Israel-Hezbollah War: इजरायल और हिज़्बुल्लाह के बीच संघर्ष एक नए मोड़ पर पहुंच गया है, जहां इजरायली सेना ने लेबनान की राजधानी बेरूत के उपनगरीय क्षेत्र में हवाई हमले किए हैं। इजरायली सेना ने दावा किया है कि उसने इस हमले में हिज़्बुल्लाह के एक प्रमुख ड्रोन कमांडर मोहम्मद हुसैन सुरूर को मार गिराया है। यह हमला हिज़्बुल्लाह के ठिकानों पर इजरायल के लगातार किए जा रहे हवाई हमलों की कड़ी में एक और महत्वपूर्ण कार्रवाई है। हालांकि, हिज़्बुल्लाह ने इस दावे पर अभी तक कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है।
बेरूत के उपनगर में हवाई हमला
इजरायली वायुसेना ने बेरूत के एक उपनगरीय क्षेत्र में हिज़्बुल्लाह के ठिकानों को निशाना बनाते हुए हवाई हमला किया। यह हमला अल-मनार टीवी द्वारा भी रिपोर्ट किया गया, जो कि हिज़्बुल्लाह से जुड़ा हुआ एक प्रमुख टीवी स्टेशन है। हालाँकि, इस हमले की विस्तृत जानकारी फिलहाल सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन इजरायली सेना का दावा है कि उसने बेरूत के दक्षिणी हिस्से में स्थित एक अपार्टमेंट बिल्डिंग पर हमला किया, जिसमें हिज़्बुल्लाह के ड्रोन ऑपरेशन्स के कमांडर की मौत हुई।
हिज़्बुल्लाह के मिसाइल यूनिट कमांडर की मौत
यह ताजा हमला उस घटना के कुछ दिनों बाद हुआ है जब इजरायली सेना ने एक हवाई हमले में हिज़्बुल्लाह के मिसाइल यूनिट के एक वरिष्ठ कमांडर को मार गिराया था। इस घटनाक्रम ने इजरायल और हिज़्बुल्लाह के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है, जिसके परिणामस्वरूप इजरायली सेना की ओर से हिज़्बुल्लाह पर हमलों की तीव्रता बढ़ गई है।
नेतन्याहू सरकार पर संकट
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार में शामिल अति दक्षिणपंथी सहयोगी इतामार बेन-ग्वीर ने चेतावनी दी है कि अगर हिज़्बुल्लाह के साथ स्थायी युद्धविराम होता है, तो वह गठबंधन छोड़ देंगे। बेन-ग्वीर, जो ज्यूश पावर पार्टी के प्रमुख हैं, ने कहा कि यदि संघर्ष विराम स्थायी होता है, तो उनकी पार्टी नेतन्याहू की सरकार से इस्तीफा दे देगी।
इस चेतावनी से नेतन्याहू की सरकार को खतरा हो सकता है क्योंकि बेन-ग्वीर के इस्तीफे के बाद वह अपना संसदीय बहुमत खो सकते हैं। हालांकि, विपक्षी नेताओं ने संकेत दिया है कि वे संघर्ष विराम समझौते का समर्थन करेंगे, जिससे नेतन्याहू की सरकार अस्थायी रूप से बच सकती है।
निष्कर्ष
इजरायल और हिज़्बुल्लाह के बीच चल रहे इस संघर्ष के बीच यह हवाई हमला संघर्ष को और गहरा कर सकता है। इजरायली सेना के दावे के बावजूद हिज़्बुल्लाह की प्रतिक्रिया का इंतजार है, जिससे आगे के घटनाक्रम पर नजर रखना जरूरी होगा। इसके साथ ही, नेतन्याहू की सरकार पर आंतरिक दबाव भी बढ़ता जा रहा है, जो इजरायल की राजनीति में एक अस्थिरता का संकेत देता है।