Bangladesh Violence: राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बांग्लादेश में हाल के घटनाक्रमों पर चिंता व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तत्काल हस्तक्षेप की अपील की है। गहलोत ने बांग्लादेश में विजय दिवस के अवसर पर भारत विरोधी नारेबाजी और हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रही हिंसा पर गंभीर चिंता जताते हुए इसे दोनों देशों के मजबूत संबंधों के लिए एक खतरा बताया।
भारत और बांग्लादेश के ऐतिहासिक संबंध
अशोक गहलोत ने अपने बयान में भारत और बांग्लादेश के ऐतिहासिक संबंधों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के मजबूत नेतृत्व में भारतीय सेना ने अहम भूमिका निभाई थी। उस संघर्ष के बाद से भारत और बांग्लादेश के बीच अच्छे और मित्रवत संबंध रहे हैं। गहलोत ने कहा, "मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, विजय दिवस पर भारत विरोधी नारे लगाए गए। यह बेहद चिंताजनक है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इंदिरा गांधी के नेतृत्व में भारत ने बांग्लादेश को आजादी दिलाई थी।"
उन्होंने भारत-बांग्लादेश के बीच बढ़ते तनाव को गंभीर समस्या बताते हुए कहा कि ऐसे हालातों में दोनों देशों के कूटनीतिक और व्यापारिक संबंधों पर गहरा असर पड़ता है।
पूर्वोत्तर राज्यों के व्यापार पर असर
गहलोत ने पूर्वोत्तर भारत और बांग्लादेश के बीच होने वाले रोजमर्रा के व्यापार की चर्चा करते हुए कहा कि यह संबंध दोनों देशों के आर्थिक विकास के लिए अहम हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में यह व्यापार लगभग ठप पड़ गया है, जिससे पूर्वोत्तर भारत के लोगों की आजीविका पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इसके अलावा, गहलोत ने बांग्लादेश के आशुपुर में भारतीय सैनिकों के योगदान को याद करने के लिए बनाए जा रहे स्मारक के काम के भी रुकने पर चिंता व्यक्त की।
हिंदू अल्पसंख्यकों पर अत्याचार
अशोक गहलोत ने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा की घटनाओं का उल्लेख किया और इस मुद्दे पर भारत सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में लगातार हिंदू समुदाय के लोगों पर हमले हो रहे हैं, लेकिन इस पर अब तक कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया है। गहलोत ने भारत सरकार से आग्रह किया कि वह कूटनीतिक माध्यमों से बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाए ताकि ऐसी घटनाओं पर रोक लगाई जा सके।
बांग्लादेश युद्ध में भारतीय सेना का योगदान
गहलोत ने 1971 के बांग्लादेश युद्ध का उल्लेख करते हुए कहा कि यह भारतीय इतिहास का एक स्वर्णिम अध्याय है। भारतीय सेना के पराक्रम और 90,000 पाकिस्तानी सैनिकों के आत्मसमर्पण का जिक्र करते हुए गहलोत ने कहा कि नई पीढ़ी को इस ऐतिहासिक घटना से परिचित कराना जरूरी है। उन्होंने सवाल उठाया कि विजय दिवस जैसे महत्वपूर्ण अवसर पर देशभर में किसी बड़े आयोजन का न होना विचारणीय है। उन्होंने कहा, "अटल बिहारी वाजपेयी ने इंदिरा गांधी को बांग्लादेश युद्ध के बाद दुर्गा का सम्मान दिया था। लेकिन आज हमें इस विजय को सम्मानित करने के लिए बड़े कदम उठाने की जरूरत है।"
प्रधानमंत्री से कूटनीतिक कार्रवाई की अपील
अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की कि वे बांग्लादेश में बढ़ते भारत विरोधी माहौल और हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे अत्याचार पर गंभीरता से संज्ञान लें। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को कूटनीतिक माध्यमों से बांग्लादेश सरकार के साथ बातचीत कर इन मुद्दों पर सख्त कार्रवाई की मांग करनी चाहिए।
गहलोत का मानना है कि भारत और बांग्लादेश के मजबूत रिश्ते दोनों देशों के हित में हैं। यदि इन घटनाओं पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो इससे क्षेत्रीय स्थिरता और व्यापारिक संबंधों को गहरा नुकसान हो सकता है। उन्होंने कहा कि भारत की जिम्मेदारी है कि वह इन मुद्दों पर गंभीर और संवेदनशील रुख अपनाए ताकि दोनों देशों के रिश्ते पहले की तरह मजबूत और सौहार्दपूर्ण बने रहें।
निष्कर्ष
अशोक गहलोत की इस अपील में भारत और बांग्लादेश के बीच ऐतिहासिक मित्रता को सहेजने की चिंता झलकती है। गहलोत ने स्पष्ट किया कि भारत सरकार को इस मामले पर न केवल बयान देना चाहिए, बल्कि कूटनीतिक दबाव के माध्यम से बांग्लादेश सरकार को हिंसा रोकने के लिए कदम उठाने पर मजबूर करना चाहिए। यह दोनों देशों के उज्ज्वल भविष्य और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए जरूरी है।