US-China Tariff War: अमेरिका और चीन के बीच जारी व्यापार युद्ध अब एक नए चरण में प्रवेश कर चुका है। जहां पहले यह संघर्ष टैरिफ और शुल्कों तक सीमित था, वहीं अब चीन ने इस लड़ाई को कूटनीतिक मोर्चे पर भी तेज़ कर दिया है। बीजिंग न केवल अमेरिका के टैरिफ का समान जवाब दे रहा है, बल्कि अब वैश्विक मंच पर भी वाशिंगटन के खिलाफ माहौल तैयार करने की कोशिशों में जुट गया है।
हाल ही में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज से मुलाकात कर बहुपक्षीय सहयोग और मुक्त व्यापार के समर्थन की अपील की। शी ने इस बातचीत में यह स्पष्ट संकेत दिया कि चीन अब पश्चिमी देशों के साथ मिलकर एक निष्पक्ष वैश्विक शासन प्रणाली की ओर बढ़ना चाहता है, जो केवल एकतरफा नीतियों पर आधारित न हो।
भारत और एशियाई देशों से भी समर्थन की कोशिश
चीन की यह रणनीति केवल यूरोप तक सीमित नहीं है। कुछ समय पहले चीन ने भारत सहित अन्य एशियाई देशों से भी अमेरिका के खिलाफ एकजुट होने की अपील की थी। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगातार बढ़ाए जा रहे टैरिफ के जवाब में चीन अब अपने पुराने सहयोगियों को पुनः सक्रिय कर रहा है और उन्हें व्यापारिक संतुलन बहाल करने के लिए साथ लाने की रणनीति अपना रहा है।
यूरोपीय संघ को साधने की कोशिश
स्पेन के प्रधानमंत्री की यह चीन यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिका और यूरोपीय संघ के व्यापारिक संबंध भी तनाव में हैं। हाल ही में ट्रंप प्रशासन द्वारा घोषित नए टैरिफ और फिर उनके स्थगन ने यह संकेत दिए हैं कि यूरोपीय संघ चीन के साथ व्यापार बढ़ाने की दिशा में कदम बढ़ा सकता है। यूरोप, अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बाज़ार है, और ऐसे में चीन के लिए यह एक अहम रणनीतिक साझेदार बन सकता है।
एकता और सहयोग का संदेश
शी जिनपिंग ने अपने बयान में अमेरिका या ट्रंप का नाम लिए बिना इस बात पर ज़ोर दिया कि दुनिया आज कई तरह की चुनौतियों और जोखिमों का सामना कर रही है, जिनका समाधान केवल वैश्विक एकता और सहयोग से ही संभव है। उन्होंने एक बार फिर निष्पक्ष और संतुलित वैश्विक प्रणाली की वकालत की।
स्पेन की रुचि और यूरोपीय संतुलन
स्पेन के प्रधानमंत्री सांचेज़, जो दो वर्षों में तीसरी बार चीन की यात्रा पर आए हैं, ने इस बातचीत के बाद कहा कि स्पेन चीन और यूरोपीय संघ के बीच संतुलित संबंधों के पक्ष में है। उन्होंने संवाद और सहयोग को प्राथमिकता देने की बात कही, जो चीन के रुख के साथ मेल खाता है।