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Punjab Politics:पंजाब में बीजेपी गठबंधन की और अकाली दल की बातचीत फेल! जानें कहां फंसा पेंच

Punjab Politics: पंजाब में शिरोमणि अकाली दल और बीजेपी गठबंधन की बातचीत लगभग फेल हो गई है. यह जानकारी सूत्रों के हवाले से सामने आई है. पंजाब में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के एक साथ चुनाव ना लड़ने के ऐलान बाद बीजेपी ने रणनीति बदल दी है.

Punjab Politics: पंजाब में शिरोमणि अकाली दल और बीजेपी गठबंधन की बातचीत लगभग फेल हो गई है. यह जानकारी सूत्रों के हवाले से सामने आई है. पंजाब में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के एक साथ चुनाव ना लड़ने के ऐलान बाद बीजेपी ने रणनीति बदल दी है. दरअसल, किसान आंदोलन, सिख बंदियों की रिहाई के मामलों को लेकर अकाली दल की ओर से दबाव बनाया जा रहा था. साथ ही पंजाब की बीजेपी लीडरशिप भी गठबंधन के पुराने फार्मूले के तहत ज्यादा सीटें अकाली दल को देने के हक में नहीं है.

एक न्यूज चैनल के कार्यक्रम में शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) और अन्य क्षेत्रीय दलों के एनडीए में शामिल होने की संभावना को लेकर अमित शाह ने कहा कि हम फेमिली प्लानिंग पर विश्वास करते हैं, लेकिन राजनीति में नहीं करते हैं. हम हमेशा चाहते हैं कि हमारा गठबंधन बढ़े और हम हमेशा नए सहयोगियों का स्वागत करते हैं. हमारी विचारधारा जनसंघ के समय से एक ही रही है. जो लोग हमसे जुड़ना चाहते हैं वे आ सकते हैं. एनडीए में अकाली दल की दोबारा एंट्री के बारे में शाह ने कहा कि बातचीत चल रही है, लेकिन कुछ भी तय नहीं हुआ है.

पिछले कई दिनों से चर्चा चल रही थी कि बीजेपी और अकाली दल में गठबंधन तय है और इसका ऐलान कभी भी संभव है. हालांकि सीट को लेकर पेंच फंसा हुआ था, जिस पर बातचीत होनी थी. आकली दल के मुखिया सुखबीर सिंह बादल इस समय आम आदमी पार्टी की सरकार की कथित विफलताओं को लेकर लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए ‘पंजाब बचाओ यात्रा’ पर हैं. शुरुआत में बादल राज्य के 13 संसदीय क्षेत्रों में से पांच और 117 विधानसभा क्षेत्रों में से 45 को कवर कर रहे हैं.

इस साल के होने वाले आम चुनाव को लेकर बीजेपी का दावा है कि वह तीसरी बार सत्ता में आने वाली है. हालांकि वह अपने कुनबे को लगातार बढ़ा रही है. बीजेपी अकाली दल से गठबंधन को लेकर लगातार अंदरखाने बातचीत कर रही थी. दोनों पार्टियों के बीच में तीन कृषि कानूनों को लेकर खड़े हुए किसान आंदोलन के समय दरार पड़ गई थी और अकाली दल ने सितंबर 2020 में एनडीए से नाता तोड़ दिया था.

इसके बाद अकाली दल अपने दम पर 2022 के विधानसभा चुनावों में AAP के सामने ताल ठोकी, लेकिन उसे करारी हार का सामना करना पड़ा. पार्टी को लगने लग गया था कि सूबे में अकेले चुनाव लड़ना आसान नहीं है क्योंकि कांग्रेस और आम आमदी पार्टी मजबूत स्थिति में दिखाई दे रही है. AAP और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां अलग-अलग लोकसभा चुनाव लड़ेंगी, जिसकी वजह से बीजेपी और अकाली दल को फायदा होने की उम्मीद जताई जा रही है.

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