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Sahara India Pariwar:सहारा निवेशकों के लिए आई अच्छी खबर, पैसा लौटाने के लिए SC ने दिया ये निर्देश

Sahara India Pariwar: सहारा समूह की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि कंपनी को अपनी संपत्तियां बेचने का अवसर नहीं दिया गया।

Sahara India Pariwar: सहारा के लाखों छोटे निवेशकों के लिए एक महत्वपूर्ण और सकारात्मक मोड़ आया है। सुप्रीम कोर्ट ने आज सहारा समूह को अपनी संपत्तियों को बेचने की अनुमति दे दी है, जिससे निवेशकों की जमा की गई राशि के लौटने की संभावना बढ़ गई है। इस निर्णय ने उन निवेशकों की उम्मीदों को नया जीवन दिया है, जो लंबे समय से अपने पैसे की वापसी का इंतजार कर रहे थे।

सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने एक अगस्त 2012 को आदेश दिया था कि सहारा समूह की कंपनियों - एसआईआरईसीएल और एसएचआईसीएल, निवेशकों से जमा की गई राशि को 15 प्रतिशत सालाना ब्याज के साथ सेबी को लौटाएं। यह ब्याज राशि जमा की तारीख से लेकर पुनर्भुगतान की तारीख तक के लिए देय होगी। लेकिन अब, अदालत ने सहारा समूह को अपनी संपत्तियों को बेचने की अनुमति दे दी है, जिससे कि निवेशकों के पैसे की वापसी की प्रक्रिया को तेज किया जा सके।

संपत्तियों की बिक्री पर स्पष्ट दिशा-निर्देश

सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी शामिल हैं, ने सहारा समूह की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की याचिका पर सुनवाई की। कपिल सिब्बल ने दलील दी कि कंपनी को अपनी संपत्तियां बेचने का उचित मौका नहीं मिला था। इस पर पीठ ने सहारा समूह को स्पष्ट किया कि 25,000 करोड़ रुपये में से बाकी 10,000 करोड़ रुपये जमा करने के लिए उनकी संपत्तियां बेचने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। हालांकि, संपत्तियों को सर्किल रेट से कम मूल्य पर नहीं बेचा जा सकता और ऐसी स्थिति में न्यायालय की पूर्व अनुमति लेनी होगी।

निवेशकों को मिलना शुरू हुआ पैसा

सहारा समूह में निवेश करने वाले निवेशकों के लिए एक और अच्छी खबर है - उनके पैसे की वापसी शुरू हो चुकी है। पिछले साल मार्च में, उच्चतम न्यायालय ने सहारा-सेबी रिफंड खाते से 5,000 करोड़ रुपये को सहकारी समितियों के केंद्रीय रजिस्ट्रार (सीआरसीएस) को हस्तांतरित करने का निर्देश दिया था। इसके बाद, सहकारिता मंत्रालय ने जुलाई में सहारा समूह की चार सहकारी समितियों के जमाकर्ताओं से वैध दावे लेने के लिए एक पोर्टल शुरू किया। इन समितियों में शामिल हैं: सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी, सहारायन यूनिवर्सल मल्टीपर्पज सोसाइटी, हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी, और स्टार्स मल्टीपर्पज कोऑपरेटिव सोसाइटी।

निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले से निवेशकों को राहत मिली है और उनके पैसे की वापसी की संभावना को बल मिला है। सहारा समूह को अब अपनी संपत्तियों की बिक्री के माध्यम से बाकी राशि जमा करने का अवसर प्राप्त है, जिससे निवेशकों को उनके पैसे की वापसी की प्रक्रिया को तेज किया जा सके। इस निर्णय ने न केवल निवेशकों की उम्मीदों को बढ़ाया है बल्कि न्यायिक प्रणाली की प्रतिबद्धता को भी दर्शाया है कि वह निवेशकों के अधिकारों की रक्षा के लिए तत्पर है।

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