Farmers Protest News:किसानों का आंदोलन तेज, योगी सरकार ने समाधान खोजने के लिए उठाया ये कदम

08:36 AM Dec 04, 2024 | zoomnews.in

Farmers Protest News: किसानों की गिरफ्तारी और उनकी मांगों की अनदेखी के खिलाफ आज एक बड़ी महापंचायत आयोजित होने जा रही है। इस महापंचायत में हजारों किसानों के जुटने की उम्मीद है, जो अपनी आवाज बुलंद करने के लिए दिल्ली कूच पर अड़े हुए हैं। दिल्ली-नोएडा बॉर्डर पर पुलिस उन्हें रोकने की कोशिश कर रही है, लेकिन किसानों का दृढ़ संकल्प उन्हें रुकने नहीं दे रहा।

योगी सरकार की पहल: समाधान के लिए समिति का गठन

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने किसानों के साथ बातचीत और समाधान निकालने के लिए एक पांच सदस्यीय समिति का गठन किया है। यह समिति अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग के प्रमुख सचिव, आईएएस अनिल कुमार सागर की अध्यक्षता में काम करेगी। इसमें अन्य सदस्य विशेष सचिव पीयूष वर्मा, नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के एसीईओ संजय खत्री और सौम्य श्रीवास्तव, तथा यमुना प्राधिकरण के एसीईओ कपिल सिंह शामिल हैं।

यह समिति एक महीने के भीतर सरकार को अपनी रिपोर्ट और सिफारिशें सौंपेगी। सरकार की इस पहल को सकारात्मक कदम माना जा रहा है, लेकिन किसानों ने साफ कर दिया है कि वे अपने आंदोलन से पीछे नहीं हटेंगे।

महामाया फ्लाईओवर पर किसानों का जमावड़ा

भारतीय किसान मोर्चा के अध्यक्ष नरेश टिकैत के नेतृत्व में आज दोपहर 12 बजे किसानों का महामाया फ्लाईओवर पर धरना शुरू होगा। टिकैत ने कहा कि उनकी मांगें जायज हैं और जब तक सरकार इन्हें पूरा नहीं करती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

किसानों की मुख्य मांगें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी, गिरफ्तार किसानों की रिहाई और भूमि अधिग्रहण मामलों में पारदर्शिता सुनिश्चित करना हैं।

राजनीतिक और सामाजिक समर्थन

किसानों के आंदोलन को कई राजनीतिक दलों और नेताओं का समर्थन मिल रहा है। तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत रॉय ने कहा है कि सरकार को किसानों की मांगों को तुरंत मान लेना चाहिए। दूसरी ओर, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने किसानों की समस्याओं के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है।

उपराष्ट्रपति की नाराजगी

इस मसले पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सरकार के रवैये पर नाराजगी जताई। एक कार्यक्रम में उन्होंने कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से सवाल किया कि किसानों से किए गए वादे अब तक पूरे क्यों नहीं हुए। उन्होंने कहा कि किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य देने का आश्वासन बार-बार दिया जाता है, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं हो रहा।

धनखड़ ने इस मुद्दे को "गहराई का विषय" बताया और कहा कि इसे हल्के में लेना नीति-निर्माण की गंभीर विफलता होगी। उन्होंने कृषि मंत्री से अपील की कि वे जल्द से जल्द इस मुद्दे को सुलझाने के लिए ठोस कदम उठाएं।

किसान आंदोलन का बढ़ता प्रभाव

किसानों का यह आंदोलन न केवल उत्तर प्रदेश और दिल्ली बल्कि राष्ट्रीय राजनीति पर भी असर डाल रहा है। उनकी एकजुटता और मांगें यह संकेत देती हैं कि देश के किसानों की समस्याओं को अनदेखा करना अब सरकारों के लिए आसान नहीं है।

सरकार और किसानों के बीच समाधान की प्रक्रिया कितनी कारगर होगी, यह आने वाले दिनों में साफ हो पाएगा। लेकिन यह स्पष्ट है कि किसानों के आंदोलन ने एक बार फिर कृषि और ग्रामीण विकास के मुद्दों को राष्ट्रीय चर्चा के केंद्र में ला दिया है।