Citizen Amendment Act: केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर ने रविवार को कहा कि मैं गांरटी देता हूं कि देशभर में 7 दिनों के अंदर नागरिक संशोधन अधिनियम (CAA) लागू हो जाएगा। ठाकुर दक्षिण 24 परगना के काकद्वीप में एक रैली को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल ही नहीं देशभर में अगले 7 दिनों के अंदर CAA लागू हो जाएगा। ठाकुर बनगांव से भाजपा के सांसद हैं। ठाकुर के दावे पर राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने फिर दोहराया कि राज्य में CAA किसी हाल में लागू नहीं होगा। तृणमूल के प्रदेश प्रवक्ता कुणाल घोष ने भाजपा व केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि लोकसभा चुनाव से पहले लोगों को गुमराह करने के लिए ऐसी खबरें फैलाई जा रही हैं।
इससे पहले कोलकाता में पिछले साल दिसंबर में एक रैली के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने भी कहा था कि CAA को लागू होने से कोई नहीं रोक सकता है। शाह ने घुसपैठ, भ्रष्टाचार, राजनीतिक हिंसा और तुष्टीकरण के मुद्दों पर ममता बनर्जी काे घेरा था। उन्होंने लोगों से ममता सरकार को बंगाल से हटाने और 2026 विधानसभा चुनाव में भाजपा को चुनने का आग्रह किया था।
शाह के बयान पर ममता ने कहा था- वे लोगों को विभाजित करना चाहते हैं। पहले, नागरिकता कार्ड जिला मजिस्ट्रेट की जिम्मेदारी थी, लेकिन अब केवल राजनीति के लिए छीन लिया गया है। वे लोगों को विभाजित करना चाहते हैं। वे इसे किसी को देना चाहते हैं और दूसरों को इससे वंचित करना चाहते हैं। यदि किसी समुदाय को नागरिकता मिल रही है तो दूसरे को भी मिलनी चाहिए।
2019 में लोकसभा-राज्यसभा से बिल पास हो चुका
11 दिसंबर 2019 को राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 (CAB) के पक्ष में 125 और खिलाफ में 99 वोट पड़े थे। अगले दिन 12 दिसंबर 2019 को इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई। देशभर में भारी विरोध के बीच बिल दोनों सदनों से पास होने के बाद कानून की शक्ल ले चुका था। इसे गृहमंत्री अमित शाह ने 9 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया था।
1955 के कानून में किए गए बदलाव
2016 में नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 (CAA) पेश किया गया था। इसमें 1955 के कानून में कुछ बदलाव किया जाना था। ये बदलाव थे, भारत के तीन मुस्लिम पड़ोसी देश बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देना। 12 अगस्त 2016 को इसे संयुक्त संसदीय कमेटी के पास भेजा गया। कमेटी ने 7 जनवरी 2019 को रिपोर्ट सौंपी थी।
विरोध में भड़के दंगों में 50 से ज्यादा जानें गईं
लोकसभा में आने से पहले ही ये बिल विवाद में था, लेकिन जब ये कानून बन गया तो उसके बाद इसका विरोध और तेज हो गया। दिल्ली के कई इलाकों में प्रदर्शन हुए। 23 फरवरी 2020 की रात जाफराबाद मेट्रो स्टेशन पर भीड़ के इकट्ठा होने के बाद भड़की हिंसा, दंगों में तब्दील हो गई।
चार राज्यों में CAA के विरोध में प्रस्ताव पारित हो चुका है
CAA बिल संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद 4 राज्य इसके विरोध में विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर चुके हैं। सबसे पहले केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने दिसंबर 2019 में CAA के खिलाफ प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि यह धर्मनिरपेक्ष नजरिए और देश के ताने बाने के खिलाफ है। इसमें नागरिकता देने से धर्म के आधार पर भेदभाव होगा।
इसके बाद पंजाब और राजस्थान सरकार ने विधानसभा में CAA के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया। चौथा राज्य पश्चिम बंगाल था, जहां इस बिल के विरोध में प्रस्ताव पारित किया गया। पश्चिम बंगाल की CM ने कहा था- बंगाल में हम CAA, NPR और NRC की अनुमति नहीं देंगे।