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Supreme Court News:बुलडोजर एक्शन पर BJP का इन 3 मोर्चों पर कैसे बिगड़ा खेल?

Supreme Court News: 2017 में शुरू हुई बुलडोजर की राजनीति अब अपने आखिरी पड़ाव में जाती दिख रही है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि अब निजी संपत्तियों

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण अंतरिम आदेश जारी किया है, जिसने भारतीय राजनीति और प्रशासन में बड़े बदलाव की संभावना को जन्म दिया है। इस आदेश ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए एक साथ तीन मोर्चों पर झटके का काम किया है। इस फैसले ने न केवल बीजेपी की मौजूदा राजनीति पर असर डाला है, बल्कि इसके साथ ही उन नेताओं की रणनीतियों को भी चुनौती दी है जो बुलडोजर एक्शन के जरिए अपनी छवि को मजबूत करने में जुटे थे। इसके अलावा, इस फैसले से प्रशासनिक विफलता को छिपाने के लिए बुलडोजर का उपयोग करने वाली सरकारों को भी झटका लगा है।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश और इसका प्रभाव

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विश्वनाथन की बेंच ने स्पष्ट किया है कि किसी भी निजी संपत्ति पर बुलडोजर चलाने से पहले सुप्रीम कोर्ट की अनुमति लेनी होगी। 1 अक्टूबर को इस पर विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे, तब तक ऐसी कार्रवाइयों को रोका जाएगा। यह आदेश उन याचिकाओं के आधार पर जारी किया गया है, जिनमें आरोप लगाया गया था कि सरकार बिना कानूनी प्रक्रिया का पालन किए लोगों के घर तोड़ रही है, जो जीवन जीने के अधिकार का उल्लंघन है।

बीजेपी को 3 बड़े झटके

1. हिंदुत्व की राजनीति पर असर

बीजेपी ने पिछले कुछ वर्षों में बुलडोजर का उपयोग मुसलमानों और हाशिए पर पड़े समुदायों के खिलाफ किया है। विभिन्न रिपोर्टों और मानवाधिकार संगठनों के अनुसार, 1.5 लाख से अधिक घर बुलडोजर से गिराए गए हैं, जिनमें से अधिकांश मुस्लिम समुदाय के थे। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इस पर चिंता व्यक्त की है कि जानबूझकर मुसलमानों के घर गिराए जा रहे हैं और कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया जा रहा। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से बीजेपी की हिंदुत्व की राजनीति को झटका लगा है और भविष्य में स्थानीय स्तर पर मुस्लिम समुदाय के मुखर होने की संभावना बढ़ गई है।

2. योगी आदित्यनाथ के ब्रांड को झटका

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी सख्त इमेज बनाने के लिए बुलडोजर एक्शन को एक प्रमुख उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया। उनकी इस छवि को ‘बुलडोजर बाबा’ के रूप में प्रचारित किया गया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से अब योगी को अपने ब्रांड को बनाए रखने के लिए नए उपाय तलाशने होंगे। इससे उनके राजनीतिक साख पर प्रभाव पड़ सकता है और उन्हें अपनी रणनीति को बदलना पड़ सकता है।

3. लॉ एंड ऑर्डर की विफलता को छिपाना मुश्किल

बीजेपी शासित राज्यों में, लॉ एंड ऑर्डर की विफलता से उपजे गुस्से को शांत करने के लिए बुलडोजर का उपयोग एक सामान्य प्रक्रिया बन गई थी। मध्य प्रदेश के रीवा में एक आदिवासी के खिलाफ किए गए अपमानजनक कृत्य के बाद, और दिल्ली के जहांगीरपुरी में दंगे रोकने में विफल रहने के बाद, प्रशासन ने अवैध अतिक्रमण के खिलाफ बुलडोजर चलाए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से अब इस प्रकार की कार्रवाइयों की राह अवरुद्ध हो गई है, और सरकार को अपनी लॉ एंड ऑर्डर की विफलता को छिपाने के लिए नए तरीके अपनाने पड़ सकते हैं।

निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट का यह अंतरिम आदेश बीजेपी के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है। यह केवल एक कानूनी मुद्दा नहीं है, बल्कि यह पार्टी की रणनीतिक और राजनीतिक दिशा को भी प्रभावित कर सकता है। बुलडोजर एक्शन के खिलाफ यह फैसला न केवल राजनीतिक रणनीतियों को बदल सकता है, बल्कि इसके प्रभावी कार्यान्वयन से सामाजिक और प्रशासनिक मामलों में भी बदलाव आ सकता है। बीजेपी और इसके नेताओं को अब अपने दृष्टिकोण और रणनीतियों पर पुनर्विचार करना होगा, ताकि वे इस नए न्यायिक परिदृश्य के अनुसार अपनी योजनाओं को समायोजित कर सकें।

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