Delhi CM Atishi: दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने मंगलवार को एक चौंकाने वाला दावा करते हुए केंद्र सरकार पर लोकतंत्र को कमजोर करने की साजिश का आरोप लगाया। विधानसभा चुनावों से पहले की गई इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) के वोटरों का नाम मतदाता सूची से काटने के लिए सरकारी अधिकारियों पर दबाव डाल रही है।
केंद्र पर गंभीर आरोप
मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा, “केंद्र सरकार दिल्लीवालों के लोकतांत्रिक अधिकारों को खत्म करने की साजिश रच रही है। सरकारी अधिकारियों को ‘आप’ समर्थकों के नाम हटाने का आदेश दिया गया है। यह सारा काम चरणबद्ध तरीके से किया जा रहा है, जिसमें पहली चाल के रूप में दिल्ली के 29 एसडीएम और एडीएम का तबादला किया गया है।”
वोट काटने का दावा
प्रेस कांफ्रेंस में आतिशी ने कहा कि अधिकारियों को बड़ी संख्या में वोट काटने की जिम्मेदारी दी गई है। उन्होंने बताया, “एक डीएम ने अपने हर असिस्टेंट इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर (एईआरओ) को 20,000 वोटरों की सूची सौंपी है और कहा है कि ‘आप’ के वोटरों के नाम हटाने हैं। यह काम सीधे तौर पर बीजेपी के इशारे पर हो रहा है, क्योंकि बीजेपी जानती है कि वह चुनाव हारने जा रही है।”
बीएलओ पर दबाव का आरोप
सीएम ने यह भी दावा किया कि बूथ लेवल ऑफिसर्स (बीएलओ) को आदेश दिया गया है कि न तो नए वोटर बनाए जाएं और न ही ‘आप’ के वोटरों को वोटिंग सूची में बनाए रखा जाए। उन्होंने कहा, “बीएलओ को कहा गया है कि बीजेपी पार्टी की ओर से दी गई सूची के आधार पर काम करें और ‘आप’ समर्थकों के नाम काटें। यह सीधे तौर पर लोकतंत्र पर हमला है।”
अधिकारियों से की अपील
आतिशी ने दिल्ली के सरकारी अधिकारियों से अपील करते हुए कहा कि वे इस प्रकार के अवैध आदेशों का विरोध करें। उन्होंने कहा, “अगर कोई अफसर आपको वोट काटने के लिए कहता है या नए वोटर जोड़ने से रोकता है, तो उनकी रिकॉर्डिंग करें और मुझे भेजें। मैं भरोसा दिलाती हूं कि उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
बीजेपी की प्रतिक्रिया पर नजर
हालांकि, अभी तक बीजेपी की ओर से इन आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। अगर यह विवाद आगे बढ़ता है, तो यह दिल्ली के राजनीतिक माहौल को और गर्म कर सकता है।
निष्कर्ष
मुख्यमंत्री आतिशी के आरोपों ने दिल्ली की राजनीति में हलचल मचा दी है। अगर इन दावों में सच्चाई है, तो यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए एक गंभीर चुनौती है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी इन आरोपों का कैसे जवाब देती है और चुनावी तैयारियों पर इसका क्या असर पड़ता है।