Ashok Gehlot News: अजमेर शरीफ दरगाह में शिव मंदिर के अस्तित्व को लेकर हाल ही में एक विवाद उठ खड़ा हुआ है, जिसने राजनीति के मैदान में हलचल मचा दी है। विपक्षी दलों के नेताओं का आरोप है कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) इस मामले को धर्म के नाम पर राजनीति करने के लिए उछाल रहे हैं। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जहां शांति और भाईचारे का माहौल है, वहां अशांति फैलाने से देश का विकास नहीं हो सकता।
अशोक गहलोत ने बीजेपी पर साधा निशाना
अशोक गहलोत ने बीजेपी और आरएसएस पर सीधा हमला करते हुए कहा कि जब से ये पार्टियां सत्ता में आई हैं, तब से धर्म के नाम पर राजनीतिक ध्रुवीकरण किया जा रहा है। उन्होंने संसद में एक महत्वपूर्ण कानून का उल्लेख किया, जिसके तहत उन पूजा स्थलों को लेकर कोई विवाद नहीं उठाया जा सकता, जिनका निर्माण 15 अगस्त 1947 से पहले हुआ था। गहलोत ने आरोप लगाया कि बीजेपी और आरएसएस इस कानून का उल्लंघन करते हुए इस विवाद को राजनीतिक लाभ के लिए तूल दे रहे हैं। उनका कहना था कि सरकार की जिम्मेदारी है कि वह विपक्ष के विचारों का सम्मान करे और उसे साथ लेकर चले, लेकिन बीजेपी और आरएसएस ऐसा नहीं कर रहे हैं।
पीएम मोदी भी अजमेर दरगाह पर चढ़ाते हैं चादर
गहलोत ने आगे कहा कि अजमेर शरीफ दरगाह पर देश और विदेश से लोग चादर चढ़ाने आते हैं, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हैं। उनका कहना था कि अगर प्रधानमंत्री खुद अजमेर शरीफ पर चादर चढ़ाते हैं, तो क्या यह विवाद धर्म और शांति की दिशा में काम करने वाले लोगों के खिलाफ नहीं है? उन्होंने जोर देते हुए कहा कि आरएसएस को देश में भेदभाव को समाप्त करने के लिए एक अभियान चलाना चाहिए, न कि इस तरह के विवादों से लोगों को बांटने का काम करना चाहिए।
कपिल सिब्बल ने सरकार पर निशाना साधा
कांग्रेस नेता और राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने भी इस घटनाक्रम को चिंताजनक बताते हुए सरकार को कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने सवाल किया कि क्या देश को राजनीतिक लाभ के लिए इस तरह के विवादों में फंसाना उचित है? सिब्बल ने इस मुद्दे को देश के सामूहिक ताने-बाने के लिए खतरनाक बताया और सरकार से मांग की कि इस विवाद को तूल न दिया जाए और इसे शांतिपूर्वक सुलझाया जाए।
मुकदमे में क्या है दावा?
यह विवाद तब उभरा, जब एक याचिकाकर्ता, विष्णु गुप्ता, ने दरगाह में एक शिव मंदिर के होने का दावा करते हुए अदालत में मुकदमा दायर किया। याचिका में यह मांग की गई है कि दरगाह को संकट मोचन महादेव मंदिर के रूप में घोषित किया जाए और हिंदुओं को वहां पूजा करने का अधिकार दिया जाए। इसके अलावा, यह भी मांग की गई है कि दरगाह का पंजीकरण रद्द किया जाए और एएसआई (आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) के माध्यम से वहां का सर्वेक्षण किया जाए। इस मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी, जो इस विवाद को और भी तूल दे सकती है।
नतीजा: शांति की आवश्यकता
अजमेर शरीफ दरगाह पर यह विवाद न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक संवेदनाओं को प्रभावित कर रहा है, बल्कि राजनीति में भी हलचल पैदा कर रहा है। इस मुद्दे पर अशोक गहलोत, कपिल सिब्बल और अन्य नेताओं का स्पष्ट संदेश है कि जहां शांति और एकता की भावना हो, वहां राजनीतिक खेल से बचना चाहिए। इस मामले में जो भी फैसला होगा, वह न केवल धार्मिक मामलों के लिहाज से, बल्कि समाज के ताने-बाने और आपसी भाईचारे के लिए भी महत्वपूर्ण होगा।