Ayodhya Deepotsav: अयोध्या की दिवाली ने इस बार एक नया इतिहास रच दिया है, जिसमें लाखों दीयों की रोशनी ने शहर को एक अलौकिक आभा से भर दिया। इस आयोजन को विशेष रूप से गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में स्थान मिला है, जब 2,512,585 दीयों को एक साथ प्रज्वलित किया गया। अयोध्या की इस दिवाली का यह रिकॉर्ड राम मंदिर के पुनर्निर्माण और उत्तर प्रदेश सरकार की योजना के तहत संभव हुआ, जो इस बार के आयोजन को और भी खास बनाता है।
भव्य दीपोत्सव का आयोजन और तैयारी
हर साल की तरह, उत्तर प्रदेश सरकार ने इस बार भी अयोध्या की दिवाली को दिव्य और भव्य बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। लाखों देशी और विदेशी पर्यटक इस पावन अवसर को देखने के लिए अयोध्या में उमड़ पड़े। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अयोध्या प्रशासन ने इस महाआयोजन की तैयारी कई महीने पहले ही शुरू कर दी थी। मुख्यमंत्री ने खुद इस ऐतिहासिक आयोजन की रूपरेखा तैयार की, जिसमें तय किया गया कि इस बार सरयू नदी के तट पर 28 लाख दीए जलाए जाएंगे। इसके लिए सरयू के कुल 55 घाटों को सजाया गया था। यद्यपि 28 लाख दीए जलाने का लक्ष्य था, लेकिन अंतिम गणना में 25 लाख 12 हजार से अधिक दीए प्रज्वलित किए गए, जिसने भीड़ को मंत्रमुग्ध कर दिया।
गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में स्थान
इतने विशाल आयोजन को देखना कोई आम बात नहीं थी, और इसलिए इस दीपोत्सव को देखने के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के अधिकारी भी विशेष रूप से पहुंचे। इस आयोजन के दौरान सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद इसे गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज कर लिया गया। अयोध्या प्रशासन के अनुसार, दीपोत्सव को दिव्य बनाने के लिए न केवल सरयू के 55 घाटों को, बल्कि 70 एकड़ में फैले रामजन्मभूमि परिसर को भी विशेष रूप से सजाया गया था। दीयों की इस अद्भुत श्रृंखला ने भगवान राम की जन्मभूमि और निर्माणाधीन राम मंदिर को एक अलौकिक रूप दिया, जो किसी दुल्हन की तरह सजीव प्रतीत हो रही थी।
हर दीए में 30 एमएल तेल का इस्तेमाल
इस बार, प्रत्येक दीए में 30 एमएल सरसों का तेल डाला गया, जबकि पिछले साल प्रति दीए में 40 एमएल तेल का उपयोग किया गया था। दीयों की संख्या में बढ़ोतरी होने के बावजूद तेल की खपत को कम रखने का प्रयास किया गया। इस प्रकार कुल 91,000 लीटर सरसों का तेल उपयोग में आया, जो पिछले वर्ष के समान ही था। यह संतुलन पर्यावरण और संसाधनों के प्रति जागरूकता को भी दर्शाता है।
दिव्य और भव्य दीपोत्सव का महत्व
अयोध्या की यह दिवाली न केवल आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक है, बल्कि यह पूरे विश्व में भारतीय परंपरा और सभ्यता की महत्ता को भी दर्शाती है। लाखों दीयों से सजी सरयू नदी का यह दृश्य मानो धरती पर ही स्वर्ग का अहसास करा रहा था। दीपोत्सव के आयोजन ने यह सिद्ध कर दिया है कि अयोध्या की दिवाली केवल एक त्योहार ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का प्रतीक है। राम मंदिर निर्माण के साथ यह आयोजन और भी ऐतिहासिक हो गया है, जो आने वाले सालों में भारत और विश्वभर के लोगों के लिए प्रेरणादायक रहेगा।
इस भव्य आयोजन ने केवल एक कीर्तिमान नहीं रचा, बल्कि भारतीय संस्कृति और विरासत को अंतरराष्ट्रीय पटल पर एक नया आयाम भी दिया है।