Khan Sir: बिहार की राजधानी पटना के गर्दनीबाग धरना स्थल पर बीपीएससी (बिहार लोक सेवा आयोग) की 70वीं प्रीलिम्स परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर अभ्यर्थी पिछले कई दिनों से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शन के दौरान भूख हड़ताल पर बैठे अभ्यर्थियों की तबीयत सोमवार 23 दिसंबर की रात अचानक बिगड़ गई। गंभीर हालत में उन्हें पटना के पीएमसीएच (पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल) में भर्ती कराया गया।
खान सर ने अभ्यर्थियों का बढ़ाया हौसला
प्रसिद्ध यूट्यूबर और एजुकेटर फैजल खान, जिन्हें खान सर के नाम से जाना जाता है, पीएमसीएच में भर्ती इन अभ्यर्थियों से मिलने पहुंचे। अभ्यर्थियों की हालत देखकर उन्होंने चिंता जताई और कहा, “ये छात्र 4-5 दिनों से भूख हड़ताल पर हैं, लेकिन कोई इनकी सुध लेने नहीं आ रहा है। इनकी स्थिति अब गंभीर हो चुकी है। चेस्ट में इंफेक्शन फैल चुका है और किडनी फंक्शन रिपोर्ट भी नेगेटिव है। हमें इनका हौसला बढ़ाना है और आयोग को इनकी समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए।”
सीसीटीवी फुटेज और नार्को टेस्ट की मांग
खान सर ने बताया कि उन्होंने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। उन्होंने मांग की कि परीक्षा केंद्रों के सीसीटीवी फुटेज सार्वजनिक किए जाएं और जिन पर शक है उनका नार्को टेस्ट करवाया जाए। अगर जरूरत पड़ी तो वे सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे। उन्होंने आयोग और सरकार से आग्रह किया कि प्रदर्शनकारियों की मांगों को गंभीरता से लिया जाए।
पीएमसीएच में भर्ती अभ्यर्थियों की स्थिति
अनशन पर बैठे अभ्यर्थियों में राहुल कुमार (32, जिला पूर्वी चंपारण), आशुतोष आनंद (35, रघोपुर, जिला वैशाली), और सुनामी गुरु उर्फ सुजीत (40 वर्ष) की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें तत्काल पीएमसीएच में भर्ती कराया गया। इनकी हालत गंभीर बताई जा रही है।
पप्पू यादव ने भी दिया समर्थन
पूर्णिया से पूर्व सांसद पप्पू यादव ने भी अनशनकारी अभ्यर्थियों का समर्थन किया है। उन्होंने बीपीएससी की पूरी परीक्षा को रद्द करने और दोबारा परीक्षा कराने की मांग की। सोशल मीडिया पर उन्होंने लिखा, “यह छात्रों के साथ अन्याय होगा यदि परीक्षा को रद्द नहीं किया गया। आयोग को स्पष्ट रूप से नए सेट से परीक्षा लेनी चाहिए। पुनर्परीक्षा ही छात्रों के हित में है।”
अभ्यर्थियों की मांगें और आगे की राह
धरना दे रहे अभ्यर्थियों का कहना है कि बीपीएससी 70वीं प्रीलिम्स परीक्षा में व्यापक अनियमितता हुई है। उनकी मांग है कि परीक्षा को रद्द कर निष्पक्ष तरीके से पुनर्परीक्षा कराई जाए। फिलहाल भूख हड़ताल और प्रदर्शन जारी है। अभ्यर्थियों के समर्थन में कई राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने भी अपनी आवाज उठाई है।
यह मामला न केवल छात्रों के भविष्य से जुड़ा है, बल्कि बिहार में प्रशासनिक परीक्षाओं की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर भी सवाल खड़े करता है। अब देखना होगा कि आयोग और सरकार इस पर क्या कदम उठाते हैं।