J&K Election 2024: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए अपना संकल्प पत्र जारी किया, जिसमें 25 प्रमुख गारंटियां शामिल हैं। इनमें श्वेत पत्र जारी करना, आतंकवाद के पीड़ितों के लिए जवाबदेही और कश्मीर में 100 मंदिरों के जीर्णोद्धार के वादे ने विशेष ध्यान आकर्षित किया है। इन वादों का उद्देश्य न केवल मतदाताओं को प्रभावित करना है, बल्कि जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाने का भी है।
संकल्प पत्र की प्रमुख विशेषताएं
बीजेपी के संकल्प पत्र में कश्मीरी पंडितों की वापसी और पुनर्वास, 5 लाख नौकरियों का सृजन, और रोहिंग्या और बांग्लादेशी बस्तियों के समाधान के लिए अभियान चलाने की बात की गई है। इसमें विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) के रूप में IT हब की स्थापना, उधमपुर में फार्मास्यूटिकल पार्क, और किश्तवाड़ में आयुष हर्बल पार्क की स्थापना शामिल हैं। महिलाओं, युवाओं, और बुजुर्गों से जुड़े मुद्दों को भी प्रमुखता दी गई है, जैसे कि छात्रों को टैबलेट और लैपटॉप प्रदान करना, और वृद्धावस्था पेंशन को बढ़ाना।
मंदिरों के जीर्णोद्धार का महत्व
बीजेपी ने कश्मीर में 100 मंदिरों के जीर्णोद्धार का वादा किया है, जिसमें शंकराचार्य मंदिर, रघुनाथ मंदिर, और मार्तंड सूर्य मंदिर शामिल हैं। इस पहल को लेकर पार्टी का मानना है कि यह धार्मिक और आध्यात्मिक धरोहर को सहेजने का एक महत्वपूर्ण कदम है। पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने भी मंदिरों के पुनरुद्धार में रुचि दिखाई है, और बीजेपी ने इसे अपने संकल्प पत्र में शामिल कर धार्मिक भावनाओं को भुनाने की कोशिश की है।
जम्मू-कश्मीर की डेमोग्राफी और चुनावी परिदृश्य
जम्मू-कश्मीर की कुल आबादी में 68.80% मुस्लिम और 28.80% हिंदू हैं, जबकि कश्मीर घाटी में 96% मुस्लिम और जम्मू डिविजन में 66% हिंदू आबादी है। बीजेपी का ध्यान मुख्य रूप से जम्मू डिविजन पर है, जहां मंदिरों का मुद्दा उसे स्थानीय हिंदू मतदाताओं में लोकप्रिय बना सकता है। संकल्प पत्र में मंदिरों के जीर्णोद्धार का वादा जम्मू डिविजन में पार्टी को फायदा पहुंचा सकता है, खासकर नेशनल कॉन्फ्रेंस के विवादास्पद घोषणा पत्र के संदर्भ में।
मंदिरों का मुद्दा और बीजेपी को संभावित लाभ
हाल ही में जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस द्वारा किए गए ऐतिहासिक स्थल के नामों के बदलाव ने कुछ हद तक हिंदू समुदाय में नाराजगी पैदा की है। बीजेपी द्वारा मंदिरों के जीर्णोद्धार का वादा इस नाराजगी को अपने पक्ष में मोड़ सकता है और जम्मू डिविजन में उसकी स्थिति को मजबूत कर सकता है। हालांकि, कश्मीर घाटी में बीजेपी का प्रभाव सीमित रहा है, लेकिन अगर पार्टी वहां अच्छा प्रदर्शन करती है, तो यह एक बड़ा बोनस होगा।
इस प्रकार, बीजेपी का संकल्प पत्र जम्मू-कश्मीर के चुनावी परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, विशेष रूप से मंदिरों के जीर्णोद्धार के वादे के माध्यम से जो धार्मिक और सांस्कृतिक संवेदनाओं को संबोधित करता है। यह देखा जाना बाकी है कि पार्टी इस मुद्दे को कितना बड़ा बना पाती है और चुनावी परिणामों पर इसका कितना असर होता है।