Delhi Liquor Scam: शराब घोटाला से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पिछले 15 महीने से जेल में बंद दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत पर दिल्ली हाई कोर्ट आज यानी मंगलवार को अपना फैसला सुनाएगा. कोर्ट दिल्ली शराब नीति से जुड़े ED और CBI दोनों मामलों में सिसोदिया की जमानत याचिका पर अपना फैसला सुनाएगा. ऐसे में आज उन्हें हाई कोर्ट से राहत मिलेगी या नहीं, कोर्ट के फैसले पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं. जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा की बेंच शाम 5 बजे फैसला सुनाएंगी.
उच्च न्यायालय ने 14 मई को सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. सिसोदिया ने शराब घोटाले केस में निचली अदालत से याचिका खारिज होने के बाद जमानत के लिए हाई कोर्ट का रुख किया था. 15 मई को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत को 30 मई तक के लिए बढ़ा दिया था. इस दिन उनकी उनकी न्यायिक हिरासत खत्म हो रही थी. कोर्ट ने 7 मई को CBI से जुड़े मामले में सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 15 मई तक बढ़ा दी थी.
सिसोदिया के केस में अब तक क्या हुआ?
बता दें कि शराब घोटाले में सिसोदिया को सबसे पहले सीबीआई ने गिरफ्तार किया था. ये गिरफ्तारी पिछले साल यानी 26 फरवरी 2023 को हुई थी. इसके अगले ही महीने यानी 9 मार्च को इससे जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले ईडी ने सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया. जांच एजेंसी ने सीबीआई की प्राथमिकी के आधार पर सिसोदिया को गिरफ्तार किया था. सिसोदिया ने 28 फरवरी को दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था. जमानत के लिए सिसोदिया ने दिल्ली हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक अर्जी लगाई, लेकिन उनकी याचिका लगातार खारिज होती गई.
26 फरवरी को गिरफ्तारी के बाद उन्हें दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया गया. कोर्ट ने उन्हें पांच दिन की सीबीआई हिरासत में भेज दिया. इसके बाद चार मार्ट को कोर्ट ने दो दिन और उनकी हिरासत बढ़ा दी. सात मार्च को ईडी ने सिसोदिया से करीब छह घंटे तक पूछताछ की. वहीं, दूसरी बार पूछताछ के बाद ईडी ने 9 मार्च को उन्हें गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद उन्होंने जमानत के लिए याचिका दाखिल की लेकिन निचली अदालत ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया.
इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का भी रुख किया लेकिन शीर्ष अदालत ने उन्हें जमानत के लिए हाई कोर्ट जाने को कहा. तीन मई को सिसोदिया जमानत के लिए दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचे लेकिन हाई कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी. हाई कोर्ट ने तीन जुलाई को भी उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी. इसके बाद सिसोदिया चार अगस्त को सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. शीर्ष अदालत ने सुनवाई की तारीख 5 सितंबर रखी. लेकिन उस दिन की सुनवाई टल गई. सुप्रीम कोर्ट में कई बार सुनवाई टल गई. शीर्ष अदालत ने 30 अक्टूबर को सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी. बता दें कि सीबीआई और ईडी ने अगस्त 2022 को सिसोदिया के खिलाफ केस दर्ज किया था.
सिसोदिया ने मार्च 2024 में ट्रायल कोर्ट में जमानत के लिए दोबारा याचिका दाखिल की थी. 2 अप्रैल को उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई हुई थी. सुनवाई के दौरान सिसोदिया के वकील ने कहा था कि सिसोदिया के पास से ईडी को अब तक कुछ हाथ नहीं लगी है. जांच पूरा हुए 10 महीने से अधिक हो गए. ED को कोई सबूत नहीं मिला. इस दिन राउज एवेन्यू कोर्ट ने सिसोदिया को पहले 6 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया. 6 अप्रैल को फिर मामले में सुनवाई हुई.
