Economy of India: हालांकि दूसरी तिमाही में देश की जीडीपी पिछले दो सालों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है, फिर भी कोर और सर्विस सेक्टर से भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबरें आई हैं। जहां कोर सेक्टर के आंकड़े सितंबर के मुकाबले बेहतर दिख रहे हैं, वहीं सर्विस एक्सपोर्ट में भी लगातार दूसरे महीने सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई है। आइए जानते हैं कि इन दोनों सेक्टर्स में क्या बदलाव आए हैं और इससे देश की अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा।
कोर सेक्टर में सुधार
देश के आठ प्रमुख बुनियादी उद्योगों का उत्पादन अक्टूबर 2024 में घटकर 3.1 फीसदी रह गया, जबकि पिछले साल अक्टूबर में यह आंकड़ा 12.7 प्रतिशत था। हालांकि, यह आंकड़ा सितंबर 2024 के मुकाबले बेहतर है, जब यह 2.4 प्रतिशत था। अक्टूबर में कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के उत्पादन में कमी आई है, लेकिन कोयला, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली के उत्पादन में क्रमशः 7.8 प्रतिशत, 0.4 प्रतिशत, 4.2 प्रतिशत और 0.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि पिछले साल अक्टूबर में ये आंकड़े बहुत ज्यादा थे, जैसे कि कोयला (18.4 प्रतिशत), उर्वरक (5.3 प्रतिशत), इस्पात (16.9 प्रतिशत) और बिजली (20.4 प्रतिशत)। लेकिन फिर भी, हाल के आंकड़े सकारात्मक बदलाव को दर्शाते हैं, जो संकेत देते हैं कि कोर सेक्टर में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है।
इस साल के अप्रैल से अक्टूबर तक के आंकड़ों के अनुसार, आठ प्रमुख बुनियादी ढांचा क्षेत्रों की वृद्धि दर 4.1 प्रतिशत रही, जो पिछले साल की इसी अवधि में 8.8 प्रतिशत थी। इन आठ क्षेत्रों का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) में 40.27 प्रतिशत का योगदान है।
सर्विस एक्सपोर्ट में वृद्धि
दूसरी ओर, भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर 2024 में सर्विस एक्सपोर्ट 22.3 प्रतिशत बढ़कर 34.3 अरब डॉलर हो गया। यह लगातार दूसरे महीने की वृद्धि है, जो भारतीय सेवा क्षेत्र की मजबूत स्थिति को दिखाता है।
सितंबर के मुकाबले यह आंकड़ा अधिक है, जब सेवा निर्यात 32.57 अरब डॉलर तक पहुंच गया था। इसी तरह, अक्टूबर में आयात भी बढ़कर 17.21 अरब डॉलर हो गया, जो 27.9 प्रतिशत अधिक है। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारतीय सेवा क्षेत्र में निरंतर वृद्धि हो रही है, जो देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान कर रहा है।
जीडीपी में गिरावट का कारण
हालांकि कोर और सर्विस सेक्टर में सुधार हो रहा है, दूसरी तिमाही में देश की जीडीपी में कमी आई है। जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर घटकर 5.4 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो कि पिछले दो वर्षों का निचला स्तर है। पिछले साल की इसी तिमाही में यह वृद्धि दर 8.1 प्रतिशत थी, जबकि अप्रैल-जून, 2024 की तिमाही में यह 6.7 प्रतिशत थी।
इसके मुख्य कारण मैन्युफैक्चरिंग और माइनिंग सेक्टर्स का कमजोर प्रदर्शन और खपत में कमी रही है। फिर भी, भारत अब भी दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है, जो आने वाले समय में वृद्धि के बेहतर अवसरों को दर्शाता है।
निष्कर्ष
देश की जीडीपी भले ही कम हुई हो, लेकिन कोर और सर्विस सेक्टर के आंकड़े यह संकेत दे रहे हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार की दिशा में लगातार काम हो रहा है। कोर सेक्टर में धीरे-धीरे वृद्धि हो रही है, जबकि सेवा क्षेत्र में निरंतर बढ़ोतरी से उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले महीनों में अर्थव्यवस्था को और गति मिलेगी।