Karanpur Election: राजस्थान में मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा अपनी पहली ही परीक्षा में फेल हो गए हैं. करणपुर विधानसभा सीट का चुनाव परिणाम घोषित हो गया है. यहां कांग्रेस को जीत मिली है वहीं बीजेपी सरकार में मंत्री सुरेंद्र पाल सिंह को हार का सामना करना पड़ा है. यहां कांग्रेस प्रत्याशी गुरमीत सिंह कूनर की मौत के चलते चुनाव स्थगित कर दिए गए थे. इस सीट से बीजेपी ने सुरेंद्र पाल सिंह को उम्मीदवार बनाया. इससे पहले बीजेपी सरकार में उन्हें मंत्री भी बनाया गया. वहीं कांग्रेस ने गुरमीत सिंह कूनर के बेटे रूपिंदर सिंह कूनर को ही उम्मीदवार बनाया था.
इस सीट पर शुक्रवार को मतदान हुआ था, जिसमें 81.38 प्रतिशत मतदान हुआ.कांग्रेस ने सुरेंद्र पाल सिंह को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की आलोचना करते हुए इसे आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन बताया था. नियमों के मुताबिक, मंत्री बनने के बाद से सुरेंद्र पाल सिंह के पास विधायक चुने जाने के लिए छह महीने का समय है. 15 दिसंबर को बीजेपी के भजनलाल शर्मा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. नवनिर्वाचित विधायक दीया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा को उपमुख्यमंत्री बनाया गया है.
नतीजे पर पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने कहा है कि उपचुनाव की जीत बताती है कि विधानसभा में हार के बावजूद हमारी ताकत कम नहीं हुई है. इसका फायदा हमें लोकसभा चुनाव में मिलेगा. वहीं राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटारस ने कहा कि भाजपा की नई पर्ची सरकार इधर कांग्रेस की योजनाओं के नाम बदलती रही, उधर जनता ने इनका मंत्री ही बदल दिया.
मंत्री बन गए थे सुरेन्द्रपाल सिंह टीटी
भारतीय जनता पार्टी ने करणपुर सीट पर चुनाव से पहले ही अपने प्रत्याशी सुरेन्द्रपाल सिंह टीटी को 30 दिसंबर को बतौर राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मंत्रिपरिषद में शामिल कर लिया था। पार्टी के इस कदम की काफी चर्चा हो रही थी। वहीं, कांग्रेस ने सहानुभूति के रूप में दिवंगत विधायक गुरमीत सिंह कुन्नर के बेटे रुपिंदर सिंह को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा था।
अशोक गहलोत ने किया ट्वीट
राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने कांग्रेस प्रत्याशी की जीत पर ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा- "श्रीकरणपुर में कांग्रेस प्रत्याशी रुपिन्दर सिंह कुन्नर को जीत की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। यह जीत स्व. गुरमीत सिंह कुन्नर के जनसेवा कार्यों को समर्पित है। श्रीकरणपुर की जनता ने भारतीय जनता पार्टी के अभिमान को हराया है। चुनाव के बीच प्रत्याशी को मंत्री बनाकर आचार संहिता और नैतिकता की धज्जियां उड़ाने वाली भाजपा को जनता ने सबक सिखाया है।"
राजस्थान की परंपरा को नहीं तोड़ पाई कांग्रेस
25 नवंबर को हुए राजस्थान विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 115 सीटों पर विजय पताका फहराया था और कांग्रेस को जबरदस्त पटखनी दी थी. सत्ता पर काबिज रही कांग्रेस 69 सीटों पर सिमट गई थी. कांग्रेस लगातार दावा कर रही थी कि वह इस बार 30 सालों की परंपरा को तोड़ देगी. राजस्थान में पिछले 30 सालों से परंपरा है कि हर पांच साल बाद सरकार बदल जाती है.