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Israel Supports America:पूरी दुनिया खिलाफ फिर भी अमेरिका का इजराइल ने दिया साथ, क्या है मामला?

Israel Supports America: कैरिबियाई देश क्यूबा पर अमेरिका ने पिछले 6 दशकों से आर्थिक और व्यापारिक प्रतिबंध लगा रखे हैं, इन प्रतिबंधों के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र

Israel Supports America: संयुक्त राष्ट्र महासभा में क्यूबा पर दशकों से लागू अमेरिकी प्रतिबंधों को समाप्त करने के लिए प्रस्ताव को जोरदार समर्थन मिला है। क्यूबा द्वारा लाए गए इस प्रस्ताव को 187 देशों ने समर्थन दिया, जिसमें भारत भी शामिल है। यह प्रस्ताव अमेरिका द्वारा क्यूबा पर लगाए गए आर्थिक, व्यापारिक और वित्तीय प्रतिबंधों को समाप्त करने की मांग करता है। इन प्रतिबंधों ने क्यूबा के विकास और आर्थिक अवसरों को प्रभावित किया है, और क्यूबा लगातार इन प्रतिबंधों को समाप्त करने की अपील कर रहा है।

लंबे समय से विवादास्पद प्रतिबंध

1960 में क्यूबा में फिदेल कास्त्रो की क्रांति और अमेरिकी संपत्तियों के राष्ट्रीयकरण के बाद, अमेरिका ने क्यूबा पर आर्थिक, व्यापारिक और वित्तीय प्रतिबंध लगाए थे। तब से इन प्रतिबंधों को चुनौती देने के लिए संयुक्त राष्ट्र में हर साल प्रस्ताव लाया जाता है। हालांकि, 2015 और 2016 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इन प्रतिबंधों में कुछ ढील दी थी, लेकिन 2017 में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उन्हें फिर से कड़ा कर दिया।

सिर्फ इजराइल ने दिया अमेरिका का साथ

इस प्रस्ताव के खिलाफ अमेरिका और इजराइल ने वोट किया, जबकि मोलदोवा ने मतदान से परहेज किया। पिछले वर्षों में भी केवल इजराइल ने ही अमेरिका का समर्थन किया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में पिछले तीन दशकों से इस प्रस्ताव को भारी समर्थन मिलता रहा है, लेकिन अमेरिका अपने रुख पर कायम है और इन प्रतिबंधों को हटाने को तैयार नहीं है।

अर्जेंटीना में सियासी घमासान

क्यूबा के इस प्रस्ताव का समर्थन करने पर अर्जेंटीना में राजनीतिक हलचल मच गई है। अमेरिकी प्रतिबंध हटाने के पक्ष में मतदान करने पर अर्जेंटीना की विदेश मंत्री डायना मोंडिनो को उनके पद से हटा दिया गया है। राष्ट्रपति की ओर से अमेरिका में अर्जेंटीना के राजदूत गेरार्डो वर्थीन को उनके स्थान पर नियुक्त किया गया है।

भारत का दृष्टिकोण

संयुक्त राष्ट्र में भारत की प्रथम सचिव स्नेहा दुबे ने इस प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि भारत इस सभा के साथ एकजुटता में खड़ा है और विदेशी प्रभाव वाले घरेलू कानूनों का विरोध करता है। उन्होंने कहा कि इन प्रतिबंधों ने क्यूबा के सतत विकास और 2030 एजेंडे की प्रगति में बाधा डाली है। भारत ने क्यूबा के लिए एक मुक्त और प्रतिबंध-मुक्त वातावरण की जरूरत पर जोर दिया।

क्यूबा की अपील

क्यूबा के विदेश मंत्री ब्रूनो रोड्रिग्ज ने अमेरिकी प्रतिबंधों की आलोचना करते हुए कहा कि ये प्रतिबंध क्यूबा के विकास और ऊर्जा संसाधनों तक पहुंच में बाधा डालते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि क्यूबा को अपनी वास्तविक क्षमता विकसित करने का अवसर चाहिए और अमेरिका के इस दावे को खारिज किया कि ये प्रतिबंध क्यूबा के लोगों के भले के लिए लगाए गए हैं।

अमेरिका का पक्ष

अमेरिका ने क्यूबा पर लगाए गए प्रतिबंधों को लोकतंत्र और मानवाधिकारों की रक्षा के नाम पर सही ठहराया है। अमेरिकी डिप्टी एंबेसडर पॉल फॉल्सबी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि अमेरिका क्यूबा में लोकतंत्र और मौलिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है।

निष्कर्ष

यह मुद्दा दशकों पुराना है और इसे लेकर संयुक्त राष्ट्र महासभा में हर साल समर्थन मिलता है। क्यूबा पर लगे प्रतिबंधों ने न केवल उसके आर्थिक विकास को रोका है, बल्कि कई आवश्यक संसाधनों तक उसकी पहुंच को भी बाधित किया है। क्यूबा के समर्थन में दुनिया के अधिकांश देशों की प्रतिक्रिया अमेरिका के कड़े रुख पर सवाल खड़े करती है। उम्मीद है कि आने वाले समय में यह मुद्दा दोनों देशों के बीच बातचीत से हल किया जा सकेगा, जिससे क्यूबा को विकास के अवसर मिल सकें।

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