Delhi AQI Index: ठंड की शुरुआत से पहले ही देश की राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर बेहद गंभीर स्थिति में पहुंच चुका है। लोगों को साफ हवा में सांस लेना मुश्किल हो गया है, और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, यह हालात बच्चों, बुजुर्गों और उन लोगों के लिए बेहद खतरनाक हैं जो पहले से ही श्वसन संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं। बुधवार की सुबह दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 356 दर्ज किया गया, जो "बेहद खराब" श्रेणी में आता है।
दिल्ली के विभिन्न इलाकों में AQI का हाल
दिल्ली के कई हिस्सों में वायु गुणवत्ता के स्तर ने "बहुत खराब" से "गंभीर" श्रेणी में प्रवेश कर लिया है। आनंद विहार का AQI 372, अशोक विहार का 398, और बवाना का AQI 414 दर्ज किया गया है। सबसे खतरनाक स्थिति वजीरपुर की है, जहां AQI 421 तक पहुंच गया है। ये आंकड़े बताते हैं कि अधिकांश स्थानों पर हवा का स्तर बेहद खराब हो चुका है और जल्द ही कार्रवाई न करने पर यह और बिगड़ सकता है।
दिल्ली के आस-पास के इलाकों में भी हवा की स्थिति खराब है। उदाहरण के लिए, नोएडा का AQI 268 है, जो "खराब" श्रेणी में आता है। इससे यह साफ होता है कि दिल्ली के साथ-साथ आसपास के क्षेत्रों में भी प्रदूषण का प्रभाव बढ़ता जा रहा है।
प्रदूषण का कारण और इसके प्रभाव
दिल्ली में वायु प्रदूषण का मुख्य कारण सर्दियों में पड़ोसी राज्यों में पराली जलाना, गाड़ियों से निकलने वाला धुआं, औद्योगिक उत्सर्जन और निर्माण गतिविधियां हैं। इसके अलावा, सर्दियों में हवा की गति धीमी हो जाती है, जिससे प्रदूषक तत्व हवा में ही बने रहते हैं और वायुमंडल में ठहर जाते हैं।
वायु प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर बच्चों और बुजुर्गों पर पड़ रहा है। श्वसन रोगियों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। प्रदूषित हवा में मौजूद सूक्ष्म कण (PM2.5 और PM10) सीधे फेफड़ों में जाकर संक्रमण और अन्य बीमारियों का कारण बनते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि बढ़ते प्रदूषण से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और अन्य श्वसन संबंधी रोगों का खतरा बढ़ गया है।
हालात पर नियंत्रण के प्रयास
दिल्ली सरकार ने प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कुछ कदम उठाए हैं, जैसे पानी का छिड़काव, निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध, और गाड़ियों के लिए ऑड-ईवन स्कीम। इसके अलावा, दिल्ली के प्रदूषण को कम करने के लिए सरकार ने पड़ोसी राज्यों से भी पराली जलाने को रोकने की अपील की है।
हालांकि, इन कदमों का असर अभी पूरी तरह से दिखाई नहीं दे रहा है। वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए और अधिक ठोस योजनाएं और कार्यवाही की जरूरत है। जब तक प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपायों पर सख्ती से अमल नहीं किया जाएगा, दिल्ली के लोगों को स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
निष्कर्ष
दिल्ली में बढ़ता वायु प्रदूषण न केवल राजधानी के निवासियों के स्वास्थ्य के लिए बल्कि पूरे पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा बन गया है। अगर तत्काल कदम नहीं उठाए गए तो स्वास्थ्य संकट और गहरा सकता है। इस वक्त सरकार, नागरिकों और पड़ोसी राज्यों को मिलकर प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए ठोस प्रयास करने की जरूरत है ताकि दिल्ली के लोग साफ हवा में सांस ले सकें और अपने जीवन को सुरक्षित रख सकें।