इस दिन कोर्ट ने उनकी न्यायिक हिरासत 18 अप्रैल तक बढ़ा दी. 18 अप्रैल को भी सिसोदिया राहत नहीं मिली. कोर्ट ने ईडी से कहा कि अभी तक दस्तावेजों की जांच पूरी क्यों नहीं हुई है? और कितना समय लगेगा? इसके बाद ईडी ने कोर्ट को बताया कि दस्तावेजों की जांच के लिए अभी एक महीने का समय और लगेगा. इसके बाद राउज एवेन्यू कोर्ट ने मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत को 26 अप्रैल तक बढ़ा दिया था. इसके बाद सिसोदिया ने जमानत के लिए नई याचिका दायर की थी.
निचली अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में दी थी चुनौती
इस याचिका में उन्होंने लोकसभा चुनाव में प्रचार करने का हवाला दिया था. स्पेशल जज कावेरी बावेजा ने मनीष की याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबीआई और ईडी को नोटिस जारी किया था. मामले में अगली सुनवाई 20 अप्रैल को हुई. कोर्ट ने नियमित जमानत याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था. इसके बाद सिसोदिया के वकील ने अंतरिम जमानत याचिका वापस ले ली थी. राउज एवेन्यू कोर्ट ने 30 अप्रैल को सिसोदिया की नियमित जमानत याचिका को खारिज कर दिया था. सीबीआई ने सिसोदिया की जमानत याचिका पर आपत्ति जताई थी. सीबीआई का कहना था कि मनीष सिसोदिया इस मामले में मास्टरमाइंड हैं. स्पेशल जज कावेरी बावेजा ने सिसोदिया की ईडी और सीबीआई दोनों ही मामलों में जमानत याचिका खारिज कर दी थी. इसके बाद सिसोदिया राउज एवेन्यू कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट पहुंचे थे.
14 मई हाई कोर्ट ने सुरक्षित रखा था फैसला
वहीं, तीन मई को मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने ED-CBI को नोटिस जारी कर जवाब मांगा. राउज एवेन्यू कोर्ट ने 30 अप्रैल को उनकी नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी थी. स्पेशल जज कावेरी बावेजा ने सिसोदिया की ईडी और सीबीआई दोनों ही मामलों में जमानत याचिका खारिज कर दी थी. इसके बाद उन्होंने निचली अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. हालांकि, इस दिन कोर्ट ने सिसोदिया को बड़ी राहत देते हुए हफ्ते में 1 बार पत्नी से मिलने की इजाजत दी थी. इसके बाद मामले की अगली सुनवाई 7 मई को हुई. इस दिन हाई कोर्ट ने ED और CBI दोनों को सिसोदिया की जमानत याचिकाओं पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए एक हफ्ते का समय दिया था. इस दौरान ईडी ने सिसोदिया की जमानत का विरोध किया था और कहा था कि इस मामले में लो आम आदमी पार्टी को आरोपी बनाएगी. 14 मई को सिसोदिया की जमानत याचिका हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
5 अप्रैल जेल से लिखी थी चिट्ठी
दिल्ली शराब घोटाला मामले में तिहाड़ में बंद सिसोदिया ने 5 अप्रैल को जो चिट्ठी लिखी थी, उसमें उन्होंने ये उम्मीद जताई दी थी कि वो जल्द जेल से बाहर आएंगे. सिसोदिया ने अपनी चिट्ठी में लिखा कि अंग्रेजों को भी अपनी सत्ता का बहुत घमंड था. अंग्रेज भी झूठे आरोप लगाकर लोगों को जेल में बंद करते थे. अंग्रेजों ने गांधी-मंडेला को भी जेल में डाला. अंग्रेज शासकों की तानाशाही के बावजूद आजादी का सपना साकार हुआ.
सिसोदिया पर क्या हैं आरोप?
शराब घोटाले में सिसोदिया पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे. कहा गया कि उन्होंने लाइसेंस लोने वालों को फायदा पहुंचाया. शराब कंपनियों को लाइसेंस फीस में करोड़ों की छूट दी गई. इससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ. उन्होंने एक्साइज नीति के खिलाफ फैसले लिए. उन्होंने शराब घोटाले में सबूत छिपाने के लिए एक दर्जन से ज्यादा फोन बदले. कई सिम कार्ड भी बदले. इस तरह के कई आरोप उन लगे हैं.