Bangladesh News:बांग्लादेश में हो गया वो भी जो इस देश के इतिहास में नहीं हुआ अब तक, जानें पूरा मामला

10:19 PM Sep 05, 2024 | zoomnews.in

Bangladesh News: बांग्लादेश में हालात सामान्य नहीं हैं। देश ने एक ऐसी घटना देखी है, जो इसके इतिहास में पहली बार हुई है। बृहस्पतिवार को, बांग्लादेश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त काजी हबीबुल अवाल की अध्यक्षता वाले पांच सदस्यीय निर्वाचन आयोग ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। यह घटना देश में अंतरिम सरकार के गठन के बाद सामने आई है और यह पहली बार है जब किसी निर्वाचन आयोग ने अपना कार्यकाल पूरा किए बिना इस्तीफा दिया है।

काजी हबीबुल अवाल को फरवरी 2022 में मुख्य निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया गया था। इस्तीफा देने के बाद, अवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि बांग्लादेश के 53 साल के इतिहास में ऐसा कोई उदाहरण नहीं है कि निर्वाचन आयोग ने स्वेच्छा से अपने कार्यकाल को पूरा किए बिना इस्तीफा दिया हो।

राजधानी ढाका के अगरगांव इलाके में स्थित निर्वाचन भवन के बाहर भारी विरोध प्रदर्शन हुआ, जिसमें सेना के जवानों को तैनात किया गया। प्रदर्शनकारी अवाल और आयोग के अन्य सदस्यों के खिलाफ नारे लगा रहे थे। इस दौरान, निर्वाचन आयोग के खिलाफ व्यापक आलोचना की गई, विशेषकर सात जनवरी को आयोजित आम चुनाव के लिए, जिसमें विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने बहिष्कार किया था। इस चुनाव में शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग लगातार चौथी बार सत्ता में आई थी।

निर्वाचन आयोग का इस्तीफा बांग्लादेश की राजनीति में एक नई अस्थिरता का संकेत हो सकता है, और यह दर्शाता है कि देश में राजनीतिक असंतोष और विवाद गहराते जा रहे हैं। इस घटनाक्रम के बाद बांग्लादेश में राजनीतिक भविष्य और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं पर नजर बनाए रखना महत्वपूर्ण होगा।

पहले ऐसा कभी नहीं हुआ

अपने कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए अवाल ने कहा कि बांग्लादेश के 53 साल के इतिहास में ऐसा कोई उदाहरण नहीं है कि किसी निर्वाचन आयोग ने अपना कार्यकाल पूरा किए बिना स्वेच्छा से इस्तीफा दे दिया हो। मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य आयुक्तों - ब्रिगेडियर जनरल (सेवानिवृत्त) मोहम्मद अहसान हबीब खान, रशीदा सुल्ताना, मोहम्मद आलमगीर और मोहम्मद अनीसुर रहमान - ने पांच अगस्त को शेख हसीना की सरकार के पतन के ठीक एक महीने बाद इस्तीफा दे दिया। 

निर्वाचन आयोग की आलोचना

निर्वाचन आयोग को विशेष रूप से सात जनवरी को आम चुनाव कराने के लिए आलोचनाओं का सामना करना पड़ा, जिसका मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) सहित अधिकतर दलों ने बहिष्कार किया था। इस चुनाव में शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग लगातार चौथी बार फिर से निर्वाचित हुई थी।