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Rajasthan Politics:CM भजनलाल डेढ़ महीने बाद वसुंधरा से मिले- रिश्ते सामान्य करने की कोशिश

Rajasthan Politics: मुख्यमंत्री बनने के करीब डेढ़ महीने बाद शुक्रवार को सीएम भजनलाल शर्मा ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से उनके सरकारी आवास पर जाकर मुलाकात की।

Rajasthan Politics: मुख्यमंत्री बनने के करीब डेढ़ महीने बाद शुक्रवार को सीएम भजनलाल शर्मा ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से उनके सरकारी आवास पर जाकर मुलाकात की। सीएम भजनलाल करीब 35 मिनट तक राजे आवास में रहे। दोनों के बीच हुई इस मुलाकात के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। सबसे दिलचस्प बात इनकी मुलाकात की टाइमिंग है। गुरुवार को पीएम मोदी जयपुर आए थे। एयरपोर्ट पर सीएम भजनलाल शर्मा के साथ पूर्व सीएम वसुंधरा राजे भी मौजूद थीं।

अब इसके अगले दिन सीएम भजनलाल शर्मा का वसुंधरा राजे से मिलने पहुंचना, दिल्ली से मिले किसी मैसेज का भी इशारा माना जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि सीएम बनने के बाद भजनलाल शर्मा शिष्टाचार के नाते भी राजे से मिलने नहीं गए थे।

रिश्ते सामान्य कोशिश करने की कोशिश

सीएम भजनलाल शर्मा की वसुंधरा राजे से मुलाकात को आपसी रिश्ते सामान्य करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि जबसे भजनलाल शर्मा मुख्यमंत्री बने हैं, तब से वसुंधरा राजे ने सरकारी और पार्टी के कार्यक्रमों से पूरी तरह से किनारा कर लिया था। कार्यक्रमों में नहीं जाकर राजे लगातार अपनी नाराजगी जता रही हैं। यहां तक की भजनलाल सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार, पीएम मोदी के विधायक और पार्टी पदाधिकारियों के साथ डिनर कार्यक्रम, लोकसभा चुनावों की तैयारियों को लेकर आयोजित हुई चुनिंदा नेताओं की बैठक में भी राजे शामिल नहीं हुईं।

अब सामने लोकसभा चुनाव हैं। ऐसे में वसुंधरा राजे की नाराजगी पार्टी को भारी पड़ सकती है। सरकार बनने के बाद से ही फैसले लेने में हो रही देरी से भजनलाल सरकार की नेगेटिव छवि जा रही है। विधानसभा में भी पहले दिन सरकार का फ्लोर मैनेजमेंट कमजोर साबित हुआ। मंत्री विपक्ष के सवालों का ठीक से जवाब नहीं दे पाए। वहीं वसुंधरा गुट के विधायक इस स्थिति में न्यूट्रल भूमिका में ही बने रहे। ऐसे में राजे को साधना पार्टी के लिए काफी जरूरी हो गया है।

राजे को लोकसभा चुनावों में भी नहीं मिली कोई जिम्मेदारी

वसुंधरा राजे बीजेपी के वरिष्ठ और करिश्माई नेताओं में शामिल हैं। प्रदेश बीजेपी में वो एक मात्र चेहरा हैं, जो लोकसभा चुनावों की कमान सबसे बेहतर तरीके से संभाल सकती थीं, लेकिन पार्टी ने अभी तक उन्हें लोकसभा चुनावों की कोई जिम्मेदारी नहीं दी है।

पार्टी ने प्रदेश की 25 लोकसभा सीटों को 8 कलस्टर में बांट कर उनके कलस्टर प्रभारी नियुक्त किए हैं, लेकिन इसमें भी राजे समर्थक किसी नेता को कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई है।

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