ITR File 2025: हर साल की तरह यह साल भी विदा होने जा रहा है, और नए साल का आगमन न केवल नई उम्मीदें लेकर आता है, बल्कि कुछ नई चुनौतियाँ भी। खासतौर पर टैक्सपेयर्स के लिए, 2024 के इनकम टैक्स कानून में किए गए बदलाव उनकी योजना और रणनीति में बड़ा असर डाल सकते हैं। इन बदलावों को समझना और समय पर तैयारी करना जरूरी है, ताकि आईटीआर फाइलिंग की अंतिम तिथि के करीब किसी भी तरह की परेशानी से बचा जा सके।
2024 के इनकम टैक्स नियमों में हुए प्रमुख बदलाव
1. नए टैक्स स्लैब्स का परिचय
2024-25 के लिए सरकार ने टैक्स स्लैब्स में बदलाव किए हैं। अब ₹3 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं देना होगा, और उच्चतम 30% टैक्स दर ₹15 लाख से ऊपर की आय पर लागू होगी। यह बदलाव टैक्स बचत के साथ-साथ बेहतर टैक्स प्लानिंग के अवसर प्रदान करता है।
आय सीमा (₹) | टैक्स दर (%) |
---|---|
₹0 - ₹3,00,000 | 0% |
₹3,00,001 - ₹7,00,000 | 5% |
₹7,00,001 - ₹10,00,000 | 10% |
₹10,00,001 - ₹12,00,000 | 15% |
₹12,00,001 - ₹15,00,000 | 20% |
₹15,00,001 और उससे ऊपर | 30% |
2. स्टैंडर्ड डिडक्शन में वृद्धि
पेंशनधारकों और सैलरीड कर्मचारियों को राहत देते हुए, स्टैंडर्ड डिडक्शन को ₹50,000 से बढ़ाकर ₹75,000 कर दिया गया है। यह परिवर्तन करयोग्य आय को कम करने में मदद करेगा।
3. एनपीएस योगदान पर डिडक्शन बढ़ा
अब, एनपीएस में नियोक्ता के योगदान पर 14% तक का डिडक्शन मिलेगा, जो पहले 10% था।
4. पूंजीगत लाभ (Capital Gains) पर नई दरें
- शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (एसटीसीजी): इक्विटी और म्यूचुअल फंड्स पर 20%।
- लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (एलटीसीजी): सभी संपत्तियों पर 12.5%।
5. होल्डिंग अवधि में परिवर्तन
कैपिटल गेन की गणना के लिए लिस्टेड संपत्तियों के लिए न्यूनतम होल्डिंग अवधि 12 महीने और अनलिस्टेड संपत्तियों के लिए 24 महीने होगी।
6. टीडीएस और टीसीएस का सरलीकरण
- बीमा भुगतान और किराए पर टीडीएस अब 2%।
- ई-कॉमर्स ऑपरेटर द्वारा भुगतान पर टीसीएस 0.1%।
7. लक्जरी वस्तुओं पर अतिरिक्त कर
1 जनवरी 2025 से ₹10 लाख से अधिक की लक्जरी वस्तुओं पर अतिरिक्त टीसीएस लागू होगा।
8. संपत्ति लेनदेन पर टीडीएस का संशोधन
50 लाख से अधिक की संपत्ति बिक्री पर टीडीएस पूरे लेनदेन पर लागू होगा, भले ही किसी एक विक्रेता का हिस्सा ₹50 लाख से कम हो।
9. विवाद से विश्वास योजना 2.0
टैक्स विवादों के निपटारे के लिए यह योजना 1 अक्टूबर 2024 से लागू हो चुकी है।
10. पुराने आईटीआर खोलने की समय सीमा घटाई गई
अब ₹50 लाख से अधिक आय वाले मामलों में, विभाग केवल 5 वर्षों तक पुराने आईटीआर खोल सकता है, जो पहले 10 वर्ष था।
निष्कर्ष
नए टैक्स नियमों का प्रभाव वित्तीय योजना पर व्यापक हो सकता है। इसलिए, टैक्सपेयर्स को सलाह दी जाती है कि वे इन परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए अपने निवेश और टैक्स प्लानिंग की रणनीति तैयार करें। समय रहते इन नियमों को समझकर आप न केवल समय और तनाव बचा सकते हैं, बल्कि अपनी टैक्स देनदारी भी कम कर सकते हैं।