणी नेता बनने में पूरी तरह सफल हो चुका है। जहां पहले वैश्विक मंचों पर ग्लोबल साउथ के देशों की अनदेखी की जाती थी, अब उनकी आवाज़ को सुनने और समर्थन देने के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अन्य देशों को मजबूर होना पड़ रहा है। हाल ही में न्यूयॉर्क में हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सम्मेलन में भी पीएम मोदी ने ग्लोबल साउथ के मुद्दों को प्राथमिकता से उठाया था, जिसे यूएन और अन्य देशों का भी समर्थन मिला। इसके बाद ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भी पीएम मोदी ने ग्लोबल साउथ के विकास और उनकी समस्याओं को मजबूती से प्रस्तुत किया, जिसे रूस का पूरा समर्थन प्राप्त हुआ। हालांकि, इस पहल से चीन चिंतित हो गया है।
ग्लोबल साउथ का मुद्दा और ब्रिक्स में पीएम मोदी की भूमिका
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी ने ग्लोबल साउथ के देशों की आकांक्षाओं और समस्याओं पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि ग्लोबल साउथ शब्द 1960 के दशक में उभरा और इसका तात्पर्य लैटिन अमेरिका, एशिया, अफ्रीका और ओशिनिया के उन देशों से है जो आर्थिक रूप से पिछड़े और विकासशील हैं। पीएम मोदी ने संयुक्त राष्ट्र में भी ग्लोबल साउथ के देशों के लिए सस्ती दरों पर कर्ज उपलब्ध कराने की वकालत की थी, ताकि उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके।
पीएम मोदी ने ब्रिक्स सम्मेलन में न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) की भी जमकर सराहना की। उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में यह बैंक ग्लोबल साउथ के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में उभरा है। इसके साथ ही उन्होंने न्यू डेवलपमेंट बैंक की अध्यक्ष डिल्मा रूसेफ को भी बधाई दी और गिफ्ट सिटी (भारत) में NDB की गतिविधियों को मजबूत करने की बात कही। इसके बाद रूस ने भी ग्लोबल साउथ के लिए एक नया निवेश मंच स्थापित करने की घोषणा की।
रूस का समर्थन और चीन की चिंता
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत की पहल का समर्थन करते हुए ब्रिक्स के तहत एक नया वैश्विक निवेश मंच स्थापित करने का प्रस्ताव रखा, जो ग्लोबल साउथ के देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करेगा। पुतिन के इस बड़े कदम से ग्लोबल साउथ के देशों के साथ रूस की भी साख मजबूत हो गई है। इस घटनाक्रम से चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी दबाव में आ गए और मजबूरी में उन्होंने भी ग्लोबल साउथ के देशों का समर्थन किया।
शी जिनपिंग ने कहा कि हमें ग्लोबल साउथ के देशों की आवाज़ और उनके प्रतिनिधित्व को बढ़ाने की जरूरत है, साथ ही आर्थिक सहयोग को और मजबूत करना चाहिए। हालांकि, चीन इस बात से चिंतित है कि ग्लोबल साउथ के देशों का भारत पर बढ़ता भरोसा कहीं उसे उन देशों से बाहर न कर दे, क्योंकि चीन लंबे समय से ग्लोबल साउथ पर प्रभाव जमाने का प्रयास कर रहा है।
ब्रिक्स का वैश्विक महत्व
पीएम मोदी ने ब्रिक्स को वैश्विक अर्थव्यवस्था के एक चौथाई हिस्से का प्रतिनिधि बताया और कहा कि यह संगठन समय के अनुसार खुद को ढालने की क्षमता रखता है। ब्रिक्स विभिन्न विचारधाराओं और दृष्टिकोणों का संगम है, जो सकारात्मक सहयोग को बढ़ावा देता है। पीएम मोदी ने कहा कि यह संगठन दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो आपसी सम्मान और आम सहमति के आधार पर आगे बढ़ने की परंपरा को बनाए रखता है।
ब्रिक्स के सदस्य देश
ब्रिक्स के पांच मुख्य सदस्य ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका हैं। इस समूह की शुरुआत 2006 में हुई थी और 2010 में दक्षिण अफ्रीका को शामिल करने के बाद इसका नाम 'ब्रिक्स' पड़ा। हाल ही में इस समूह का और विस्तार किया गया, जिसमें मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात जैसे नए सदस्य शामिल हुए। रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने यह भी दावा किया है कि ब्रिक्स के सदस्य देशों की संख्या धीरे-धीरे 30 तक पहुंच सकती है।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कूटनीति और नेतृत्व क्षमता ने भारत को ग्लोबल साउथ का प्रमुख नेता बना दिया है। भारत के समर्थन में रूस जैसे देशों के आने से चीन जैसे शक्तिशाली देश भी ग्लोबल साउथ के प्रति अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने को मजबूर हो गए हैं। ब्रिक्स के मंच पर पीएम मोदी का दृढ़ नेतृत्व न केवल भारत की स्थिति को मजबूत कर रहा है, बल्कि ग्लोबल साउथ के देशों को भी नई दिशा दे रहा है।