Parliament Session: जातीय जनगणना और आबादी के हिसाब से हिस्सेदारी को लेकर संसद में घिरी सरकार अब पलटवार के मूड में है. इसकी कमान सत्ताधारी दल बीजेपी के कई बड़े नेताओं ने संभाल लिया है, जिसका असर सदन से लेकर सोशल मीडिया तक देखने को मिल रहा है. बीजेपी इस प्लान के तहत विपक्ष की कमजोर नस को पकड़कर मुद्दे की धार को कुंद करना चाहती है.
संसद में जाति पर घिरी सरकार
राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद से ही सरकार संसद में जाति जनगणना के मुद्दे पर घिरी हुई है. विपक्ष लगातार इस मुद्दे को लेकर सरकार पर निशाना साध रही है. विपक्ष का आरोप है कि सरकार ओबीसी, दलित और आदिवासियों का वोट तो ले लेती है, लेकिन उसे सत्ता में हिस्सेदारी नहीं देती है.
बजट पर भाषण देते हुए राहुल गांधी ने वित्त मंत्रालय के अफसरों पर निशाना साधा. राहुल ने कहा कि वित्त मंत्रालय के जिन अधिकारियों ने बजट तैयार किया, उनमें एक भी दलित नहीं है. राहुल यह मुद्दा लोकसभा चुनाव के दौरान भी उठा रहे थे.
हालांकि, इस पर बवाल मंगलवार को तब मच गया, जब सरकार की तरफ से बोलने आए अनुराग ठाकुर ने यह कह दिया कि जिन्हें अपनी जाति का पता नहीं है, वो गणना कराने की मांग कर रहे हैं. अनुराग के इस बयान को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तुरंत लपक लिया.
अखिलेश ने पूछा कि संसद में कोई व्यक्ति किसी की जाति कैसे पूछ सकता है? अखिलेश के इस बयान पर पीठासीन जगदंबिका पाल ने कहा कि यह नहीं पूछा जा सकता है और हम इसे हटाएंगे.
विपक्ष पर सरकार कैसे कर रही है हमला?
लोकसभा में बवाल के बाद भारतीय जनता पार्टी ने जातीय मुद्दों पर घेराबंदी के लिए 3 तरह की रणनीति तैयार की है. इसके तहत-
1. बीजेपी के बड़े नेता अखिलेश यादव और राहुल गांधी के उन पुराने वीडियो शेयर कर रहे हैं, जिनमें वे किसी भी व्यक्ति से जाति पूछ रहे हैं. अनुराग ठाकुर ने एक 2023 का एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान अखिलेश एक पत्रकार से जाति पूछ रहे हैं. दरअसल, पत्रकार ने अखिलेश से गंगाजल से बंगला धोने को लेकर सवाल पूछा था.
इसी तरह बीजेपी के सोशल मीडिया इंचार्ज अमित मालवीय ने राहुल गांधी का 2 वीडियो शेयर किया है. इस वीडियो में राहुल पत्रकारों की जाति पूछ रहे हैं. बीजेपी नेता इस वीडियो के सहारे अनुराग ठाकुर के उस बयान का बचाव कर रहे हैं, जिसमें उन्होंने संसद में जाति नहीं पता और गणना कराएंगे का बयान दिया था. हालांकि, अनुराग के इस बयान को लोकसभा में एक्सपंज कर दिया गया.
पूरे विवाद पर बीजेपी सांसद सांबित पात्रा का कहना है कि जाति को लेकर अनुराग ठाकुर ने कोई गलत टिप्पणी नहीं की है. खुद राहुल पीएम मोदी की जाति पर टिप्पणी कर चुके हैं. देश की जनता सबकुछ देख रही है.
2. बीजेपी कांग्रेस की कोर संगठन के जरिए भी विपक्ष का काउंटर करना चाहती है. राज्यसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कांग्रेस यह बताए कि आखिर राजीव गांधी फाउंडेशन में कितने दलित और आदिवासी हैं?
राजीव गांधी फाउंडेशन की स्थापना साल 1991 में की गई थी. सोनिया गांधी इस फाउंडेशन की प्रमुख हैं. फाउंडेशन का मुख्य काम जमीनी फीडबैक उपलब्ध कराना और कार्यक्रम आयोजित करवाना है.
3. बीजेपी कांग्रेस के पुराने नेताओं के बयान को निकालकर बीजेपी पर हमला कर रही है. सत्ताधारी पार्टी के निशाने पर मुख्य रूप से इंदिरा गांधी और राजीव गांधी हैं. दोनों नेताओं के रहते मंडल कमीशन की सिफारिश लागू नहीं हो पाई थी. बीजेपी इस तथ्य के सहारे जाति जनगणना की मांग को कुंद करना चाहती है, जिससे उसका सियासी नुकसान न हो.
बीजेपी को लंबे वक्त से कवर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार संतोष कुमार कहते हैं- यह सवाल तो उठेगा ही न कि जो पार्टी 60 साल तक देश की सत्ता में रही, उसने जाति जनगणना क्यों नहीं कराई? 2011 में सोशल इकॉनोमिक सर्वे का आदेश मनमोहन सरकार में हुआ, लेकिन मनमोहन सरकार उसे जारी नहीं कर पाई.
सतोष आगे कहते हैं- बीजेपी यह मुद्दा उठाकर जाति जनगणना पर जो कांग्रेस आक्रामक है, उसे कमजोर करना चाहती है. पार्टी सदन में किसी भी तरह से बैकफुट पर नहीं रहना चाहती है.