Union Budget 2024: भारत में निवेश के नाम पर आम लोग सोना खरीदते हैं, घर खरीदते हैं और कुछ वर्षों के बाद घर बेचकर मुनाफा कमा लेते हैं, लेकिन वित्त मंत्री ने आज घर खरीदने और बेचने पर हो रहे मुनाफे का हिसाब बदल दिया. अब आपको प्रॉपर्टी बेचने पर सरकार को ज्यादा टैक्स देना पड़ेगा, क्योंकि बजट 2024 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सभी नॉन फाइनेंशियल एसेट्स में इंडेक्सेशन (Indexation) को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है. इन नॉन फाइनेंशियल एसेट्स में प्रॉपर्टी, गोल्ड, सिल्वर जैसी चीजें आती हैं.
इससे पहले की व्यवस्था में सोने पर कैपिटल गेन की अविध 36 महीने थी और प्रॉपर्टी पर एक अलग अवधि थी, इसके साथ ही नॉन फाइनेंशियल एसेट्स स्टॉक और बॉन्ड पर अलग अवधि थी, लेकिन अब इनमें दो अवधियां लागू होंगी, जिसमें बॉन्ड के ऊपर पहली 12 महीने के बाद लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन और गोल्ड व प्रॉपर्टी पर 24 महीनों के बाद लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा. सरकार ने लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स की दर में बदलाव किया है, जिसमें इक्विटी, म्यूचुअल फंड और बॉन्ड में निवेश करने पर टैक्स की दर को 10 से बढ़ाकर 12.5 फीसदी कर दिया है. जबकि सोना और प्रॉपर्टी में इसे 20 से घटाकर 12.5 फीसदी कर दिया है.
हालांकि इसे सोचकर आप थोड़े समय के लिए खुश हो सकते हैं कि सरकार ने सोने और प्रॉपर्टी में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स को कम दिया है तो अब आपको कम टैक्स देना पड़ेगा, लेकिन असली कहानी इसके बाद शुरू होती है. क्योंकि अभी तक लोगों को सोने और प्रॉपर्टी को बचने पर Indexation का फायदा मिलता था, जिसको इस बार के बजट में खत्म कर दिया गया है.
आप सोच रहे होंगे इंडेक्सेशन (Indexation) क्या होता है तो इसे भी समझ लीजिए. इंडेक्सेशन (Indexation) में महंगाई दर, प्रॉपर्टी की मरम्मत या इसके डेवलपमेंट में खर्च किए गए पैसे को आधार मानकर टैक्स में छूट मिलती है. जिसके आधार पर लंबे समय तक किसी नॉन फाइनेंशियल एसेट्स में पैसा लगाने वाले शख्स को उसे बेचने के बाद होने वाले मुनाफे पर दिए जाने वाले टैक्स में छूट मिलती थी.
इंडेक्सेशन (Indexation) का आधार वर्ष
शुरुआत में 1981-82 को आधार वर्ष माना गया था, लेकिन टैक्स देने वालों को 1 अप्रैल 1981 से पहले खरीदी गई संपत्तियों का मूल्यांकन करवाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था. इसलिए सरकार ने आधार वर्ष को 2001 में बदलने का फैसला किया ताकि मूल्यांकन सही तरीके से किया जा सके और उस समय इंडेक्सेशन (Indexation) को 100 माना गया.
वित्तीय वर्ष (सीआईआई)
- 2001-02———–100
- 2002-03———–105
- 2003-04———–109
- 2004-05———–113
- 2005-06———–117
- 2006-07———–122
- 2007-08———–129
- 2008-09———–137
- 2009-10———–148
- 2010-11———–167
- 2011-12———–184
- 2012-13———–200
- 2013-14———–220
- 2014-15———–240
- 2015-16———–254
- 2016-17———–264
- 2017-18———–272
- 2018-19———–280
- 2019-20———–289
- 2020-21———–301
- 2021-22———–317
- 2022-23———–331
- 2023-24———–348
- 2024-25———–363
ऐसे समझिए उदाहरण
अगर आपने कोई प्रॉपर्टी साल 2001 में 10 लाख रुपये की खरीदी और साल 2024-25 में आप इसे 90 लाख रुपये में बेचते हैं तो इस तरह आपका 80 लाख रुपये का मुनाफा या कहें कि कैपिटल गेन हुआ है. इस कैपिटल गेन पर LTCG यानी Long Term Capital Gain टैक्स लगता है. जिसमें आप 80 लाख रुपये में से इंडेक्सेशन (Indexation) को घटा देते थे तो आपको उसके बाद वाली रकम पर टैक्स भरना होता था, लेकिन इस बार के बजट में वित्त मंत्री ने जो किया है, उसके बाद एक्सपर्ट्स ये मान रहे हैं कि अब ये पहले के मुकाबले ज्यादा देना होगा.
कैसे निकालते हैं Indexation?
साल 2001-02 में इंडेक्सेशन (Indexation) 100 था, जोकि 2024-25 में बढ़कर 363 हो गया. ऐसे में साल 2001 के 10 लाख रुपये को साल 2024-25 के लागत मुद्रास्फीति सूचकांक से गुणा करके साल 2001-02 के लागत मुद्रास्फीति सूचकांक से भाग करते हैं और जो रकम आती है उसको बेची गई रकम से घटाया जाता है, जोकि आपकी इंडेक्सेशन (Indexation) रकम होती है और इसको बेची गई रकम से घटाने के बाद जो राशि आती है, उसपर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स दिया जाता है.
10,00,000 x 363/100 = 3,630,000 यह इंडेक्सेशन (Indexation) रकम हुई.
80,000,00 – 3,630,000 = 4,370,000 पर पहले 20 फीसदी टैक्स देना होता है जोकि 874,000 होता था
अब सरकार ने इंडेक्सेशन (Indexation) को खत्म कर दिया है तो ऐसे में 80 लाख पर 12.5% की दर से टैक्स देना पड़ेगा जोकि 1,000,000 रुपये बनेगा.