India-Bangladesh News: शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद से बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता और अल्पसंख्यक हिंदुओं पर बढ़ते अत्याचार ने न केवल देश के भीतर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता बढ़ा दी है। भारत के साथ बांग्लादेश के संबंधों में खटास आई है, और हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमलों ने इस स्थिति को और जटिल बना दिया है।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का रुख
तख्तापलट के बाद बनी अंतरिम सरकार ने हाल ही में भारत सहित सभी देशों के साथ मजबूत और सम्मानजनक संबंधों की इच्छा जताई है। विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने कहा कि बांग्लादेश, भारत के साथ पारस्परिक सम्मान और समानता के आधार पर अच्छे संबंध बनाना चाहता है।
‘ढाका ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट के अनुसार, तौहीद हुसैन ने नरसिंगडी के रायपुरा और बेलाबो उपजिलों में आयोजित बैठकों में इस बात पर जोर दिया कि बांग्लादेश, भारत को पहले ही एक संदेश भेज चुका है। इस संदेश में अच्छे और आपसी हितों पर आधारित संबंधों की इच्छा व्यक्त की गई है।
चुनाव और सुधारों पर सरकार का जोर
तौहीद हुसैन ने कहा कि अंतरिम सरकार जनता और छात्रों की चिंताओं को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए व्यापक सुधारों को लागू कर रही है। इन सुधारों के बाद सत्ता का हस्तांतरण निर्वाचित नेताओं को किया जाएगा।
उन्होंने अंतरिम सरकार की निष्पक्ष शासन व्यवस्था पर भी जोर दिया और कहा कि उनकी प्राथमिकता देश के राजनीतिक संकट को हल करना और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बांग्लादेश की छवि को सुधारना है।
अल्पसंख्यकों पर अत्याचार: अमेरिकी संसद में उठा मुद्दा
बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर चर्चा तेज हो गई है। हाल ही में अमेरिकी संसद में भारतीय मूल के सांसद श्री थानेदार ने इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों, मूर्तियों और अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमले किए जा रहे हैं।
थानेदार ने अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में कहा,
"अब समय आ गया है कि अमेरिकी सरकार और कांग्रेस बांग्लादेश में हिंदुओं की रक्षा के लिए कार्रवाई करे। बहुसंख्यक भीड़ ने हिंदुओं के धार्मिक स्थलों और शांतिपूर्वक धर्म का पालन कर रहे लोगों को बर्बाद कर दिया है।"
भारत-बांग्लादेश संबंधों पर असर
शेख हसीना सरकार के तख्तापलट और हिंदुओं पर हमलों ने भारत और बांग्लादेश के संबंधों को प्रभावित किया है। भारत, बांग्लादेश का निकटतम पड़ोसी और आर्थिक साझेदार है। तौहीद हुसैन द्वारा भारत के साथ रिश्ते सुधारने की इच्छा जताने के बावजूद, इन संबंधों पर अनिश्चितता बनी हुई है।
आगे की चुनौतियां और संभावनाएं
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है:
- अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना: हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हमलों को रोकना और उनकी सुरक्षा की गारंटी देना।
- निष्पक्ष चुनाव कराना: देश में स्थिरता लाने और अंतरराष्ट्रीय समर्थन प्राप्त करने के लिए पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव जरूरी हैं।
- भारत के साथ संबंधों को सुधारना: भारत और बांग्लादेश के बीच बढ़ते तनाव को कम करना और आर्थिक व सामरिक साझेदारी को मजबूत करना।
निष्कर्ष
बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद राजनीतिक और सामाजिक संकट गहरा गया है। अंतरिम सरकार ने सुधारों और अंतरराष्ट्रीय संबंध सुधारने की बात कही है, लेकिन जमीन पर हो रही घटनाओं को लेकर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ रहा है।
अमेरिका और भारत जैसे बड़े देशों की भूमिका बांग्लादेश की स्थिति को स्थिर करने में महत्वपूर्ण हो सकती है। हालांकि, हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और निष्पक्ष चुनाव कराना अंतरिम सरकार की साख के लिए एक बड़ा परीक्षण होगा।